Chhattisgarh News: शादी-ब्याह और अन्य सामाजिक आयोजनों के बाद निकले प्लास्टिक डिस्पोजल मटेरियल को लेकर एक अनूठा तरीका निकाला गया है. अपने गांवों को इससे दूर रखने जिले के लिए दूर्ग (Durg) जिले की 24 ग्राम पंचायतों की स्वच्छताग्राही दीदियों ये तरीका निकाला है. उन्होंने बर्तन बैंक बनाया है. बर्तन बैंक के लिए उन्होंने बर्तन खरीदे हैं और आयोजनों के अवसर पर इसे किराये में दे रही हैं. आरोपी सचिन ओवैसी के भाई के बयान से नाराज था. 


पहले क्या का होता था उपयोग
अमूमन होता यह है कि ग्रामीण क्षेत्रों में बड़े आयोजन के लिए बड़े बर्तन तो होते हैं लेकिन थाली-गिलास-कटोरी जैसे छोटे बर्तन नहीं होते. पहले इसके लिए दोना-पत्तल का उपयोग किया जाता था. लेकिन बाद में इसके लिए प्लास्टिक डिस्पोजल का उपयोग तेजी से बढ़ गया. प्लास्टिक डिस्पोजल कभी नष्ट नहीं होते और धीरे-धीरे गांव का कोना प्लास्टिक कबाड़ के रूप में बदलने लगा. ग्रामीण नालियां प्लास्टिक वेस्ट से अवरूद्ध होने लगी. स्वच्छताग्राही दीदियों के इस बर्तन बैंक का बड़ा लाभ हुआ है.


संगठन सदस्य ने कही ये बात
ग्राम पंचायत मोहलाई में संस्कार महिला संगठन स्वच्छताग्राही महिला स्वसहायता समूह द्वारा सबसे पहले बर्तन बैंक शुरू किया गया है. संगठन की सदस्य महिला ने बताया कि गांव में कई तरह के आयोजन होते हैं. छट्ठी मनाई जाती है, ब्याह होता है, धार्मिक और सामाजिक कार्यक्रम होते हैं. शादी-ब्याह जैसे कार्यक्रम तो तीन दिनों तक चलते हैं. अब पहले की तरह दोना-पत्तल का चलन तो है नहीं. शहर की ओर रूख करना पड़ता है. टेंट हाऊस से बर्तन लाने पड़ते हैं. चूंकि हमारे यहां कार्यक्रम तीन दिन चलता है. अतएव खर्च काफी ज्यादा आ जाता है. अब बर्तन बैंक बन गया है तो कोई दिक्कत नहीं. आयोजकों को भी इसके चलते सुविधा हुई है और समूह की कमाई भी बढ़ गई है.


बहुत कम हुआ खर्च
जिला पंचायत सीईओ श्री अश्विनी देवांगन ने बताया कि बर्तन बैंक बहुत अच्छा है. इससे प्लास्टिक कचरा रोकने में काफी मदद मिल रही है. पहले यह काम मोहलाई में शुरू हुआ और इसकी सफलता देखकर अन्य ग्राम पंचायतों में स्वच्छताग्राही दीदियों द्वारा यह प्रयोग किया जा रहा है. मचांदुर की शबनम बेगम ने बताया कि 500 से हजार व्यक्तियों को किसी आयोजन में बुलाएं तो पांच हजार रुपए तक का एक दिन में प्लास्टिक डिस्पोजल पर खर्च हो जाता है. बर्तन बैंक में प्रति बर्तन किराया एक रूपया है. इस लिहाज से किसी आयोजन में हजार रुपए के खर्च में ही काम हो जाता है. डूमरडीह से नागेश्वरी ने बताया कि इससे हमें समूह की शक्ति का पता लगा. किस तरह से छोटे-छोटे कार्य हमारे सामने हैं और उन्हें पूरा कर हम बहुत सा अपना खर्च बचा भी सकते हैं.


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