Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के जिलों में बीच बाजार और मुख्य सड़कों के साथ-साथ नेशनल हाईवे में घूम रहे आवारा मवेशियों के धर पकड़ के लिए कांग्रेस कार्यकाल में शुरू की गई 'रोका-छेका योजना' बस्तर में दम तोड़ती नजर आ रही है. यहां आलम यह है कि सड़कों में इन आवारा मवेशियों की वजह से लगातार सड़क हादसे बढ़ रहे हैं. जिसमें लोगों के घायल होने के साथ-साथ मवेशियों की भी मौत हो रही है.


बस्तर के साथ-साथ रायपुर-बिलासपुर मार्ग में भी मवेशियों के सड़कों में बैठने की वजह से पिछले कुछ महीनों से सड़क हादसे बढ़ते ही जा रहे हैं. दरअसल कांग्रेस कार्यकाल में इन आवारा मवेशियों के लिए 'रोका छेका अभियान' के तहत गांव और शहरी इलाकों में भी गौठान की व्यवस्था की गई थी. इसके अलावा कांजी हाउस की व्यवस्था की गई थी. 


इसके लिए बकायदा मवेशी मालिकों से जुर्माना भी वसूला जा रहा था, लेकिन प्रदेश में बीजेपी की सरकार बनने के बाद अब यह अभियान बंद हो गया है. साथ ही आवारा मवेशियों के धर पकड़ के लिए भी संबंधित नगर निकायों और ग्रामीण क्षेत्रों में कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है, जिसके चलते राहगीरों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.


लगातार बढ़ रहे हादसे
दरअसल, जब बीजेपी सरकार बनी तो शुरूआती दिनों में इस अभियान को लेकर बस्तर में और खासकर जगदलपुर शहर में नगर निगम अमले ने काम किया. इस दौरान सड़कों में घूम रहे मवेशियों को पकड़कर कांजी हाउस पहुंचाया गया, लेकिन अब यह अभियान पूरी तरह से ठप पड़ा है. इन दिनों मवेशी शहर के मुख्य सड़कों के साथ ही शहर के कई वार्डों और खासकर बाजारों में बड़ी संख्या में नजर आ रहे हैं. आलम यह है कि सड़कों में मवेशियों के होने से आए दिन सड़क दुर्घटनाएं हो रही हैं.


कांग्रेस ने शुरू किया था रोका-छेका अभियान
कांग्रेस सरकार ने 2019 में रोका छेका अभियान की शुरुआत की थी. नगरीय प्रशासन और विकास मंत्रालय ने इसकी गाइडलाइन जारी की थी. शुरुआती महीनों में जगदलपुर नगर निगम की काऊ कैचर गाड़ियां सड़कों और बाजारों में नजर आती थी और घूमते मवेशियों को पकड़कर कांजी हाउस ले जाया जाता था. हालांकि,  प्रदेश में बीजेपी की सरकार बनने के बाद काउ कैचर निगम क्षेत्र और नेशनल हाइवे कही भी नजर नहीं आती है.


वहीं मवेशियों के सड़कों पर जमावड़ा से मवेशी मालिकों से जुर्माना वसूलने का प्रावधान बनाया गया था. जानकरी के मुताबिक  मवेशी मालिकों पर 350 का जुर्माना था, ज्यादातर उन लोगों ने यह जुर्माना अदा कर मवेशी ले जाने में रुचि दिखाई जिनके मवेशी दुधारू थे, बाकी तो कांजी हाउस में झांकने भी नहीं गए. वही अब सड़कों पर बड़ी संख्या में मवेशी घूम रहे हैं, लेकिन मवेशी मालिकों पर भी निगम प्रशासन के द्वारा किसी तरह की कोई कड़ी कार्रवाई नहीं की जा रही है.


कांग्रेस ने बोला हमला
जगदलपुर के पूर्व कांग्रेस विधायक रेखचंद जैन का कहना है कि कांग्रेस कार्यकाल में गौठान और रोका छेका अभियान जैसे कई महत्वाकांक्षी योजनाओं का संचालन किया जाता था. इसके तहत पूरी निगम प्रशासन की टीम मवेशियों को कांजी हाउस और गौठानों में रखने का काम करती थी और मवेशी मालिकों से जुर्माना वसूलने से अपने मवेशियों को सड़कों में और बाजार में छोड़ने का डर बना हुआ रहता था.


इससे सड़क हादसे में भी कमी आई थी, लेकिन बीजेपी सरकार बनने के बाद एक तरफ जहां इस अभियान को ही बंद कर दिया गया, वहीं दूसरी तरफ आवारा मवेशियों की धर पकड़ भी निगम अमले के द्वारा नहीं की जा रही है.


समझाइश के बाद नहीं मान रहे मवेशी मालिक
इस मामले में निगम की महापौर सफिरा साहू का कहना है कि निगम प्रशासन के द्वारा काउ कैचर के माध्यम से शहरी क्षेत्र में घूमने वाले मवेशियों को पकड़ा भी जा रहा है और इन्हें कांजी हाउस में भी रखा जा रहा है, लेकिन कई बार समझाइश के बावजूद भी मवेशी मालिक नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं. हालांकि, इस बार मवेशी मालिकों को चेतावनी दी जाएगी साथ ही उनसे जुर्माना वसूलने के साथ कड़ी कार्रवाई भी की जाएगी.



पांच साल बाद भी बस्तर संभाग के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में नहीं ट्रॉमा सेंटर, जवानों को भी होती है दिक्कत