Chhattisgarh Election 2023: छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग के 12 विधानसभा सीटों में 7 नवंबर को प्रथम चरण का मतदान होना है और इसके लिए सभी प्रत्याशी जोर-शोर से चुनावी प्रचार में जुटे हुए हैं. चुनाव के लिए केवल 7 दिन बच गए हैं. ऐसे में एक-एक मतदाता तक पहुंचने की कोशिश में प्रत्याशी लगे हुए हैं, लेकिन इस दौरान बस्तर संभाग के कई विधानसभा में कांग्रेस प्रत्याशियों को जनता की नाराजगी का सामना करना पड़ रहा है.
कुछ दिन पहले ही नारायणपुर विधानसभा के कांग्रेस प्रत्याशी चंदन कश्यप को आतुर गांव की सरपंच और आम जनता ने बीच सभा में खरी खोटी सुनाई थी. वहीं अब बस्तर संभाग के सबसे हाई प्रोफाइल सीट कोंटा विधानसभा में भी आबकारी मंत्री कवासी लखमा को ग्रामीणों की भारी नाराजगी का सामना करना पड़ रहा है. कोंटा विधानसभा के अलग-अलग क्षेत्र में तीन से चार जगहो पर मंत्री कवासी लखमा और उनके बेटे हरीश कवासी को नाराज ग्रामीणों के बीच से बचकर निकलना पड़ा है.
मंगलवार को भी कोंटा विधानसभा क्षेत्र के किष्टाराम गांव में अपने पिता कवासी लखमा के पक्ष में ग्रामीणों से वोट मांगने गए जिला पंचायत अध्यक्ष हरीश कवासी को ग्रामीणों के भारी नाराजगी का सामना करना पड़ा. दरअसल, हरीश कवासी किश्टाराम गांव में चुनाव प्रचार के लिए पहुंचे हुए थे और यहां जनता के बीच चौपाल लगाई. इसी दौरान बीते 5 सालों में गांव में कोई विकास कार्य नहीं होने का हवाला देते हुए ग्रामीणों ने हरीश कवासी को खरी खोटी सुनाई. ग्रामीणों के भारी विरोध के चलते वहां से हरीश कवासी को अपना चार पहिया वाहन छोड़ सुरक्षा में लगे एक जवान के मोटरसाइकिल में बैठकर गांव से बाहर आना पड़ा.
ग्रामीणों का आरोप- 5 साल मंत्री रहते गांव में नहीं किया कोई विकास कार्य
दरअसल, मंत्री कवासी लखमा पिछले पांच बार से कोंटा विधानसभा से चुनाव जीतते आ रहे हैं. कांग्रेस की सरकार बनने के बाद कवासी लखमा को आबकारी व उद्योग मंत्री बनाया गया और इस बार भी उन्हें कोंटा विधानसभा से टिकट दिया गया है. कवासी लखमा के चुनावी प्रचार में उनके बेटे जो सुकमा के जिला पंचायत अध्यक्ष है वह भी चुनाव प्रचार में जुटे हुए हैं लेकिन पिछले कुछ दिनों से कोंटा विधानसभा के अलग-अलग क्षेत्र में वोट मांगने पहुंच रहे कवासी लखमा और उनके बेटे को जनता की नाराजगी का सामना करना पड़ रहा है.
नाराज ग्रामीणों का कहना है कि मंत्री कवासी लखमा पिछले 5 साल में अपने विधानसभा क्षेत्र के ग्रामीणों की कोई सुध नहीं ली. ऐसे कई गांव है जहां ना सड़क बनी ना बिजली पहुंचा और ना ही ग्रामीणों को मूलभूत सुविधा मिल रही है. यही नहीं, गांव के कई युवा बेरोजगार घूम रहे हैं. 2018 के चुनाव में कवासी लखमा ने बड़े-बड़े वादे किए और चुनाव जीतने के बाद कांग्रेस सरकार में मंत्री बने लेकिन अपने क्षेत्र के लोगों की उन्होंने कोई सुध नहीं ली. इसके चलते ग्रामीण काफी नाराज हैं इधर दो दिन पहले ही कवासी लखमा पर ग्रामीणों ने अपनी नाराजगी व्यक्त की थी और उसके बाद मंगलवार को किष्टाराम इलाके में पहुंचे उनके बेटे हरीश कवासी को भी ग्रामीणों के भारी नाराजगी का सामना करना पड़ा.
हालांकि इस दौरान हरीश कवासी ग्रामीणों को मनाते नजर आए लेकिन ग्रामीण नहीं माने और उन्हें खरी खोटी सुनाते रहे. गुस्साए ग्रामीणों को देखते हुए हरीश कवासी के सुरक्षा में लगे गार्ड और वहां मौजूद सुरक्षा बलों ने ग्रामीणों के भीड़ से हरीश कवासी को बाहर निकाला और एक जवान ने अपने मोटरसाइकिल में बैठाकर उन्हें गांव से बाहर निकाला. इधर इस मामले में एबीपी लाइव ने ग्रामीणों के नाराजगी की वजह पूछने के लिए हरीश कवासी से फोन में संपर्क किया लेकिन उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया.
बीजेपी प्रत्याशी ने भी लगाया आरोप
इधर कोंटा विधानसभा से भाजपा प्रत्याशी सोयम मुका का कहना है कि कांग्रेस के प्रत्याशी कवासी लखमा से कोंटा विधानसभा की जनता काफी नाराज है क्योंकि उन्होंने 4 बार विधायक और बीते कार्यकाल में मंत्री रहते अपने क्षेत्र का कोई विकास नहीं किया. आज भी गांव-गांव में मूलभूत की समस्या से यहां के ग्रामीण जूझ रहे हैं. यही वजह है कि विधानसभा के अलग-अलग क्षेत्र में एक नहीं दो नहीं बल्कि चार जगह पर मंत्री कवासी लखमा और उनके बेटे को ग्रामीणों की नाराजगी का सामना करना पड़ा है. सोयम मुक़ा ने कहा कि कांग्रेस प्रत्याशी पर नाराजगी का जरूर बीजेपी को फायदा मिलेगा और वह इस बार कोंटा विधानसभा क्षेत्र से भारी मतों से चुनाव जीतकर आएंगे.
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