Mahashivratri Puja: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) सहित आज पूरे देश में महाशिवरात्रि (Mahashivratri) का पर्व बड़े धूमधाम से मनाया जा रहा है. भक्त भगवान शिव (Lord Shiva) जी के दर्शन करने के लिए कतारों में खड़े हुए हैं. भगवान शिव को जलाभिषेक कर मन्नत मांग रहे हैं. दुर्ग जिला (Durg District) के देवबलोदा गावं (Devbaloda Village) मे स्थित प्राचीन शिव मंदिर (Ancient Shiva Temple) में भी सुबह से ही भक्तों की लाइन लगी हुई है. जहां भक्त भगवान शिव से पापों के प्रायश्चित और सभी मनोकामनाओं के पूरी होने के लिए पूजा अर्चना कर रहे हैं.
केंद्र सरकार द्वारा संरक्षित इस प्राचीन शिव मंदिर का निर्माण 13वीं शताब्दी में कलचुरी युग के राजाओं ने किया था. इस मंदिर से जुड़ी मान्यता है कि, यहां भूगर्भ से शिवलिंग स्वयं ही उत्पन्न हुए हैं. बताया जाता है कि, इस प्राचीन मंदिर का निर्माण एक कारीगर ने छमाशि रात में किया है. साथ ही यह भी मान्यता है कि, इस मंदिर का निर्माण बलुआ पत्थरों से हुआ है. यहां की कलाकृतियों को एक ही तरह के पत्थर में तराश कर पिरोया गया है.
कोरोना की वजह से दो सालों से बंद था महोत्सव
इस पवित्र मंदिर में कोरोना काल की वजह से लगातार दो सालों से महाशिवरात्रि पर देवबलौदा महोत्सव नहीं मनाया गया था. इस साल कोरोना के संक्रमण कम होने की वजह से देवबलौदा महोत्सव मनाया जा रहा है. आज से दो दिनों तक देवबलौदा महोत्सव को भव्यरूप से पूरे उत्साह और श्रद्धा भाव से मनाया जाएगा. यहां दूर दूर से लोग भगवान भोलेनाथ का दर्शन करने के लिए, आज के दिन आते है. साथ ही दो दिनों तक लगने वाले मेले का आनंद लेते है.
भक्तों की मन्नतें यहां होती हैं पूरी
इस मंदिर से जुड़ी एक मान्यता है कि, जो भी भक्त इस मंदिर में आकर भगवान शिव से मन्नतें मांगता है, उनकी मनोकामना जरूर पूरी होती है. यही कारण है कि, आज के दिन इस मंदिर में दूर-दूर से लोग भगवान भोलेनाथ के दर्शन करने और पूजा अर्चना करने के लिए भोर से लाइन लगाकर खड़े रहते है.
मंदिर के चारों तरफ अद्भुत की गई है कारीगिरी
इस मंदिर के चारों तरफ अद्भुत कारीगरी के जरिये खूबसूरती के साथ सजाया गया है. इस मंदिर के चारों तरफ देवी देवताओं के प्रतिबिंब बनाए गए हैं. जिसे देख कर की 12वीं और 13वीं शताब्दी के बीच रहने वाले लोगों की भक्ति, रहन-सहन और उनकी उन्नत भवन निर्माण की कला को समझा जा सकत है. भगवान भोलेनाथ त्रिशूल लेकर नृत्य करते हुए, दो बैलों को लड़ते हुए, नृत्य करते हुए न जाने कई ऐसी कलाकृतियां मंदिर के खूबसूरती में चार चांद लगाने का काम करते हैं.
मंदिर परिसर में है नाग नागिन का जोड़ा
बताया जाता है कि, इस मंदिर प्रांगण में एक नाग नागिन का जोड़ा भी है. पूजा अर्चना करने वालों को कई सालों में दिखाई पड़ता है. कई बार तो लोगों ने इन्हें भगवान भोलेनाथ के शिवलिंग में लिपटे हुए भी देखा है. लोगों का मानना है कि, आज भी है नाग नागिन का जोड़ा इस मंदिर में विचरण करते हैं. हालांकि अभी तक इस नाग नागिन के जोड़े ने कभी किसी को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया है.
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