Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ के इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में स्थानीय कुलपति की मांग ने अब राजनीति रूप ले लिया है. प्रदेश में शनिवार को भी नेताओं के बयान सामने आए हैं. इसमें राज्य सरकार की तरफ से कहा जा रहा है कि राज्यपाल राजनीति कर रही हैं. दूसरी तरफ राज्यपाल ने यह आरोप लगाया है कि राज्य के सभी विश्विद्यालयों में एक ही वर्ग के लोगों का बैठाया गया है. 


राजभवन और राज्य सरकार में टकराव


दरअसल बीते कुछ दिनों से छत्तीसगढ़ में स्थानीय कुलपति की मांग को लेकर राजभवन तक इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के प्राचार्य और छात्रों ने प्रदर्शन किया. इसके बाद से ही विवाद गहराया जा रहा है. शनिवार को सीएम भूपेश बघेल ने रायपुर एयरपोर्ट में मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि, छत्तीसगढ़ में प्रतिभा है तो उसे अनदेखा क्यों किया जाना चाहिए. हाल फिलहाल में जितने नियुक्ति हुई है वह तो छत्तीसगढ़ के नहीं थे. सीएम ने आगे सवाल उठाते हुए तंज कसा है. उन्होंने कहा कि हम अपनी मांग नहीं रख सकते क्या..? 


केंद्र सरकार और आरएसएस पर निशाना


वहीं कैबिनेट मंत्री अमरजीत भगत ने भी इस मामले पर केंद्र सरकार और आरएसएस का बिना नाम लिए निशाना साधा है. उन्होंने रायपुर में मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि, सभी लोगों को छत्तीसगढ़ के हित की रक्षा करनी है, कोई भी निर्णय छत्तीसगढ़ के हित को प्रभावित ना करें, इसका ख्याल रखना चाहिए. जब भी ऐसी कोई परिस्थिति बनती है तो दिल्ली वाले और नागपुर वाले सक्रिय हो जाते हैं यहां की व्यवस्थाओं पर अपना निर्णय थोपने की कोशिश करते हैं.


जानें क्या कहती हैं राज्यपाल अनुसुइया उइके?


इधर, विवाद बढ़ने पर राज्यपाल अनुसुइया उइके ने भी मीडिया के सामने अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि ये मेरी संविधानिक जिम्मेदारी है. मेरिट के आधार पर अनुभवी कुलपति की नियुक्ति होगी. स्थानीय कुलपति मांग और राजनीतिक करने के आरोपों पर राज्यपाल ने कहा कि छत्तीसगढ़ में 32 प्रतिशत ट्राइबल जनसंख्या है, 14 प्रतिशत अनुसूचित जाति और पिछड़ा वर्ग भी है. अगर देखा जाए तो छत्तीसगढ़ 14 विश्विद्यालयों में केवल एक ही समाज के कुलपति का दायित्व है. इस बारे में मुझे नहीं कहना चाहिए लेकिन कुलपति स्थानीय हो तो सभी समाज को मौका मिलना चाहिए.


जानें क्या है पूरा मामला ?


गौरतलब है कि इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में कुलपति डॉ. एस. के. पाटिल का कार्यकाल खत्म होने के पहले ही कुलपति चयन के लिए सर्च कमेटी बनाई गई थी. पूर्व केंद्रीय मंत्री अरविंद नेताम की अध्यक्षता वाले इस कमेटी में आनंद मिश्रा और सुब्रत सही ने 4 नामों का पैनल राजभवन भेजा था.लेकिन प्राध्यापकों का आरोप है कि कुलाधिपति ने इस कमिटी और पैनल के नाम को दरकिनार कर दिया है नयी सर्च कमेटी का गठन किया है. इसके अध्यक्ष पूर्व कुलपति अरविंद भाई पाठक को बनाया गया है. विश्विद्यालय के प्रोफेसरों का कहना है कि कमेटी असंवैधानिक रूप से गठित की गई है.


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