Bore Basi Diwas: 1 मई को सीएम बघेल श्रमिकों के साथ खाएंगे बोरे बासी, खासियत जानकर रह जाएंगे दंग
Chhattisgarh News: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की पहल पर एक मई को अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस के अवसर पर श्रमिकों के सम्मान में राज्य में बोरे बासी तिहार का आयोजन किया जा रहा है.
Raipur News: अपनी संस्कृति और अपने खानपान के लिए छत्तीसगढ़ भारत में अपनी एक खास पहचान रखता है. तीज-त्योहारों और कला परंपराओं के साथ-साथ छत्तीसगढ़ का खान-पान भी लोगों को खूब लुभाता है. छत्तीसगढ़ के प्रमुख व्यंजनों में जिनका नाम लिया जाता है उनमें ठेठरी, चीला, फरा, खुर्मी के साथ बोरे-बासी का नाम भी शामिल है.
पिछले साल देशभर में जमकर बोरे-बासी की चर्चा हुई थी. दरअसल छत्तीसगढ़ में गर्मी के दिनों में ग्रामीण क्षेत्रों में बासी खाने का कल्चर है. इसलिए राज्य सरकार ने श्रमिक दिवस के दिन बोरे बासी दिवस मनाने का निर्णय लिया है.
कैसे बनता है बोरे बासी
दरअसल 1 मई को राज्य में बोरे बासी दिवस मनाया जाएगा. इसके लिए राजधानी रायपुर में बड़ी तैयारी की जा रही है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल श्रमिकों के साथ बोरे बासी खायेंगे. आपको बता दें कि असल में बोरे और बासी दो तरह के व्यंजन हैं लेकिन हैं एक ही. पके हुए चावल को पानी में डूबोकर यह व्यंजन तैयार किया जाता है और दही, अथान पापड़, चटनी, बिजौरी, भाजी जैसी चीजों के साथ इन्हें खाया जाता है. बोरे जब कुछ घंटा पुराना हो जाता है तो वही बासी कहलाता है.
गर्मी के मौसम में लू से बचाने का काम करता है बोरे बासी
आपको बता दें कि छत्तीसगढ़ की संस्कृति में बोरे-बासी रचा-बसा है. यह लोगों के खान-पान में इस कदर शामिल है कि यहां के लोकगायन ददरिया और नाटकों में भी बोरे बासी का विवरण मिलता है. ग्रामीणों का मानना है कि बोरे बासी जहां गर्मी के मौसम में ठंडक प्रदान करता है, वहीं पेट विकार को दूर करने के साथ ही पाचन के लिए यह गुणकारी भोजन है.
बोरे बासी को पौष्टिक आहार माना जाता है. गर्मी के मौसम में जब तापमान अधिक होता है तब बोरे बासी विशेष तौर पर खाई जाती है. यह लू से बचाने का काम करती है. बोरे-बासी में प्रचुर मात्रा में पानी होता है. उल्टी, दस्त जैसी बीमारियों में यह शरीर में पानी की कमी को दूर करती है.
रात के बचे चावल से बनाया जाता है बोरे बासी
चाहे अमीर हो या गरीब सभी के घरों में बोरे-बासी को बड़े चाव से खाया जाता है. मेहमानों को भी इसे परोसा जाता है. आमतौर पर घरों में पके हुए बचे चावल के सदुपयोग के लिए बोरे बासी तैयार की जाती है. इसके गुणकारी महत्व को देखते हुए इसे खाने का प्रचलन है. ग्रामीण क्षेत्रों में यदि घर में कोई मेहमान या कोई व्यक्ति आ जाये तो वह भूखा न जाए.
सुबह जब लोग काम पर जाएं तो उसके लिए तात्कालिक तौर पर भोजन की व्यवस्था हो जाए इसी उद्देश्य से छत्तीसगढ़ में परिवार के निश्चित सदस्यों से अधिक खाना बनाने का रिवाज प्रचलित है.
बड़े बड़े होटलों में भी परोसा जाता है बोरे-बासी
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की पहल पर एक मई को अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस के अवसर पर श्रमिकों के सम्मान में राज्य में बोरे बासी तिहार का आयोजन किया जा रहा है. इसके अलावा बोरे बासी की लोकप्रियता इतनी बढ़ गई है कि छत्तीसगढ़ के बड़े होटलों के मेन्यू में भी बोरे बासी को शामिल किया गया है. अन्य राज्यों से आने वाले लोगों को छत्तीसगढ़ के खान-पान की विशाल रेंज अब होटलों में मिल रही है.
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