Muria Darbar Ritual of Bastar Dusshera: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Bhupesh Baghel) ने बस्तर में 173 करोड़ 28 लाख रुपए की लागत से 90 विकास कार्यों का लोकार्पण और शिलान्यास किया. उन्होंने मुरिया विद्रोह के जननायक झाड़ा सिरहा की आदमकद प्रतिमा का भी अनावरण किया. मुख्यमंत्री बघेल गुरुवार को 75 दिनों तक चलने वाले विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा पर्व के मुरिया दरबार रस्म में शामिल होने पहुंचे थे.


मुरिया दरबार बस्तर दशहरा पर्व की एक प्रमुख परंपरा है. परंपरा का निर्वहन पिछले 600 वर्षों से किया जा रहा है. माना जाता है कि बस्तर महाराज राजमहल परिसर से करीब 500 मीटर की दूरी पर सीरासार के पास दरबार लगाते थे. दरबार में महाराज बस्तर दशहरा समिति के प्रमुख माझी, चालकी, मेम्बर, मेम्बरीन और ग्रामीणों की समस्या सुनकर निराकरण भी करते थे. 


रियासतकाल से है मुरिया दरबार की परंपरा 


समय के साथ राजा महाराजाओं का दौर खत्म हुआ और परंपराओं में भी बदलाव आया. अब ग्रामीणों और माझी, चालकियों की समस्याएं शासन प्रशासन के लोग सुनते हैं. मुख्यमंत्री खुद मुरिया दरबार में शामिल होने आते हैं. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने मुरिया दरबार में शामिल होकर दशहरा पर्व को अच्छे तरीके से संपन्न कराने पर समिति को बधाई दी. उन्होंने समिति के अध्यक्ष और बस्तर सांसद दीपक बैज की मांग पर बड़ी घोषणा की. उन्होंने कहा कि अगले साल से समिति के सभी सदस्यों, रथ कारीगरों और सभी प्रमुखों को दशहरा पर्व पर नए कलेवर में नजर आने के लिए 5 लाख रुपए मिलेंगे.


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माझी और चालकी अव्यवस्था से हुए नाराज


हालांकि इस बार मुरिया दरबार में व्यवस्था से माझी, चालकी नाराज दिखाई दिए. माझी, चालकियों ने कहा कि बस्तर दशहरा का बजट 85 लाख रुपये है. लेकिन बजट के मुताबिक मुरिया दरबार की व्यवस्था नजर नहीं आई. उन्होंने अगली बार से व्यवस्था पूरी तरह दुरुस्त रखने की अपील. उन्होंने कहा कि दरबार में रियासतकाल से ही मांझी, चालकियों की राजा, महाराजा और अब शासन प्रशासन सुनता आया है. लेकिन इस बार बात रखने के लिए ना ही सीएम के सामने माइक दिया गया और ना ही  बात रखने का मौका मिला. 


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