Ganesh Utsav Special: छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले में स्थित बारसूर गांव को देवनगरी कहा जाता है.यहां एक ही स्थान पर 147 मंदिर है और यह सभी मंदिर सैकड़ो साल पुरानी है. इन मंदिरों में भगवान शिव, भगवान विष्णु, और माता पार्वती की प्राचीन प्रतिमा स्थापित है, और इस देवनगरी में विश्व की तीसरी बड़ी भगवान गणेश की प्रतिमा है. जिसे जुड़वा गणेश कहा जाता है. 


मंदिर मे है भगवान गणेश की जुड़वा प्रतिमां
11वीं शताब्दी में बनाई गई इस प्रतिमा खास बात यह है कि दो मूर्तियों को एक पत्थर बनाया गया  है. जो यहां लोगों में आकर्षण केंद्र बनी हुई हैं.बताया जाता है दुनिया में केवल बारसूर में ही जुड़वा गणेश की प्रतिमा स्थापित है. बताया जाता है कि यह गणेश प्रतिमा हजार साल पुरानी है और एक ही पत्थर में बनाई गई विश्व की पहली जुड़वा गणेश की प्रतिमा है. जिसे देखने के लिए देश ही नहीं बल्कि विदेशों से भी लोग यहां पहुंच रहे हैं.


इस वजह से कहा जाता है देवनगरी
देवनगरी बारसूर गांव दंतेवाड़ा मुख्यालय से 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. इसका गांव का नाम देवनगरी पड़ने के पीछे भी वजह है. दरअसल यहां यहां रियासत काल में 147 तालाब और 147 मंदिरे हुआ करते थे.जो अपने आप में ऐतिहासिक है. इन मंदिरों में जो विशेष मंदिर है वह आज भी मौजूद हैं.जिन्हें पुरातत्व विभाग ने संरक्षण और संवर्धन कर रखा है. उनमें से ही एक भगवान गणेश का मंदिर है. इस मंदिर में भगवान गणेश की विशाल प्रतिमा साढ़े 7 फीट ऊंची है, और दूसरी प्रतिमा साढ़े 5 फीट ऊंची है. यह दोनों मूर्तियां मोनोलिथिक है.यानि कि एक चट्टान को बिना कांटे छांटे और बिना जोड़े तोड़े बनाई गई मूर्तियां है.  


दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी प्रतिमा
इधर एक ही मंदिर में अष्टविनायक की दो प्रतिमाओं का होना अपने आप में ही दुर्लभ है. भगवान की इस प्रतिमा को दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी प्रतिमा माना जाता है. मंदिर पीछे ऐतिहासिक कहानी जुड़ी हुई हैं. ऐसा कहा जाता है कि 11वीं शताब्दी में जब बस्तर में छिंदक नागवंशी राजाओं का राज था. बारसूर के राजा बाणासुर ने मंदिर को बनाया था और गणेश मंदिर को बनाने के पीछे भी अलग विशेषता है. बाणासुर की बेटी उषा और उनके मंत्री कुभांडु की बेटी चित्रलेखा दोनों जिगरी सहेलियां थी और दोनों भगवान गणेश की परमभक्त थी. राजा बाणासुर ने इनके लिए ही एक ही पत्थर में दो विशालकाय गणेश प्रतिमाओं का निर्माण कराया था. जहां हर रोज दोनों पूजा पाठ के लिए आया करती थी.


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