Chhattisgarh Politics: आरक्षण बढ़ाने पर सरकार और राजभवन में टकराव जारी, कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने राज्यपाल को दे डाला सुझाव
Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ में आरक्षण बढ़ाने को लेकर टकराव जारी है. बघेल सरकार ने दो दिसंबर को आरक्षण बढ़ाने का विधेयक पारित किया था. लेकिन राज्यपाल ने इसे अब तक मंजूरी नहीं दी है.
Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ में दिनों दिन आरक्षण विवाद गहराता ही जा रहा है. सरकार और राजभवन में टकराव अब जाग जाहिर हो गया है. राज्यपाल अनुसुइया उईके ने सरकार से आरक्षण बढ़ाने के आधार को लेकर सवाल पूछ लिया है. इसके जवाब में संसदीय कार्य और कृषि मंत्री रविंद्र चौबे का बड़ा बयान सामने आया है. चौबे ने राजभवन और राज्य सरकार की सीमाएं याद दिला दी है. उनके इस बयान से ये मामला आगे और बढ़ जाएगा. वहीं बीजेपी के अनुसूचित जाति मोर्चा सरकार के खिलाफ आंदोलन की चेतावनी दे रही है. यानी कुल मिलाकर सरकार के आरक्षण बढ़ाने का विधेयक उलझन के भंवर में फंस गया है.
कांग्रेस ने राजभवन के मांग पर उठाये सवाल
दरअसल गुरुवार को कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने रायपुर में मीडिया से बातचीत करते हुए राजभवन के सवाल का जवाब दिया है और राजभवन के सवाल को बीजेपी के दबाव में भेजने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा "महामहिम को सारा अधिकार है वह हमारी संवैधानिक प्रमुख है.सदन में हमने सर्वानुमति से विधेयक पारित किया है. जैसा बयान डॉ. रमन सिंह या बीजेपी नेता दे रहे हैं उसी प्रकार के प्रश्नों को राजभवन सरकार को प्रेषित करता है. यह उचित नहीं है."
कोर्ट में हम किस तरह अपना पक्ष रखेंगे यह पूछना लाजमी नहीं- रविंद्र चौबे
इसके आगे कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने विधेयक को लेकर राज्यपाल को सुझाव देते नजर आए. उन्होंने कहा "अगर विधेयक लौटाना है तो बिंदुओं के साथ लौटाना चाहिए. विधेयक पर पुनर्विचार कराना है तो विधानसभा को लौटाया जाना चाहिए. राज्यपाल राष्ट्रपति और केंद्रीय गृहमंत्री से मार्गदर्शन ले सकती हैं. हमारी मांग है जो विधेयक विशेष सत्र में पारित किया गया उस पर हस्ताक्षर करना चाहिए. राजभवन को जितनी जानकारी देनी चाहिए सभी जानकारियां दे दी गई है. न्यायालय में कौन सा मसला ठहर सकता है इसके बारे में महामहिम को कौन जवाब दे सकता है? न्यायालय, राजभवन और राज्य सरकार की अपनी सीमाएं हैं. न्यायालय में हम किस तरह अपना पक्ष रखेंगे यह पूछना लाजमी नहीं है."
'राज्यपाल ने केवल आदिवासी आरक्षण बढ़ाने के लिए कहा था'
इससे पहले राज्यपाल ने 76 फीसदी आरक्षण बढ़ाने पर बड़ा बयान दिया था. धमतरी में मीडिया से बातचीत करते हुए राज्यपाल ने कहा था "छत्तीसगढ़ में आदिवासी समाज आंदोलन कर रहा था. राज्य में असंतोष था इसलिए मैंने सरकार को विशेष सत्र बुलाने का सुझाव दिया था. मैंने केवल जनजाति समाज के लिए सत्र बुलाने की बात कहीं थी, लेकिन इसमें ओबीसी और अन्य समाज का आरक्षण बढ़ाया है. इससे मेरे सामने ये परिस्थिति आ गई की 58 फीसदी आरक्षण को कोर्ट असंवैधानिक घोषित करता है तो ये बढ़कर 76 फीसदी हो गया! यह केवल आदिवासी जनजाति समाज का ही 20 से 32 फीसद संशोधन होता, तो मेरे लिए तत्काल हस्ताक्षर करने में कोई दिक्कत नहीं थी."
सरकार और राजभवन के बीच टकराव जारी
गौरतलब है 19 सितंबर को बिलासपुर हाईकोर्ट ने राज्य में 58 फीसदी आरक्षण को निरस्त कर दिया था. इसके बाद आदिवासी समाज ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. रोजाना सड़कों पर प्रदर्शन होने लगे तब सरकार विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर दो दिसंबर को राज्य में एसटी ओबीसी और जनरल का आरक्षण बढ़ाने का विधेयक पारित किया. इसके बाद राज्य में आरक्षण 76 फीसदी हो गया, लेकिन राज्यपाल ने इस विधेयक को मंजूरी नहीं दी है. इसके बाद सरकार और राजभवन के बीच टकराव जारी है.