Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की राजनीति में फेरबदल का दौर चल रहा है. पहले टीएस सिंहदेव को डिप्टी सीएम बना कर उनको ख़ुश करने का भरसक प्रयास किया गया. इसके बाद मोहन मरकाम के सिर से पीसीसी चीफ़ का ताज उतारकर सांसद दीपक बैज को पीसीसी चीफ़ बना दिया गया. अब सूबे के स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ प्रेम साय सिंह टेकाम ने मंत्री पद से इस्तीफ़ा दे दिया है. कयास ये लगाए जा रहे हैं कि प्रेम साय सिंह की जगह पूर्व पीसीसी चीफ़ मोहन मरकाम को कल शिक्षा मंत्री के पद की शपथ दिलाई जा सकती है़. अपने इस्तीफ़े को लेकर डॉ प्रेम साय सिंह सहज नहीं दिखाई दिए और मीडिया के सामने एक बड़ी बात कह गए. 


15 साल बाद जब छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बनी तब सरगुजा की 14 सीट मे सभी 14 सीट पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी. बतौर इनाम मुख्यमंत्री ने सरगुजा संभाग से तीन कांग्रेस विधायकों को मंत्री पद की शपथ दिलाई थी. इसमें सबसे वरिष्ठ विधायक और मध्य प्रदेश जमाने में दिग्विजय सिंह शासन में मंत्री रहे डॉ प्रेम साय सिंह भी शामिल हुए. मंत्री बनने के शुरुआती समय में ही उनके कार्यालय में अधीनस्त कर्मचारियों पर कई बार तमाम आरोप लगे. कुछ दिनों तक शिक्षा मंत्रालय सुर्ख़ियों में रहा. लेकिन अब चुनाव के चंद दिनों पहले उनके इस्तीफ़े के बाद तमाम तरह के सवाल उठने लगे हैं. प्रेम साय टेकाम इस्तीफ़े के बाद सहज नजर नहीं आ रहे है. इधर मीडिया से चर्चा में उन्होंने जो कहा वो उनके अंदर की पीड़ा का बयां करने के लिए काफ़ी है. 



मीडिया के सामने दर्द शेयर किया


सूरजपुर ज़िले के आरक्षित सीट प्रतापपुर से विधायक डॉ प्रेम साय सिंह सूबे के वरिष्ठ मंत्रियों की फ़ेहरिस्त में सबसे ऊपर हैं. प्रेम साय सिंह ने इस सीट से भाजपा प्रत्याशी और पूर्व गृहमंत्री रामसेवक पैकरा को हराया था. लेकिन इधर अपने इस्तीफ़े के बाद जब मीडिया ने डॉ प्रेम साय सिंह से इस्तीफ़ा के बारे में पूछा तो चंद सेकेंड तक वो मौन रह गए. फिर जब बोला तो कांग्रेस के अंदरखाने की हड़बड़ाहट की पोल खोल दी. मीडिया से अपने इस्तीफ़े की बात शेयर करते हुए प्रेम साय सिंह ने कहा कि इस्तीफ़ा दिया नहीं जाता है. इस्तीफ़ा ले लिया गया है. साय ने आगे कहा कि उन्हें कहा गया है कि अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी से मेरे इस्तीफ़े का निर्देश आया था. जिसके बाद मैंने मुख्यमंत्री के कहने में मैने इस्तीफ़ा दे दिया है. इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि ये मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार होता है कि वो जब चाहे इस्तीफ़ा ले सकते है. और मैंने इस्तीफ़े की पूरी प्रक्रिया का पालन किया है.


टिकट कटने के सवाल पर क्या बोले?


क्षेत्र में उनके परफ़ॉर्मेंस को देखकर ये क़यास लगाए जा रहे हैं कि इस बार उनको विधानसभा का टिकट भी नहीं दिया जाएगा. इधर जब उनसे इस संबंध में सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि किसका टिकट कटेगा और किसका नहीं कटेगा या तो बाद की बात है. लेकिन सबको पार्टी में पार्टी हित में काम करना है. इसके अलावा जब उनसे ये सवाल किया गया कि अगला शिक्षा मंत्री कौन होना चाहिए तो उन्होंने कहा कि ये मैं तय नही करूंगा. ये मुख्यमंत्री के विशेषाधिकार का मामला है.


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