छत्‍तीसगढ़ में आरक्षण संशोधन विधेयक को लेकर विवाद गहराता जा रहा है. मुख्‍यमंत्री भूपेश बघेल ने विधेयक को लेकर एक बार फिर राज्‍यपाल अनुसुईया उइके पर निशाना साधा है. उन्‍होंने विधेयक पर हस्‍ताक्षर को लेकर राज्‍यपाल से पूछा है कि बिल पर हस्‍ताक्षर करने में तकलीफ क्‍यों हो रही है. छत्तीसगढ़ में आरक्षण के मुद्दे पर सियासत तेज है. इसे लेकर सत्तारूढ़ कांग्रेस और बीजेपी आमने-सामने है. सीएम भूपेश बघेल ने आदिवासी विधेयक पर हस्ताक्षर नहीं करने के मुद्दे पर राज्यपाल पर निशाना साधा है. साथ ही बीजेपी पर भी कटाक्ष किया है. उन्होंने बीजेपी पर भी दोहरी नीति अपनाने का आरोप लगाया है. 


सीएम भूपेश बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ में आरक्षण के मामले में बीजेपी की दोहरी नीति सामने आ गई है. सीएम बघेल ने पूछा है कि जब वे कर्नाटक में आरक्षण लागू कर सकते हैं तो छत्तीसगढ़ में क्यों नहीं? क्या दोनों राज्यों के राज्यपालों के कर्तव्य अलग-अलग हैं? या ऐसा इसलिए है क्योंकि बीजेपी वहां सत्ताधारी पार्टी है?



छत्तीसगढ़ विधानसभा से पारित आरक्षण संशोधन विधेयक को लेकर मार्च तक इंतजार करने वाले राज्यपाल अनुसुईया उइके के बयान पर राजभवन की ओर से स्पष्टीकरण दिया गया है. इसमें कहा गया है कि राज्य शासन और सर्व आदिवासी समाज ने मामले में एक पीटिशन दायर कर रखी है जिस पर मार्च तक निर्णय आने की उम्मीद है. 


बता दें कि छत्तीसगढ़ की राज्यपाल अनुसुइया उइके बीते रविवार को एक कॉलेज के कार्यक्रम में पहुंची थीं. इस दरमियान पत्रकारों ने आरक्षण विधेयक पर हस्ताक्षर अब तक नहीं किए जाने का सवाल राज्यपाल से किया. इस पर राज्यपाल अनुसुइया उइके ने जवाब देते हुए कहा कि 'अभी मार्च का इंतजार करिये' अनुसुइया उइके के इस बयान के बाद छत्तीसगढ़ के भूपेश सरकार और कांग्रेस संगठन के लोग चौक गए हैं और लोग यह जानने की उत्सुकता में आ गए हैं कि मार्च में ऐसा क्या होगा कि मार्च तक इंतजार करने को छत्तीसगढ़ के राज्यपाल अनुसुइया उइके बोल रही हैं.


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