Chhattisgarh: आरक्षण बिल टलने पर भड़के सीएम बघेल ने पूछा- क्या राज्यपाल का विधिक सलाहकार विधानसभा से बड़ा है? देखें वीडियो
Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल ने आदिवासी आरक्षण के मुद्दे पर बात करते हुए राज्यपाल अनुसुइया उइके पर निशाना साधा है. देखें ये वीडियो.
Chhattisgarh Latest News: छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल ने आदिवासी आरक्षण के मुद्दे पर रायपुर में सोमवार को मीडिया से बात करते हुए राज्यपाल अनुसुइया उइके पर निशाना साधा है. उन्होंने आरक्षण बिल को टालने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि जिस प्रकार से राज्यपाल लगातार आरक्षण मामले को टालने की कोशिश कर रही हैं. सीएम बघेल ने कहा कि राज्यपाल के विधिक सलाहकार विधानसभा से बड़े हो गए हैं क्योंकि विधानसभा में आरक्षण का बिल सर्वसम्मति से पारित हुआ था.
सीएम भूपेश बघेल ने कहा कि संवैधानिक संस्थाओं को कमजोर करने का ये जीता जागता उदाहरण है. दरअसल छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से आरक्षण बिल को हस्ताक्षर के लिए राजभवन भेजा गया था लेकिन अभी तक राज्यपाल ने हस्ताक्षर नहीं किया है बजाय इसके राज्यपाल ने इस संबंध में छत्तीसगढ़ सरकार से कई सवाल किये थे. हालांकि इसका छत्तीसगढ़ सरकार ने जवाब दे दिया है.
इसे लेकर बीजेपी और कांग्रेस में आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है. बीते दिनों आरक्षण बिल पर राज्यपाल अनुसुइया उइके ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से बातचीत की थी. राज्यपाल ने पिछले दिनों सरकार से 10 बिंदुओं में सवाल पूछे थे. इस पर जवाब भेज दिया गया है. लेकिन अभी भी आरक्षण बढ़ाने के विधेयक को मंजूरी मिलेगी या नहीं इस पर संशय बरकरार है.
दरअसल पिछले एक सप्ताह से राजभवन की तरफ से सरकार को भेजे गए सवाल पर सियासी बवाल मचा हुआ था. सरकार की तरफ से कहा जा रहा था कि ये वैधानिक प्रक्रिया के खिलाफ है. पर सरकार की तरफ फिलहाल जवाब भेज दिया गया है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि संविधान में ऐसी व्यवस्था नहीं है फिर भी जानकारी दे दी गई है. अब राज्यपाल को विधेयक पर हस्ताक्षर करने में देरी नहीं करनी चाहिए.
वहीं दूसरी ओर बीजेपी ने सरकार तरफ से भेजे गए जवाब को सार्वजनिक करने के लिए कहा है. बीजेपी के विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि जैसा गफलत में विधानसभा में विधायक पारित करा लिया. जवाब संतुष्टिपूर्ण नहीं होंगे तो राज्यपाल क्या निर्णय लेंगी उनके विवेक के ऊपर है. ये सरकार आरक्षण नहीं चाहती है. आरक्षण के नाम पर एसटी, एससी और ओबीसी समाज को गुमराह किया जा रहा है और आगे उन्होंने कहा कि जो जवाब भेजा गया है उसे सार्वजनिक किया जाना चाहिए.
यह भी पढ़ें: