Raipur News: छत्तीसगढ़ में आरक्षण बढ़ाने के विधेयक को लेकर सरकार और राजभवन के बीच घमासान जारी है. राज्यपाल अनुसुइया उइके (Anasuya Uikey) आरक्षण विधेयक पर सरकार के जवाब के इंतजार में है. वहीं दूसरी तरफ अब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Bhupesh Baghel) ने जवाब भेजने का बात कह दी है, लेकिन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस विधेयक को राज्यपाल की जिद बताया है. इसके साथ ही सीएम ने कहा कि ये विधेयक उनके अधिकार क्षेत्र से बाहर है. इस बयान ये साफ हो जाता है कि राजभवन और सरकार के बीच जमकर नोक झोंक हो रही है. इससे छत्तीसगढ़ के युवाओं का भविष्य खतरें में आ गया है.
राज्यपाल ने कहा सरकार के जवाब के विचार करूंगी
दरअसल, राज्यपाल अनुसुईया उइके बुधवार रात को दिल्ली में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात कर रायपुर लौट आई हैं. इस दौरान राज्यपाल ने रायपुर एयरपोर्ट में मीडिया से बातचीत की है और अपना रुख सामने रखा है. राज्यपाल ने कहा कि मेरे विधि सलाहकार ने जो मुझे अभिमत दिया था, उसके आधार पर मैंने शासन को प्रश्न भेजा है. उसका जवाब जैसे ही आता है. मैं उसके लिए विचार करूंगी.
सरकार राज्यपाल को भेजेगी जवाब
गुरुवार को रायपुर में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने जवाब भेजने की बात मानी है, लेकिन उन्होंने राज्यपाल को जिद्दी बताया है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि ये(राज्यपाल) उसी पर अड़े हुए हैं, तो हम जवाब भेज देंगे. भेजने में कितना देर लगता है, लेकिन उसके अधिकार क्षेत्र से बाहर है. जो चीज विधानसभा से पारित हो चुका है उसमे विभाग थोड़ी जवाब देगा, लेकिन यदि अपने हठधर्मिता पे अड़े हुई हैं और नियम से बाहर जाकर काम करना चाहते है तो हमे कोई तकलीफ नहीं है. प्रदेश के हित में बच्चों के भविष्य को लेकर किसी प्रकार का अड़ंगा नहीं होने देंगे. वो चाहती है कि उनकी जिद पूरी हो तो हम जवाब भिजवा देंगे.
सीएम ने राज्यपाल पर बताया बीजेपी का दबाव
इसके बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राज्यपाल पर फिर से बीजेपी का दबाव का जिक्र किया है. उन्होंने कहा, "राज्यपाल पहले तैयार थी, उन्हीं के कहने पर विशेष सत्र बुलाया गया था. बोले एक मिनट नहीं लगेगी हस्ताक्षर करने में, अब पता नहीं किसका फोन आया? एकात्म परिसर से किसकी पर्ची आई. उसके बाद रुक गया है. आज 20 दिन हो गया है रुके ये उचित तो है नहीं." इसके साथ सीएम बघेल ने राज्य में रुकी सरकारी भर्तियों को लेकर भी जानकारी दी है. उन्होंने कहा कि बहुत सारी भर्तियां होनी हैं. उसमे वो (आरक्षण संशोधन विधेयक) लागू होना है. अब उनको हस्ताक्षर कर देना चाहिए मुझे लगता है इतने दिनों में सब क्लीयर हो चुका होगा.
76 प्रतिशत आरक्षण पर विवाद जारी
गौरतलब है 19 सितंबर को बिलासपुर हाईकोर्ट ने राज्य में 58 प्रतिशत आरक्षण को निरस्त कर दिया था. इसके बाद आदिवासी समाज ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. रोजाना सड़कों पर प्रदर्शन होने लगे तब सरकार विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर 2 दिसंबर को राज्य में एसटी ओबीसी और जनरल का आरक्षण बढ़ाने का विधेयक पारित किया. इसके बाद राज्य में आरक्षण का प्रतिशत 76 प्रतिशत हो गया, लेकिन राज्यपाल ने इस विधेयक को मंजूरी नहीं दी है. इसके बाद सरकार और राजभवन के बीच टकराव जारी है.