Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ में कांग्रेस ने जवाहर बाल मंच के जरिए बच्चों को भी पार्टी में जोड़ने की कवायद शुरू कर दी है. इसमें पंचायत स्तर पर 7 से 18 साल तक के किशोर और बच्चों को जवाहर बाल मंच से जोड़ा जाएगा. ये कांग्रेस का बाल संगठन कहलाएगा. इसकी शुरुवात सोमवार को प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर किया गया है. इसमें जवाहर बाल मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष जी.वी. हरि समेत कांग्रेस नेता मौजूद रहें. 


जवाहर बाल मंच पर उठे सवाल
इस अभियान का छत्तीसगढ़ बीजेपी ने पुरजोर विरोध किया है. वहीं सवाल भी उठ रहे हैं की आखर छोटी सी उम्र में ही बच्चों के मन में राजनितिक बीज क्यों बोया जा रहा है. दरअसल इस अभियान को लेकर यह भी कहा जा रहा है की आरएसएस की काट के लिए इस अभियान को शुरू किया गया है. कांग्रेस का कहना है कि बाल मंच के जरिए से इतिहास संस्कृति की व्यापक जानकारी देकर उनका चरित्र निर्माण करेगी और बच्चों को आजादी की लड़ाई और आजादी की लड़ाई के बाद में देश के नव निर्माण के दौर की पूरी जानकारी देना संगठन का उद्देश्य है. बीजेपी ने इसको नकार दिया है. 


कांग्रेस बच्चों के नाम पर कर रही राजनीति -बीजेपी
बीजेपी प्रवक्ता उमेश घोरमोड़े ने कहा कि, छत्तीसगढ़ में कांग्रेस बच्चों के नाम पर राजनीति कर रही है. क्या कांग्रेस छत्तीसगढ़ में निराश हो चुकी है कि प्रदेश के भोले भाले बच्चों का राजनीतीकरण करना चाहती है. बच्चों के जहन में जहर घोलना चाहती है. नाबालिक बच्चो के साथ राजनीतीकरण होगा तो बीजेपी उसका पुरजोर तरीके से विरोध करेगी. 2023 के विधानसभा चुनाव के लिए नव मतदाताओं को रिझाने की कोशिश की जा रही है.


विघटन वाली विचारधारा से नई पीढ़ी को बचाना जरूरी-कांग्रेस
पीसीसी चीफ मोहन मरकाम ने कहा कि, बीजेपी की विघटन वाली विचारधारा के दुष्परिणामों से आने वाली पीढ़ी को बचाने के लिये भी आवश्यक है कि बच्चों में देश की गंगा जमुनी तहजीब के संस्कार डालें जाये. उनका सर्वांगीण विकास तभी होगा जब वे इतिहास की अच्छाई और बुराई का ज्ञान सही ढंग से पायेंगे. जवाहर बाल मंच बच्चों के भविष्य निर्माण और देश के लिए शिक्षित नेतृत्वकर्ता तैयार करने में महती भूमिका निभायेगा.


बच्चों को राजनीति से जोड़ना गलत-शिक्षाविद
शिक्षाविद डॉ जवाहर सूरी शेट्टी ने इस अभियान को लेकर चिंता जाहिर किया है. उनका कहना है कि, कॉलेज में पॉलिटिक्स तो ठीक है लेकिन स्कूल में पॉलिटिक्स लाना एकदम गलत बात है. इस उम्र में बच्चो को किसी नाम के पार्टी की राजनीति से जोड़ना गलत है. राजनीतिक फायदे को बगल में रखा जाए तो भी पाठ्यक्रम में इसका असर पड़ेगा. बच्चो की मूल पढ़ाई में असर पड़ेगा.


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