Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखा है. सीएम ने अपने पत्र में मिलेट फसलों को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम में शामिल करने का आग्रह किया है. कुपोषण दूर करने के लिए बच्चों को दिये जाने वाले मध्याह्न भोजन में मिलेट को शामिल करने का भी आग्रह किया है. उन्होंले राज्य सरकारों को मिलेट फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर संग्रहण करने की अनुमति देने की भी मांग की है.
2023 में मुख्यमंत्री भूपेश का पीएम को पहला पत्र
दरअसल, रविवार को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर उनसे मिलेट फसलों के उत्पादन और उपभोग को बढ़ावा देने और इसे जन आंदोलन बनाने के लिए पहल करने का आग्रह किया है. मुख्यमंत्री ने अपने पत्र में लिखा है कि संयुक्त राष्ट्र संघ ने भारत सरकार की पहल पर साल 2023 को अन्तरर्राष्ट्रीय मिलेट वर्ष घोषित किया है. उन्होंने बताया है कि एनीमिया और कुपोषण पर नियन्त्रण में मिलेट फसलों की महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है. दुर्भाग्य से पिछले सालों में मार्केटिंग व्यवस्था के अभाव के कारण देश में मिलेट फसलों के उत्पादन में कमी आयी है.
मिलेट के उत्पादकों को 9 हजार रुपए इनपुट सब्सिडी
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ में मिलेट फसलों को बढ़ावा देने के उपायों की जानकारी भी प्रधानमंत्री को दी है. उन्होंने अपने पत्र में लिखा है कि छत्तीसगढ़ में मिलेट फसलों के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए मिलेट मिशन की स्थापना की गयी है. इसके साथ ही राज्य में पैदा होने वाले कोदो, कुटकी और रागी का न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित कर खरीद और मार्केटिंग की पुख्ता व्यवस्था भी की गयी है.
राज्य में इन मिलेट उत्पादकों को नौ हजार रुपए प्रति एकड़ इनपुट सब्सिडी भी दी जा रही है. उन्होंने अपने पत्र में बताया है कि देश के किसी भी राज्य में मिलेट फसलों के उत्पादकों को इतनी अधिक सहायता नहीं दी जा रही है. इन कारणों से पिछले दो साल राज्य में मिलेट फसलों के रकबे और प्रोडक्शन में दो गुना से अधिक की वृद्धि हुई है.
मिलेट के उत्पादन को बढ़ावा देकर बनाएं जन आंदोलन
मुख्यमंत्री ने अपने पत्र में लिखा है कि मिलेट फसलों के प्रोडक्शन और उपभोग को बढ़ावा देकर इसे जनांदोलन बनाने का आग्रह किया है. उन्होंने कहा है कि यह निर्णय लेना उचित होगा कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत वितरित होने वाले अनाजों, मध्यान्ह भोजन कार्यक्रम, महिला बाल विकास विभाग द्वारा दिये जा रहे पोषण आहार और आश्रमों व छात्रावासों के छात्रों को दिये जा रहे रियायती अनाज में 20 से 25 प्रतिशत मात्रा मिलेट फसलों की हो.
मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार यदि राज्य सरकारों को मिलेट फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर संग्रहण करने और इस योजनाओं में उपयोग के लिए रियायती दर पर देने का निर्णय ले तो इससे मिलेट फसलों के उत्पादन और उपभोग में अभूतपूर्व वृद्धि होगी. मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री से संबंधित विभागों को इसको लेकर जल्द निर्णय कर निर्देश जारी करने का आग्रह किया है.
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