Chhattisgarh Election 2023:  छत्तीसगढ़ विधानसभा की 90 सीटों पर कांग्रेस (Congress) और बीजेपी (BJP) के बीच बड़ा मुकाबला है. लेकिन इसमें से बिलासपुर (Bilaspur) जिले के 6 सीट के समीकरण को समझते तो2018 में जहां कांग्रेस ,बीजेपी और जोगी कांग्रेस(JCCJ) के बीच त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिला था, वहीं इस बार बिलासपुर में आम आदमी पार्टी (AAP) भी पूरी ताकत से चुनावी मैदान में उतरने जा रही है.


 राज्य का हाई कोर्ट बिलासपुर में है. SECL का मुख्यालय बिलासपुर है , बिलासपुर से ही देशभर में कोयला सप्लाई होता है. दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे का सबसे जंक्शन बिलासपुर में है. प्रदेश का एकमात्र सेंट्रल यूनिवर्सिटी बिलासपुर में है. इसके अलावा बिलासपुर ऐतिहासिक नगरी है. कल्चुरी शासन में सैकड़ों सालों से रतनपुर छत्तीसगढ़ की राजधानी रही है. रतनपुर में महामाया मंदिर यहां की आराध्य देवी है. इस लिहाज से सभी राजनीतिक पार्टियों के लिए बिलासपुर सबसे खास है. 


 2018 विधानसभा चुनाव का परिणाम क्या है?
बिलासपुर जिले में 6 विधानसभा सीट है और ये बीजेपी का गढ़ रहा है. 2018 के चुनाव में कांग्रेस ने बिलासपुर जिले में बीजेपी को कड़ी चुनौती दी है. इसके बाद रिजल्ट में बीजेपी आगे रही है. 3 सीट बीजेपी, 2 कांग्रेस, 1 जोगी कांग्रेस(JCCJ) के पास है. बिलासपुर विधानसभा में कांग्रेस की जीत हुई. इसी तरह तखतपुर-कांग्रेस,बिल्हा,मस्तूरी और बेलतरा विधानसभा में बीजेपी की जीत हुई. इसके अलावा कोटा विधानसभा पूर्व सीएम अजीत जोगी की पत्नी रेणु जोगी का पारंपरिक सीट है.जहां रेणु जोगी की जीत हुई. लेकिन इस बार विधानसभा चुनाव में चारों पार्टियों के बीच कड़ी टक्कर नजर आ रही है. 


बिलासपुर का जातिगत समीकरण क्या है?
बिलासपुर ज़िले में 2018 के पहले बीजेपी का लंबे समय से गढ़ रहा है. बिलासपुर जिले में कैबिनेट मंत्री अमर अग्रवाल चार बार से विधानसभा चुनाव जीते. लेकिन 2018 में कांग्रेस से हार का सामना करना पड़ा. इस बार विधानसभा चुनाव में बीजेपी, कांग्रेस, जोगी कांग्रेस के साथ आम आदमी पार्टी चुनाव में सक्रिय है. अरविंद केजरीवाल, राहुल गांधी और पीएम मोदी ने बिलासपुर में चुनावी शंखनाद कर दिया है. वहीं जातिगत समीकरण की बात करें तो बिलासपुर जिले में सबसे बड़ा वोट बैंक ओबीसी का है. इसके बाद SC वोट बैंक निर्णायक भूमिका में रहता है.  6 में से एक मस्तूरी सीट SC वर्ग के लिए आरक्षित है.


जिले में क्या हैं प्रमुख मुद्दे?
जिले के स्थानीय पत्रकारों सूर्यप्रकाश सूर्यकांत ने बताया कि बिलासपुर अरपा नदी के किनारे बसा हुआ है जो प्रदूषण की शिकार हो रही है. रेत माफिया ने नदी को गहराई बढ़ा दी है. आसपास हजारों घर बरसात के समय मिट्टी कटाव के चलते खतरे में आ जाते हैं.  इसपर हाईकोर्ट में फैसला भी आया लेकिन अबतक इसपर गंभीरता से काम नहीं किया जा रहा है. खोदापुर के नाम से बीजेपी के शासन में फेमस हुए बिलासपुर को अबतक इससे मुक्ति नहीं मिली है. जर्जर सड़क से आम नागरिक परेशान हैं. जिले के ग्रामीण इलाकों में लोग आवास योजना का इंतजार कर रहे हैं. 


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