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Chhattisgarh: जानिए कौन हैं राहुल को मौत के मुंह से निकालने वाले अजरूल? बच्चे को बचाने के लिए लगा दी थी जान की बाजी
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने गुरुवार को राहुल साहू के रेस्क्यू ऑपरेशन में शामिल टीम को सम्मानित किया. इस दौरान सीएम ने विशेष तौर पर टीम में शामिल अजरूल हक का जिक्र किया.
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Rahul Sahu Rescue Operation: छत्तीसगढ़ में 11 साल के राहुल के रेस्क्यू ऑपरेशन की चर्चा देशभर में हो रही है. 104 घंटे के रेक्स्यू ऑपरेशन के बाद राहुल को बचाने वाले दर्जनों हीरो सामने आ चुके हैं. इसी कड़ी में हम ऐसे हीरो के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्होंने बोरवेल में फंसे राहुल को सबसे पहले देखा और बोरवेल से खींचकर बाहर निकाला. ये हीरो रायपुर के अजरूल हक हैं. जिन्होंने खुद की जान की परवाह नहीं की और जान जोखिम डालकर बोरवेल में सिर नीचे कर बोरवेल में उतर गये.
बोरवेल में राहुल को बचाने वाला हीरो
दरअसल राहुल 62 फीट की गहराई में फंसा था और रेस्क्यू टीम ने सुरंग से राहुल से 3 फीट उपर तक सुरंग बनाया. इसके बाद राहुल तक पहुंचने के लिए 3 फीट और नीचे उतरना था बोरवेल में तब पतले अजरूल को बोरवेल में सिर के बल उतारा गये थे. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने गुरुवार को रेस्क्यू ऑपरेशन के टीम का सम्मान किया तब अजरूल की कहानी सामने आई.
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अजरूल को मुख्यमंत्री निवास पर आयोजित कार्यक्रम में सम्मानित किया और राज्योत्सव में फिर से सम्मानित करने की घोषणा की है. इस दौरान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अजरूल की साहस की जमकर तारीफ की और अजरुल से पूरी रेस्क्यू को लेकर बातचीत की है. सीएम भूपेश बघेल ने कहा कि अजरूल ने राहुल की जान बचाने के लिए अपनी जान जोखिम में डाल दी, उसकी जितनी भी तारीफ की जाए उतनी कम है.
रायपुर के हैं अजरूल हक
रेस्क्यू ऑपरेशन के पांचवे दिन राहुल को निकालने में प्रशासन का पूरा अमला लगा हुआ था. 104 घंटे के इस रेस्क्यू अभियान को अंतिम परिणाम तक पहुंचाने में अजरूल हक की महत्वपूर्ण भूमिका थी. अजरूल रायपुर स्मार्ट सिटी में सीवरेज सिस्टम में कार्यरत हैं. जब रेस्क्यू टीम ने खुदाई पूरी कर टर्नल बना कर राहुल के करीब पहुंच उस समय राहुल को बाहर निकालने का निर्णय लिया गया और यह जिम्मा अजरूल हक को दिया गया. अजरूल को सेफ्टी बेल्ट पहनाकर मुंह के बल नीचे उतारा गया.
'मेरी जान भले ही चली जाए पर बच्चे की जान बच जाए'
अजरूल ने बताया कि जब नीचे उतरा तो उसने देखा कि राहुल गड्ढे में लेटा हुआ है. अजरूल ने मुख्यमंत्री से बातचीत के दौरान बताया कि अंदर पहुंचकर मैंने राहुल को उठाया और उसे सेफ्टी बेल्ट पहनाया और उसे बाहर निकाल लाया. जब मैं गड्ढे में उतरा तो उस समय मेरी जेहन में एक ही बात थी कि मेरी जान भले ही चली जाए पर बच्चे की जान बच जाए. इसी सोच ने मुझे प्रेरणा दी और मुझे किसी प्रकार का डर नहीं लगा और मैं राहुल को बचा पाया.
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