Chhattisgarh Solar Dryer: छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बड़ी घोषणा करते हुए यह एलान किया है कि छत्तीसगढ़ के गौठानों में अब सोलर ड्रायर लगाया जाएगा. धमधा और पत्थलगांव में टमाटर के बड़े पैमाने पर उत्पादन को देखते हुए इन क्षेत्रों के गौठानों में टमाटर को सूखा कर विक्रय का काम प्रारंभ किया जा सकता है. इसी तरह अन्य स्थानों में छत्तीसगढ़ की भाजियों को सूखा कर उनके विक्रय की शुरूआत की जा सकती है. इस नये कार्य से भी किसानों और समूहों की आय बढ़ेगी.
यहां टमाटर का उत्पादन सबसे ज्यादा
मुख्यमंत्री ने कहा कि दुर्ग के धमधा और जशपुर के पत्थलगांव में टमाटर के बड़े पैमाने पर उत्पादन को देखते हुए इन क्षेत्रों के गोठानों में टमाटर को सुखाकर विक्रय का काम प्रारंभ किया जाएगा. इसी तरह अन्य स्थानों में छत्तीसगढ़ की भाजियों को सुखाकर उनके विक्रय की तैयारी की जा रही है. इससे किसानों और समूहों की आय बढ़ेगी.
'गोधन न्याय योजना का देश भर में बज रहा डंका'
गोधन न्याय योजना के हितग्राहियों के खातों में आनलाइन राशि भेजने के लिए आयोजित वर्चुअल कार्यक्रम में मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि गोधन न्याय योजना और रूरल इंडस्ट्रियल पार्क ग्रामीणों को आय और रोजगार उपलब्ध कराने की एक सफल योजना के रूप में जल्द ही देश और दुनिया के सामने होगी. इन योजनाओं को भारी समर्थन मिल रहा है. ग्रामीण नए-नए उद्यम स्थापित करने की मांग कर रहे हैं. स्थानीय संसाधनों और बाजार की मांग के अनुरूप ग्रामीणों और स्व-सहायता समूहों को उपयोगी और लाभप्रद लघु और कुटीर उद्योग स्थापित करने के लिए सहायता उपलब्ध कराई जानी चाहिए.
7 करोड़ रुपये से अधिक गोबर विक्रेताओं के खाते में पहुंचे
मुख्यमंत्री ने गोपालकों, गोबर विक्रेताओं, गोठान समितियों और महिला स्व- सहायता समूहों को 7.5 करोड़ रुपये की राशि का अंतरण किया. उन्होंने 16 से 31 दिसंबर तक गोठानों में खरीदे 2.29 लाख क्विंटल गोबर के एवज में उनके खाते में चार करोड़ 59 लाख, गोठान समितियों को 1.46 करोड़ और महिला समूहों के खाते में एक करोड़ रुपया भेजा.
गोठानों में शुरू होगी पेंट बनाने की यूनिट
प्रदेश के 25 जिलों के 37 गोठानों में गोबर से प्राकृतिक पेंट बनाने की 37 यूनिटें इस माह के अंत तक स्थापित हो जाएंगी. वर्तमान में रायपुर और दुर्ग जिले में 2-2 और कांकेर में एक प्राकृतिक पेंट बनाने की यूनिट है. 8997 लीटर उत्पादित प्रकृतिक पेंट में से 3307 लीटर की बिक्री से स्व-सहायता समूहों को सात लाख दो हजार रुपये की आमदनी हुई है.
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