Budget Session 2023: केंद्रीय बजट को लेकर देश के हर वर्ग में उम्मीद की नई किरण है. इसी में किसान भी भारत सरकार के बजट पर राहत की आस लगाए बैठा है. छत्तीसगढ़ के पांच किसानों ने बजट पर पांच बड़ी मांग कर दी है. वहीं भारत सरकार ने 2022 में किसानों की आय दोगुनी करने का वादा किया था क्या वो पूरा हो रहा है. चलिए इसे विस्तार से समझते हैं.


'धान के कटोरे' को बजट से बड़ी उम्मीद
दरअसल छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा कहा जाता है. छत्तीसगढ़ में 24 लाख 98 हजार किसान हैं. जिन्होंने 2022-23 खरीफ सीजन में धान बेचने के लिए पंजीयन कराया है. राज्य में 107 लाख मीट्रिक टन से अधिक धान खरीदी होती है. आंकड़ों के अनुसार धान खरीदी में देश के शीर्ष राज्यों में से एक है.


वहीं किसानों की संख्या के मामले में देश में सर्वाधिक किसान धान बेचने के लिए छत्तीसगढ़ में पंजीयन है. यानी देशभर के करोड़ों किसान में छत्तीसगढ़ के किसान एक बड़ा हिस्सा हैं. इस लिहाजा से राज्य के किसान अपनी उम्मीदों का पिटारा लिए भारत सरकार से राहत की उम्मीद कर रहे हैं. 


सभी फसलों की एमएसपी पर खरीदी और एमएसपी गारंटी की मांग
रायपुर के बड़े किसान पारसनाथ साहू ने केंद्रीय बजट में भारतीय कृषि की दशा सुधारने के लिए कुल बजट का 50 फीसदी राशि प्रावधान किए जाने की जरूरत बताया है. उन्होंने कहा कि कृषि प्रधान देश में किसान खुशहाल रहेगा तभी देश की स्थिति मजबूत होगी. धान गेहूं अन्य फसलों के अलावा फल, फूल, सब्जी और दूध को भी एमएसपी के दायरे में लाया जाए.


पारसनाथ साहू ने आगे कहा कि देशभर के किसानों की प्रमुख मांग है की कृषि से जुड़े सभी उपकरण की खरीदी में जीएसटी पूरी तरह समाप्त की जाए और किसानों को डीजल सस्ता दिया जाए क्योंकि कृषि उत्पादन में लागत काफी बढ़ गई है. इसके अलावा पारसनाथ साहू ने कहा कि राज्यों में एथेनाल संयंत्र और फूड प्रोसेसिंग प्लांट पर्याप्त मात्रा में बनाने की अनुमति दें. कंपनियां खुद संयंत्र तैयार कर लेगी और खरीदी भी स्वयं अपने पैसे से करेगी. सरकार को सिर्फ नियंत्रण करना है.


सभी फसलों पर एमएसपी तय करने की मांग
किसान नेता तेजराम विद्रोही ने कहा कि कृषि बजट में वृद्धि कर एमएसपी की कानूनी गारंटी लागू की मांग की है. उन्होंने बजट में किसानों के लिए कहा कि देश के किसानों को बजट से बड़ी आशा बनी हुई है कि किसानों के सभी फसलों और उत्पादों को स्वामीनाथन आयोग के सिफारिशों के अनुरूप डेढ़ गुणा लाभकरी न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करते हुए पूरे साल भर तय एमएसपी में खरीदी की कानूनी गारंटी के लिए प्रावधान करे और इसके लिए आवशयक कृषि बजट में वृद्धि करे.


प्रति एकड़ 14.80 क्विंटल धान खरीदी से किसानों को नुकसान
किसान जागेश्वर जुगनू चंद्राकर ने कहा कि मंडियों में सारा धान बिकता नहीं है. इस लिए किसान साहूकार के पास एमएसपी से आधे कीमत में धान बेचने के लिए मजबूर हो जाते हैं. छत्तीसगढ़ में किसानों से प्रति एकड़ केवल 14 क्विंटल 80 किलो धान ही खरीदा जाता है. इससे अलावा बचे धान को साहूकारों के पास मजबूरी में बेचना पड़ता है.


जिसकी कीमत प्रति किलो में 12 से 13 रुपए लगता है. इससे किसानों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ता है. इसमें पैसा डूबने का भी खतरा रहता है. आय डबल होने की जगह लागत डबल हो गया है. इस बार बजट से किसानों को बड़ी उम्मीद है.


फसलों के लिए विदेश नीति में सुधार की जरूरत
युवा किसान कबीर ने बताया कि वे करीब 100 एकड़ में फल की खेती करते हैं. इसमें सबसे ज्यादा मात्रा में अमरूद की खेती करते हैं, लेकिन फसल को दूसरे देशों में निर्यात करना हमारे लिए आसान नहीं है. भारत के बाजार में अमरूद की बहुताय मात्रा में खेती होती है. लेकिन इसके एक्सपोर्ट की व्यवस्था नहीं होने के कारण किसानों को अच्छा बाजार नहीं मिल रहा है. अगर पूरी दुनिया हमारे लिए बाजार हो तो फसल की कीमत अच्छी मिल जाएगी. इससे देश का ग्रोथ भी बढ़ेगा.


'...इसलिए किसानों पर हो फोकस'
इस साल के बजट पर रायपुर के सीनियर कृषि वैज्ञानिक डॉ. गजेंद्र चंद्राकर ने कहा कि कोई भी बजट में किचन से लेकर हॉस्पिटल तक प्रभावित होता है. किसान हमेशा चाहता है लागत में राहत मिले. फसल उत्पादन लागत कम हो. खाद, बीज और दवा सस्ता मिले लेकिन लागत दुगनी हो गई है. खासकर फसलों के लिए दवा सबसे महंगी हो गई है.


डीएपी 900 से 1200 रुपए हो गया है. किसानों को मेहनत का लाभ पता ही नहीं चलता है. इस साल देश में 9 राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाले है. इस लिहाजा ये बजट भी चुनावी हो सकता है. लेकिन 70 प्रतिशत मतदाता किसान हैं तो किसानों की कर्ज माफी और जीरो प्रतिशत इंट्रेस्ट में लोन मिले इसकी उम्मीद है.


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