वीर सावरकर पर राहुल गांधी के बयान को लेकर जारी विवाद में छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल भी शामिल हो गए हैं. छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने शुक्रवार को कहा कि वीर सावरकर को दो भागों में देखा जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता सेनानी जेल जाने से पहले एक क्रांतिकारी थे. उन्होंने दावा किया कि जेल में बंद रहने के दौरान सावरकर ने माफी मांगी थी और उन्होंने ऐसा काम किया जो "उनकी क्रांतिकारी छवि के विपरीत" था. सावरकर पर राहुल गांधी की टिप्पणी को लेकर चल रहे विवाद के बीच मुख्यमंत्री की यह टिप्पणी सामने आई है, जिसमें उन्होंने दावा किया था कि उन्होंने स्वतंत्रता से पहले अंग्रेजों से माफीनामे पर हस्ताक्षर करके महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू और सरदार पटेल जैसे नेताओं को धोखा दिया था. 


देश में एक बार फिर स्वतंत्रता सेनानी विनायक दामोदर सावरकर को लेकर विवाद छिड़ गया है. सांसद राहुल गांधी ने सावरकर द्वारा अंग्रेजों से माफी मांगने का दावा किया है. इसके बाद कांग्रेस के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी राहुल गांधी के समर्थन में बयान दिया है. उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता सेनानी बालगंगाधर तिलक, महात्मा गांधी हो या भगत सिंह किसी ने अंग्रेजों से माफी नहीं मांगी लेकिन सावरकर ने अंग्रेजों से माफी मांगी है.



सावरकर पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का बयान


दरअसल मुख्यमंत्री भूपेश बघेल आज महाराष्ट्र के लिए रवाना हुए. इससे पहले उन्होंने रायपुर एयरपोर्ट में मीडिया से बातचीत की है. उन्होंने सावरकर को लेकर कहा कि अगर सावरकर को देखना है तो दो हिस्सों में देखना होगा. जेल जाने के पहले के सावरकर क्रांतिकारी थे और उसके बाद वह लगातार माफी मांगते रहे. उन्होंने इंग्लैंड और फिर यहां आकर क्रांतिकारी कदम उठाए लेकिन जेल जाने के बाद उनका दृष्टिकोण बिलकुल बदल गया.


मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आगे बताया कि आजादी की लड़ाई के दौरान कई लोग जेल गए. बाल गंगाधर तिलक ने कभी माफी नहीं मांगी ना ही सरदार पटेल,भगत सिंह, महात्मा गांधी, पंडित नेहरू ने मांगी. सावरकर दो रूप में देखे गए. जेल जाने से पहले क्रांतिकारी और जेल में उन्होंने माफी मांगी.


राहुल गांधी ने सावरकर को बताया बीजेपी और आरएसएस का प्रतीक


गौरतलब है कि भारत जोड़ो यात्रा के दौरान कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने दावा किया है कि सावरकर ने अंग्रेजों को माफीनामा लिखा है. राहुल गांधी ने कहा कि सावरकर बीजेपी और आरएसएस के प्रतीक हैं. अंडमान निकोबार में उन्हें 2- 3 साल की जेल हुई थी. उन्होंने दया याचिकाएं लिखनी शुरू कर दी थी. सावरकर ने खुद पर एक अलग नाम से एक किताब लिखी थी और बताया था कि वह कितने बहादुर थे. सावरकर अंग्रेजों से पेंशन लेते थे, उनकी लिए काम करते थे.


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