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(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)

Chhattisgarh News: मिशन 2023 के लिए कांग्रेस ने खेला ओबीसी कार्ड, होगा 'सलाहकार परिषद' का गठन

मंगलवार को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में कैबिनेट की बैठक हुई है. इस दौरान छत्तीसगढ़ में अन्य पिछड़ा वर्ग सलाहकार परिषद का गठन किया गया है. इस परिषद के अध्यक्ष मुख्यमंत्री भूपेश बघेल होंगे.

Chhattisgarh Politics News: छत्तीसगढ़ की कांग्रेस (Congress) सरकार ने 2023 विधानसभा चुनाव के पहले एक बड़ा फैसला लिया है. सरकार राज्य में एससी-एसटी और ओबीसी के लिए अलग-अलग विभागों का गठन करने जा रही है. इस फैसले से राज्य के इन तीनों प्रमुख वर्गों को कांग्रेस की सरकार साधने में जुट गई है. क्योंकि छत्तीसगढ़ में सत्ता की चाबी इन्हीं तीन वर्गों के सहयोग से मिलती है. लिहाजा मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Bhupesh Baghel) ने मिशन 2023 से पहले ही अपना मास्टरस्ट्रोक खेल दिया है. 

कैबिनेट में ओबीसी विभाग गठित करने का निर्णय
दरअसल मंगलवार को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में कैबिनेट की बैठक हुई है. इस दौरान छत्तीसगढ़ में अन्य पिछड़ा वर्ग सलाहकार परिषद का गठन किया गया है. ओबीसी सलाहकार परिषद के अध्यक्ष मुख्यमंत्री भूपेश बघेल होंगे और भारसाधक मंत्री उपाध्यक्ष होंगे. परिषद में कुल 40 सदस्य होंगे, जिसमें राज्य विधान सभा में अन्य पिछड़ा वर्ग के निर्वाचित कम से कम 10 सदस्य होगे और बाकी सदस्य राज्य शासन द्वारा मनोनीत होंगे. वहीं छत्तीसगढ़ राज्य में अनुसूचित जनजाति के लिए पहले से ही विभाग गठन किया गया है. 

क्यों है ओबीसी विभाग गठन करना मास्टरस्ट्रोक
छत्तीसगढ़ की राजनीतिक समीकरण देखने के बाद ये साफ हो जाता है कि राज्य के विधानसभा चुनाव में एससी-एसटी और ओबीसी वर्ग का बड़ा दबदबा है. छत्तीसगढ़ में लगभग 32 % आबादी अनुसूचित जनजाति की है. करीब 13 प्रतिशत जनसंख्या अनूसूचित जाति और एक अनुमान के अनुसार 47 प्रतिशत जनसंख्या अन्य पिछड़ा वर्ग का है. इसलिए छत्तीसगढ़ में जातिगत समीकरण के आधार पर छत्तीसगढ़ की राजनीति में सबसे बड़ा दखल ओबीसी वर्ग का है. राज्य में सर्वाधिक ओबीसी वोटर है. इसलिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ओबीसी वर्ग को साधने के लिए सबसे बड़ा राजनीतिक दांव खेल दिया है. 

विधानसभा में ओबीसी वर्ग का दखल
गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ विधानसभा में 90 सीट है. इनमें से 39 सीट आरक्षित है. इसमें 29 सीट अनुसूचित जनजाति और 10 सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है. वहीं 51 सीट सामान्य है और इसमें से अधिकांश सीट ओबीसी वर्ग के नेताओं के प्रभाव में है. इसमें से खुद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल है. छत्तीसगढ़ के मैदानी इलाकों में ओबीसी वर्ग के लोग ज्यादा रहते हैं. इन्हीं इलाकों में ओबीसी वोटरों की संख्या बढ़ती जा रही है. इसका आगामी विधानसभा चुनाव में सीधा-सीधा प्रभाव दिखने वाला है. 

ओबीसी वर्ग के नेताओं को मिल रहा नेतृत्व
गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ में ओबीसी वर्ग के नेतृत्व को लेकर भी राजनीतिक पार्टियों ने अपना रुख साफ कर दिया है. राज्य के दो बड़े राजनीतिक पार्टियों ने ओबीसी वर्ग के नेताओं को तवज्जो दे रही है. कांग्रेस पार्टी की बात कर लें तो कांग्रेस ने भूपेश बघेल को अपना मुख्यमंत्री बनाया. वहीं अब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के काट के लिए बीजेपी ने आदिवासी प्रदेश अध्यक्ष को हटा कर ओबीसी वर्ग के लोकसभा सांसद अरुण साव को छत्तीसगढ़ बीजेपी की कमान सौंपी है. इसके अलावा विधानसभा में भी बीजेपी ने ओबीसी वर्ग के नारायण चंदेल को नेता प्रतिपक्ष बनाया है. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि आगामी विधानसभा चुनाव में ओबीसी कार्ड कितना अहम है.

बीजेपी के ओबीसी नेतृत्व से भयभीत कांग्रेस
इधर, कांग्रेस सरकार के फैसले पर सियासत भी शुरू हो गई है. बीजेपी नेता गौरीशंकर श्रीवास ने सरकार के इस फैसले को बीजेपी के ओबीसी नेतृत्व का डर बताया है. उन्होंने कहा है कि चुनाव सामने है इसलिए कांग्रेस सरकार को डर सता रह है. बीजेपी ने ओबीसी वर्ग को छत्तीसगढ़ का नेतृत्व दिया है, इससे राज्य सरकार भयभीत है. 4 साल में भूपेश सरकार ने ओबीसी वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण और उनके अधिकारों से उपेक्षित किया है.

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