Chhattisgarh: निजी स्कूलों की फीस भरने में अभिभावक असमर्थ, अब कलेक्टर से लगाई ये गुहार
Janjgir-Champa News: जांजगीर-चांपा में अत्यधिक फीस से परेशान गार्जियन कलेक्टर का दरवाजा खटखटा रहे हैं,फीस की रकम ज्यादा होने के कारण गार्जियन फिस देने में असमर्थ हो रहे हैं.
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Chhattisgarh News: 'श्रीमानजी मेरे 3 बच्चे हैं, जो गांव के निजी स्कूल में पढ़ते हैं और इनकी फीस की बकाया राशि 50 हजार हो गई है. मैं असमर्थ हूं. अतः फीस माफ करने की कृपा करें.' यह मजमून जांजगीर-चांपा जिले के कलेक्टर और डीईओ को मिल रहे आवेदनों की है. ऐसे आवेदनों ने 3 साल से आरटीई की राशि नहीं मिलने से परेशान स्कूल संचालकों की समस्या बढ़ा दी है.
इन दिनों कलेक्टर और डीईओ के पास गार्जियन के आवेदनों की भरमार है. सभी गार्जियन अपने बच्चों को निजी स्कूल में पढ़ा रहे हैं, लेकिन विगत कुछ वर्षों से फीस जमा नहीं किए हैं. ज्यादातर गार्जियन ग्रामीण क्षेत्र से हैं. आवेदकों के दो से तीन बच्चे एक ही स्कूल में पढ़ रहे हैं, फीस जमा नहीं होने के कारण अब गार्जियन का विवाद स्कूल संचालकों से बढ़ गया है. फीस की रकम ज्यादा होने के कारण गार्जियन इसे भरने में असमर्थ हो रहे हैं. इसके चलते बच्चों को निजी स्कूल से निकाल कर किसी दूसरे या सरकारी स्कूल में डालना चाह रहे, जिसके लिए उन्हें बच्चों की टीसी की आवश्यकता है.
फीस देने में असमर्थता जता रहे हैं
वहीं फीस जमा नहीं होने के कारण स्कूल संचालक बच्चों की टीसी नहीं निकाल रहे हैं. फीस से मुक्ति चाहने वाले गार्जियन अब कलेक्टर का दरवाजा खटखटा रहे हैं और अपनी आर्थिक स्थिति का हवाला देते हुए फीस जमा करने में असमर्थता जता रहे हैं और फीस माफी की गुहार लगा रहे हैं. फीस माफी की गुहार लगाने के पहले गार्जियन स्कूल संचालकों से टीसी लेने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन विवाद की स्थिति में अधिकारियों की शरण ले रहे हैं. ऐसे मामलों के निराकरण करने में अधिकारी भी असमंजस की स्थिति में है. सभी निजी स्कूल संचालकों को डीईओ कार्यालय बुलाया जा रहा है और मामले का समाधान खोजने का प्रयास किया जा रहा है.
क्रीड़ा व अन्य शुल्क पटा रहे संचालक
फीस माफी को लेकर गार्जियन द्वारा लगाए गए आवेदन के निराकरण करने डीईओ कार्यालय पहुंचे निजी स्कूल संचालकों ने बताया कि गार्जियन फीस नहीं दे रहे, लेकिन बच्चों की दर्ज संख्या के हिसाब से उन्हें शासन को क्रीड़ा शुल्क सहित कई तरह के अन्य फीस सत्र के दौरान ही जमा करना होता है. इस तरह के शासकीय शुल्क संचालक अपनी जेब से भरते हैं.
कोरोना से बढ़ा मुफ्तखोरी का चलन
कोरोना के दौरान करीब दो साल के स्कूल फीस शासन द्वारा माफ करने के फरमान का असर अभिभावकों पर विपरीत पड़ रहा है. इस विषय में जानकारों का कहना है कि कोरोना के दौरान हुए फीस माफी के बाद अब गार्जियन को फीस अदा करना अखर रहा है. अभिभावक जानबूझकर फीस रोक रहे हैं और ज्यादा होने पर माफी की बात कह रहे हैं. वहीं स्कूल संचालक आधे फीस पर भी राजी होने की बात कह रहे, लेकिन अभिभावक फीस के नाम पर कुछ भी देने राजी नहीं हो रहे हैं, जिससे अधिकारी भी इसका समाधान नहीं तलाश पा रहे हैं.
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