Chhattisgarh: कार्तिक पूर्णिमा पर सीएम बघेल ने गुलाटी मार कर खारुन नदी में लगाई डुबकी, सामने आया ये वीडियो
Chhattisgarh News: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि पिछले साल खारुन नदी के घाट के विकास की घोषणा की थी, अब बजट में प्रावधान के साथ घाट के विकास का काम शुरू हो जाएगा.
Kartik Purnima 2022: छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कार्तिक पूर्णिमा पर सुबह 5 बजे खारुन नदी में स्नान किया है. उन्होंने ठंडे पानी में डुबकी लगाई है. उनकी हर साल की तरह इस साल भी गुलाटी शानदार रही. मुख्यमंत्री गुलाटी मार कर पानी में कूद गए. उनको गुलाटी मरते हुए जिन लोगों ने पहली बार देखा सब दंग रह गए. इसके बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने हटकेश्वर महादेव का दर्शन किया है.
प्रदेशवासियों की सुख-समृद्धि की कामना की
दरअसल मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज कार्तिक पुन्नी के अवसर पर सुबह रायपुर के महादेव घाट पहुंचकर खारून नदी में कार्तिक पूर्णिमा स्नान कर प्रदेशवासियों की सुख-समृद्धि की कामना की है. इस अवसर पर उन्होंने कहा कि हमारे यहां धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक परंपरा का निर्वहन किया जाता है. पुन्नी मेला के अवसर पर आज यहां आसपास के सभी गांव के लोग आते हैं. पुन्नी मेला हमारी प्राचीन परंपरा है, हमारे छत्तीसगढ़ के गांव, शहरों की परंपरा का हिस्सा है. कार्तिक माह में सुबह का स्नान और शिवजी पर जल चढ़ाने की परंपरा रही है, आज से गांवों के घाटों में मेले का आयोजन शुरू हो जाता है.
घाट का किया जाएगा विकास कार्य
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि पिछले साल खारुन नदी के घाट के विकास की घोषणा की थी, अब बजट में प्रावधान के साथ घाट के विकास का काम शुरू हो जाएगा. हमारे प्रदेश में किसान भाई धान कटाई की शुरुआत कर चुके हैं. एक नवंबर से धान की खरीदी भी शुरू हो चुकी है, किसान भाई समर्थन मूल्य में धान बेच रहे हैं और समय पर उन्हें भुगतान भी हो रहा है. वहीं उन्होंने कहा कि आज प्रकाश पर्व का शुभ दिन भी है, गुरुनानक जी की जयंती है, जिनका छत्तीसगढ़ से पुराना नाता रहा है, उनके जुड़ाव के स्थल महासमुंद जिले के गढ़फुलझर को हमने पर्यटन स्थल के रूप में भी विकसित करने का निर्णय लिया है.
छत्तीसगढ़ में कार्तिक पूर्णिमा की विशेष परंपरा
गौरतलब है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन छत्तीसगढ़ में कार्तिक पुन्नी मेला का आयोजन किया जाता है. गांवों में नदी- नदियों के घाट में स्नान करते है. इस दौरान सभी सुबह सुबह दीपदान करते है. इसमें एक और परंपरा है जिसके अनुसार ग्रामीण अंचल में बच्चों को खीर खिलाते है. बच्चे घर घर घूम कर खीर का स्वाद चखते है. ये परंपराएं छत्तीसगढ़ में हर साल निभाई जाती है.