Chhattisgarh Tribal Reservation: छत्तीसगढ़ में आदिवासी आरक्षण सबसे बड़ा मुद्दा बन गया है. आदिवासी समाज 12 प्रतिशत आरक्षण घटने से नाराज चल रहे हैं. तो अब राज्य सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है. पड़ोसी राज्य तमिलनाडु के आरक्षण व्यवस्था के अध्ययन के लिए आदिवासी समाज के प्रमुखों और विधायकों को भेजने की तैयारी चल रही है. वहीं मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की बात कही है.


विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया जाएगा 


दरअसल शनिवार शाम मुख्यमंत्री निवास में उद्योग मंत्री कवासी लखमा के नेतृत्व में सर्वआदिवासी समाज के प्रतिनिधियों ने मुख्यमंत्री से मुलाकात की है. इस दौरान आदिवासी आरक्षण को लेकर विस्तार से चर्चा हुई है. इस दौरान मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि आदिवासियों के हित को ध्यान रखते हुए इस मामले में जो भी आवश्यक कदम होगा वह उठाया जाएगा. आवश्यक होने पर आदिवासियों के आरक्षण के मुद्दे को लेकर विधानसभा का विशेष सत्र भी बुलाया जाएगा. प्रदेश में आरक्षित वर्ग का किसी भी प्रकार का नुकसान नहीं होगा, यह हमारी सर्वाच्च प्राथमिकता में है.


तमिलनाडु के आरक्षण व्यवस्था का अध्ययन करने की तैयारी


इसके अलावा मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ये भी कहा है कि आरक्षण के संबंध में अध्ययन भ्रमण के लिए आदिवासी समाज के विधायक और समाज प्रमुखों के संयुक्त दल को तमिलनाडु भेजा जाएगा. अपको बता दें कि तमिलनाडु में 50प्रतिशत से अधिक आरक्षण है. वहां पर किन परिस्थितियों में आरक्षण बढ़ाने की अनुमति कोर्ट से मिली है, राज्य वर्ग वार जनसंख्या कितना है. ये सभी चीज तमिलनाडु जाकर समझने के लिए छत्तीसगढ़ की टीम जाएगी.


32 से 12 प्रतिशत घट गया आदिवासी आरक्षण


गौरतलब है कि बिलासपुर हाईकोर्ट ने 19 सितंबर को राज्य में 58 प्रतिशत आरक्षण को रद्द करने का फैसला सुनाया था. इसके बाद अब 2011 की स्थिति के आधार पर आरक्षण व्यवस्था बन गई है. जिसके अनुसार एसटी आरक्षण वर्तमान में 32 प्रतिशत था जो अब 12 प्रतिशत घट का 20 प्रतिशत हो गया है. ओबीसी 14 प्रतिशत और एससी का आरक्षण 13 से बढ़कर 16 प्रतिशत हो गया है. इस लिए छत्तीसगढ़ में घमासान मचा हुआ है.


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