छत्तीसगढ़ के इस मंदिर के नीचे दफन है सोने का खजाना! इच्छाधारी नाग-नागिन करते हैं रक्षा, जानें अनोखा इतिहास
यह इलाका लगभग 5000 साल पुराना है. बताया जाता है कि दुर्ग के राजा जगतपाल दुर्ग स्थित अपने किले से गुफा के द्वारा इस मंदिर में बजरंगबली जी की पूजा करने आते थे.
Chhattisgarh News: क्या आपको पता है छत्तीसगढ़ प्रदेश का नाम छत्तीसगढ़ क्यों पड़ा. दरअसल कहा जाता है कि इस प्रदेश में 36 गढ़ हुआ करते थे इसलिए जब इसे प्रदेश बनाया गया तो इस प्रदेश का नाम छत्तीसगढ़ रखा गया. इस 36 गढ़ में से एक गढ़ है छातागढ़. जहां पर बताया जाता है कि लगभग 5000 साल पुरानी इस जगह पर ढाई हजार साल पुरानी एक पत्थर की बजरंगबली की मूर्ति है और उसके नीचे सोने का खजाना दफन है. उस खजाने की रक्षा इच्छाधारी नाग-नागिन करते हैं.
क्या है इतिहास?
छातागढ़ दुर्ग जिला मुख्यालय से लगभग 10 किलोमीटर दूर बसा है. यहां तक आप मोटरसाइकिल या चार पहिये से पहुंच सकते हैं. छोटे से पहाड़ियों के टीले पर ढाई हजार साल से भगवान बजरंगबली जी की पत्थर की प्रतिमा है. यह इलाका लगभग 5000 साल पुराना है. बताया जाता है कि दुर्ग के राजा जगतपाल दुर्ग स्थित अपने किले से गुफा के द्वारा इस मंदिर में बजरंगबली जी की पूजा करने आते थे.
साथ ही यह भी बताया जाता है कि बजरंगबली के मंदिर के नीचे सोने का खजाना दफन है. जिसकी रक्षा इच्छाधारी नाग-नागिन का जोड़ा करता है. इसलिए इस मंदिर के प्रांगण में सभी जगह नाग-नागिन के होने का बोर्ड लगा हुआ है. यह मंदिर शिवनाथ नदी के किनारे बसा हुआ है. चारों तरफ हरे-भरे पेड़ पौधे मौजूद हैं. इस मंदिर तक पहुंचने के लिए लगभग 100 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं.
बाबा को आया था खजाना दफन होने का सपना
मंदिर के पुजारी सोन सिंह राजपूत बताते है यह इलाका 5000 साल पुराना है. यहां बजरंगबली की मूर्ति ढाई हजार साल पुरानी है. यहां अमरकंटक से बाबा कानू चरण आए हुए थे जिनके चरणों के निशान नुमा मंदिर भी बनाया गया है. बताया जाता है कि बाबा को इस जगह पर खजाना दफन होने का सपना आया था. साथ ही बाबा के सपने में इस खजाने की रक्षा करते हुए इच्छाधारी नाग नागिन का जोड़ा भी दिखाई दिया था. जिस बात को यहां के लोगों को बताया था.
नाग-नागिन के जोड़े को बाबा ने देखा था
पंडित सोन सिंह राजपूत ने यह भी बताया कि इस मंदिर के तल के नीचे मां दुर्गा की सोने की मूर्ति दफन है. दुर्ग के राजा जगतपाल दुर्ग अपने किले से सुरंग के द्वारा इस मंदिर में आते थे. अपने गुरु से मिलकर वापस चले जाते थे. पंडित सोन सिंह राजपूत का कहना है कि इस मंदिर के नीचे खजाना दफन है जिसकी सुरक्षा यहां पर मौजूद इच्छाधारी नाग-नागिन का जोड़ा करता है. इस नाग-नागिन के जोड़े को 2018 में राजस्थान से आए एक बाबा ने साक्षात देखा था. इससे यह सिद्ध होता है कि यहां नाग-नागिन का जोड़ा मौजूद है तो खजाना भी जरूर दफन होगा. हालांकि अबतक इस जगह पर पुरातत्व विभाग नहीं पहुंचा है.
आज भी नाग-नागिन का जोड़ा देता है दिखाई
मंदिर के सबसे पुराने बुजुर्ग ने बताया कि आज भी यहां नाग-नागिन का जोड़ा दिखाई देता है. छतागढ़ के सबसे पुराने बुजुर्ग जय लाल यादव बताते हैं कि यहां पर अक्सर नाग-नागिन का जोड़ा देखा जाता है. कई दफा तो वे खुद भी दोनों जोड़ों को देखे हैं. यह नाग-नागिन इस क्षेत्र में हमेशा विचरण करते रहते हैं. इसलिए इस मंदिर प्रांगण में सभी जगह नाग-नागिन के वोट लगाए गए हैं.
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