Chhattisgarh News: जिला कलेक्टर ने स्कूल के साथ इन जगहों का किया औचक निरीक्षण, खुद खाना चखकर की गुणवत्ता की जांच
Chhattisgarh News: कोरिया जिले के कलेक्टर कुलदीप शर्मा जिले के स्कूल, अस्पतालों और आंगनबाड़ी केन्द्रों के औचक निरीक्षण किया. इस दौरान मिड माल को चख कर उसकी जांच की और कर्मचारियों को कई निर्देश दिए.
Korea: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के कोरिया जिले (Korea District) के कलेक्टर इन दिनों लगातार ग्रामीण इलाको का दौरा कर रहे हैं. स्कूल कॉलेज, अस्पताल, गौठानों के निरीक्षण के अलावा ग्रामीण क्षेत्र में निवास करने वाले लोगों से बातचीत कर शासन के योजनाओं का लाभ मिल रहा है या नहीं, इसकी जानकारी ले रहे है. इसी सिलसिले में आज कलेक्टर कुलदीप शर्मा (Kuldeep Sharma), जिला सीईओ कुणाल दुदावत के साथ पूर्व माध्यमिक शाला बोड़ार के औचक निरीक्षण पर पहुंचें, जहां उन्होंने मिड डे मील (Mid Day Meal) की गुणवत्ता की जांच की.
इस दौरान कलेक्टर और सीईओ ने स्कूली बच्चों के साथ बैठकर मध्यान्ह भोजन का लुत्फ उठाया. भोजन में मेनू के हिसाब से बच्चों को चना-आलू, अचार, दाल-चावल दिया गया था. कलेक्टर को अपने बीच पाकर बच्चे बहुत खुश दिखे. उन्होंने बच्चों से नियमित मिलने वाले भोजन की गुणवत्ता पर सवाल किए.
बालिकाओं से जिले में चलाए जा रहे, एनीमिया मुक्त कोरिया अभियान के तहत जांच और एनीमिया के दुष्प्रभाव पर बात की. छात्रा प्रीति ने बताया कि, "जांच के दौरान उनका हीमोग्लोबिन कम पाया गया है, जिसके के सुधर के लिए उसने स्वास्थ्य विभाग की जांच टीम को दिखाया. कलेक्टर शर्मा बच्चियों में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता देख बेहद प्रभावित हुए.
आदर्श आंगनबाड़ी केंद्र का किया निरीक्षण
इस दौरान कलेक्टर कुलदीप शर्मा ने आदर्श आंगनबाड़ी केंद्र बोड़ार का भी औचक निरीक्षण किया. जहां आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका से बच्चों को अण्डा खिलाए जाने, सूखा राशन वितरण, सुपोषण अभियान की स्थिति, मध्यान्ह भोजन की जानकारी ली. उन्होंने केंद्र में भोजन के लिए बनाए गए, सोयाबीन की सब्ज़ी को खुद चखकर उसके गुणवत्ता की जांच की.
आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ने बताया कि, यहां 14 गंभीर और मध्यम कुपोषित बच्चे हैं. कलेक्टर के निर्देश पर कुपोषित बालक सुजुका का वजन मापा गया, जिसमें बच्चे के वजन में वृद्धि पाई गई.
इस दौरान कलेक्टर कुलदीप शर्मा ने आंगनबाड़ी केंद्र में बच्चों को रंगों, फल-फूलों की समझ को परखा. उन्होंने सहायिका और कार्यकर्ता को नियमित कक्षा लेकर बच्चों के शारिरिक स्वास्थ्य के साथ मानसिक गतिविधियों को भी बढ़ाने के लिए प्रेरित करने के निर्देश दिए.
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