Chhattisgarh: सीएम भूपेश बघेल बोले- 'छत्तीसगढ़ सरकार ने गाय और बैल दोनों के जतन का जिम्मा उठाया', लोगों से की ये अपील
मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार ने गाय और बैल दोनों के जतन का जिम्मा उठाया है. उन्होंने लोगों से आवारा मवेशियों की सुरक्षा के लिए खास अपील की है.
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छत्तीसगढ़ में पंडित प्रदीप मिश्रा की कथा सुनने के लिए लाखों की संख्या में श्रद्धालु रायपुर पहुंच रहे हैं. शिव महापुराण के आखिरी दिन रविवार को भी लाखों की संख्या में श्रद्धालु मौजुद थे. इस दौरान छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी पहुंचे. मुख्यमंत्री ने पंडित प्रदीप मिश्रा का आशीर्वाद लिया है. इसके बाद मुख्यमंत्री ने श्रद्धालुओं को संबोधित किया है.
मुख्यमंत्री बघेल ने हर हर महादेव का जयकारा लगाते हुए कही ये बात
मुख्यमंत्री बघेल ने हर हर महादेव का जयकारा लगाते हुए श्रद्धालुओं से कहा कि आप सभी पिछले एक सप्ताह से बहुत अच्छा शिवकथा महापुराण सुन रहे है. यहां लाखों लोग रोज आ रहे हैं, मैं आप सब को नमन करता हूं. उन्होंने कहा कि आप सभी देवाधिदेव महादेव के बारे में प्रसिद्ध कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा जी से कथा सुन कर रहे है. महादेव सबसे बड़े अवघड़ दानी, ज्ञानी और ध्यानी है. महादेव ने ही दुनिया में सबसे पहले विवाह नाम की संस्था को स्थापित किया, सबसे पहले संगीत की रचना की और सबसे पहले नृत्य की रचना की, जिनके तांडव नृत्य से हम सभी बखूबी परिचित है.
बिना शिव के ना तो राम की कथा हो सकती है और ना ही कृष्ण की
मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि भगवान शिव सभी दिशाओं में स्थित है. भगवान राम ने जहां उत्तर से दक्षिण की ओर यात्रा की भगवान कृष्ण ने उत्तर से पश्चिम की ओर यात्रा की है. लेकिन एकमात्र शिव देश के हर प्रत्येक कोने में विराजमान है. गांव गांव में शिव विराजमान है कोई उन्हें शिव कहते हैं.
कोई शंकर, कोई महादेव, कोई बूढ़ादेव तो कोई बड़ा देव लेकिन प्रत्येक रूप में शिव की ही पूजा करते है. बिना शिव के ना तो राम की कथा हो सकती है और ना ही कृष्ण की. शिव के बिना किसी का गुजारा संभव नहीं है, इसीलिए आज कथा सुनने लाखों की तादाद में आप सभी यहां उपस्थित है.
नंदी को आज आवारा पशु के रूप में छोड़ दिया जाता है
मुख्यमंत्री बघेल ने आगे कहा कि भगवान शिव के हाथों में जहां डमरु है, त्रिशूल है, वहीं गले में सांप की माला और नंदी का भी विशेष स्थान है. मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि यह दुखद है कि नंदी को आज आवारा पशु के रूप में छोड़ दिया जाता है, गाय दूध देती है इसलिए उसका पालन किया जाता है. हमारी छत्तीसगढ़ सरकार ने गाय और बैल दोनों के जतन का जिम्मा उठाया है. वर्तमान समय में जहां पंजाब, उत्तर प्रदेश, हरियाणा जैसे राज्यों में पराली जलाने से पर्यावरण प्रदूषित होने की समस्या रहती है, वहीं छत्तीसगढ़ में हमने लोगों से पैरा दान करने की अपील की है ताकि पर्यावरण प्रदूषित भी न हो और आवारा मवेशियों को गौठानों की सहायता से चारा की उपलब्धता बनी रहे.
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