Chhattisgarh Assembly Election 2023: छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण के मतदान की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है. प्रत्याशी और उनके समर्थक जीत हासिल करने के लिए पूरा जोर लगा रहे हैं. अपने-अपने तरीके से प्रत्याशी अपने वोटों को सहेजने और विरोधियों के वोट बैंक में सेंध लगाने में जुटे हैं. वहीं चुनाव आयोग अधिक से अधिक मतदान कराने के लिए मोर्चा संभाले हुए है. राजनीतिक पंडित वोटिंग के प्रतिशत के हिसाब से पार्टियों के हार जीत का आंकलन करते रहे हैं. कम वोटिंग में कौन सी पार्टी और ज्यादा मतदान होने पर किस दल को फायदा पहुंचता है यह आंकड़ा दिलचस्प रहता है.
इस परिपेक्ष्य में कोरबा जिले की चारों सीटों की बात की जाए तो रामपुर विधानसभा क्षेत्र ऐसा है, जहां ज्यादा वोटिंग होने का फायदा कांग्रेस (Congress) को मिला है. पिछले तीन विधानसभा चुनाव के आंकड़ों से यह बात सामने आई है. वर्ष 2008 के विधानसभा चुनाव में रामपुर सीट पर 75.71 फीसदी मतदान हुआ था, जिसमें बीजेपी (BJP) के प्रत्याशी को जीत मिली थी. वर्ष 2013 में इस सीट पर मतदान का आंकड़ा बढ़कर 84.21 फीसदी रहा था, जिसमें कांग्रेस प्रत्याशी को 9915 वोटों से जीत हासिल हुई थी.
पाली-तानाखार और कोरबा सीट पर रहा है कांग्रेस का दबदबा
वहीं वर्ष 2018 के चुनाव में एक बार फिर इस सीट पर मतदान का प्रतिशत कम हुआ तो बीजेपी को इसका फायदा मिला. इस सीट पर बीजेपी प्रत्याशी ने गत चुनाव के मुकाबले दुगने वोटों से जीत हासिल की. वहीं पिछले तीन चुनाव में पाली-तानाखार और कोरबा सीट ऐसा रही है, जिसमें वोटों के बढ़ते प्रतिशत के साथ कांग्रेस का ही दबदबा रहा है. यहां तीनों चुनावों में कांग्रेस प्रत्याशी ही दोनों सीटों पर जीत अर्जित करने में सफल रहे हैं. हालाकिं कटघोरा में वोटिंग प्रतिशत कम ज्यादा हुआ तो दोनों ही राजनीतिक दलों की धड़कने बढ़ती हैं. पिछले तीन चुनाव में यहां कांग्रेस को दो और बीजेपी को एक बार जीत मिली है.
पाली-तानाखार में हर चुनाव में बढ़ा वोटिंग प्रतिशत
कोरबा विधानसभा वैसे तो हाईप्रोफाइल होने के साथ ही शहरी क्षेत्र वाली सीट है. इसके बावजूद ग्रामीण क्षेत्र के विधानसभा क्षेत्रों के मुकाबले यहां मतदान का प्रतिशत कम रहा है. वर्ष 2008 के चुनाव में यहां 63.65, 2013 में 69.90 और गत चुनाव साल 2018 में 71.95 फीसदी वोटिंग हुई है. इस तरह यहां पिछले तीन चुनाव मतदान में आठ फीसदी की ही बढ़ोतरी हुई है. पाली-तानाखार सीट की बात करें तो यहां पिछले तीन विधानसभा चुनाव में वोटिंग का प्रतिशत बढ़ा है. इस सीट पर तीनों चुनाव में कांग्रेस को ही फायदा मिला है
वर्ष 2008 के चुनाव में पाली-तानाखार साट पर 71.56, 2013 में 80.35 और 2018 के चुनाव में 82.13 फीसदी मतदाताओं ने अपने मताधिकार का उपयोग किया था. यह सीट वन बाहुल्य आदिवासी क्षेत्र है. इसके बाद भी अपने मतदान के कर्तव्य को लेकर मतदाताओं में यहां जागरूकता अधिक है. वहीं कटघोरा सीट पर मतदान चाहे ज्यादा हो या कम बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही खेमे में टेंशन रहती है. वोटिंग का आंकड़ा कम हो या ज्यादा बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही दल के प्रत्याशी इन परिस्थितियों में जीत चुके हैं.
2013 में वोटिंग बढ़ी तो कटघोरा में बीजेपी को मिला था फायदा
हालांकि कटघोरा सीट पर वोटिंग प्रतिशत बढ़ा तो वोटों के हार जीत का अंतर भी बढ़ा है. इस सीट पर साल 2008 के चुनाव में 68.63 फीसदी मतदाता प्रत्याशियों के भाग्य विधाता बने थे. इस चुनाव में कांग्रेस ने अपनी जीत का क्रम जारी रखा था. वहीं साल 2013 में यहां वोटिंग में लगभग छह फीसदी का इजाफा हुआ तो बीजेपी प्रत्याशी को जीत मिली थी. साल 2018 में फिर इस सीट पर मतदान का प्रतिशत बढ़ा तो कांग्रेस को वापसी का मौका मिला था.