CM Bhupesh Baghel Visit Jhiram Ghati: बस्तर जिले के दरभा झीरम घाटी में हुए  देश के सबसे बड़े राजनीतिक नक्सली हमले के 10वीं बरसी पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल आज 25 मई को बस्तर पहुंचे. उन्होंने शहर के लालबाग में बनाये गए झीरम शहीद स्मारक में इस घटना में शहीद हुए कांग्रेसियों को श्रद्धांजलि दी. इसके साथ ही शहीदों के परिजनों से मुलाकात कर उन्हें साल और श्रीफल भेंट किया. साथ ही  शहीदों की याद में 2 मिनट का मौन रखा, मुख्यमंत्री ने  झीरम श्रद्धांजलि दिवस के मौके पर शहीद स्मारक में मौजूद लोगों को छत्तीसगढ़ को पुनः शांति का टापू बनाने की शपथ दिलाई. 


मुख्यमंत्री ने कहा कि झीरम की घटना को 10 साल पूरे हो गए हैं, लेकिन शहीद के परिजनों को आज तक न्याय नहीं मिल पाया है. झीरम घाटी में नरसंहार को अंजाम देने वाले गुनहगार पकड़े नहीं गए हैं. मुख्यमंत्री ने कहा कि जब तक शहीद के परिजनों को न्याय नहीं मिल जाता तब तक न्याय दिलाने का हमारा प्रयास जारी रहेगा.


एनआईए ने रोक रखी है SIT की जांच 
दरअसल जगदलपुर शहर के लालबाग में बने झीरम शहीद स्मारक में  कांग्रेसियों और जवानों की प्रतिमा में फूल चढ़ाने के बाद ,श्रद्धांजलि सभा के दौरान मुख्यमंत्री भावुक हो गए. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बताया कि 25 मई 2013 को जब कांग्रेस के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार पटेल के नेतृत्व में सुकमा में परिवर्तन यात्रा सभा करने के बाद जब कांग्रेस का काफिला वापस जगदलपुर की ओर लौट रहा था, तभी दरभा झीरम घाटी  में नक्सलियों ने पहले ब्लास्ट किया. नक्सलियों ने काफिले पर गोलियों की बौछार कर दी. जिसके बाद नंदकुमार पटेल, दिनेश पटेल और महेंद्र कर्मा की जानकारी लेते हुए इन तीनों को पकड़ने के बाद निर्मम तरीके से इनकी हत्या कर दी.


इस घटना की NIA के द्वारा जांच चल रही है, लेकिन 10 साल बीत जाने के बाद भी अब तक इसकी जांच रिपोर्ट सामने नहीं आयी है. जस्टिस प्रशांत मिश्रा की अध्यक्षता में न्यायिक जांच आयोग भी गठित की गई. छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद SIT जांच टीम का भी गठन किया गया, लेकिन न्यायिक जांच आयोग के साथ SIT की जांच पर भी NIA ने केंद्र सरकार की साजिश के तहत रोक लगा दी है. मुख्यमंत्री ने आरोप लगाते हुए कहा कि झीरम घाटी घटना पूरी तरह से राजनीतिक आपराधिक षड्यंत्र है. हम लगातार इसकी जांच की मांग करते रहे, लेकिन उस वक्त भी कोई सहयोग नहीं किया.


प्रधानमंत्री के कहने के बाद भी नहीं हुआ जांच
खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपने छत्तीसगढ़ के धमतरी प्रवास के दौरान कहा था कि 15 दिनों के अंदर झीरम घाटी हमले का अपराधी अंदर होगा, लेकिन आज तक शहीदों को न्याय नहीं मिल पाया है. मुख्यमंत्री ने कहा कि कितने बार मैंने एनआईए को पत्र लिखकर जांच रिपोर्ट मांगा, लेकिन उन्होंने जांच रिपोर्ट नहीं दी. मुख्यमंत्री ने कहा कि जानकारी सबको है कि इस घटना से किसको लाभ मिला, घटना के 10 साल बाद भी इस घटना की सच्चाई सामने आने नहीं देना चाहते हैं, मुख्यमंत्री ने कहा कि अगर केंद्र में कांग्रेस की सरकार बनेगी तो जरूर झीरम घाटी हमले की सच्चाई सामने आएगी और गुनहगारों को सजा भी मिलेगी.


नक्सली लीडर रमन्ना व गणपति का नाम हटाया गया
वहीं मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि 25 मई 2013 को हुए झीरम घाटी हमले के बाद साल 2014 अगस्त माह तक इस घटना के मास्टरमाइंड कहे जाने वाले नक्सली लीडर गणपति और रमन्ना का भी NIA के चार्जशीट में नाम था. इसके बाद सितंबर महीने में इन दोनों के नाम हटा दिए गए. उन्होंने कहा कि जानबूझकर गणपति ,रमन्ना को बचाया जा रहा है. क्योंकि अगर वह पकड़ा में आ जाते और उनके बयान सामने आते तो घटना की सच्चाई सबके सामने आ जाती.


केंद्र में बैठी बीजेपी सरकार जानबूझकर अपने लोगो को बचाने का काम कर रही है. इस मामले में एनआईए से लेकर न्यायिक जांच आयोग और SIT जांच पर जानबूझकर बार - बार रोक लगा रही है. मुख्यमंत्री ने कहा कि जब तक शहीद के परिजनों को न्याय नहीं मिल जाता इस घटना की सच्चाई सामने नही आ जाती तक तब कांग्रेस की लड़ाई जारी रहेगी. जिस दिन केंद्र में कांग्रेस की सरकार बनेगी उस दिन झीरम घाटी घटना की सारी सच्चाई सामने आ जाएगी.


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