Chhattisgarh  Election 2023 Date: छत्तीसगढ़ में इस साल के अंत में चुनाव होना है. चुनाव को लेकर प्रदेश के दोनो प्रमुख दल के साथ अन्य दल के नेता अपने-अपने हिसाब से वोट बैंक साधने में लगे हैं. राज्य बनने के बाद से ही छत्तीसगढ़ का उत्तरी इलाक़ा सरगुजा छत्तीसगढ़ की राजनीति का प्रमुख केन्द्र रहा है. यहां की 14 विधानसभा सीट किसी भी दल को सूबे की सियासत का सरताज बना सकती है. लिहाज़ा पिछली बार कांग्रेस की ओर से 'सरगुजिहा सरकार' का नारा चला और सरगुजा की 14 की 14 विधानसभा में कांग्रेस ने परचम लहरा दिया. 


इधर सरगुजिहा सरकार के नारे की बदौलत प्रदेश में कांग्रेस की सरकार तो बन गई , पर सरगुजिहा सरकार मतलब टीएस सिंहदेव प्रदेश के मुख्यमंत्री नहीं बन सके और इस दौरान सरगुजा संभाग के लोग कांग्रेस आलाकमान के फ़ैसले से बहुत नाराज़ भी हुए. ऐसे में इस बार सरगुजा की सियासत में सरगुजिहा सरकार का जादू चलेगा या फिर सरगुजा के ठगे गए मतदाता इस बार सरगुजिहा सरकार वाले विकल्प को नकार देंगे. ये नतीजों से पहले कहना जल्दबाज़ी होगी. 


क्या था सरगुजिहा सरकार?
छत्तीसगढ़ में 15 साल के रमन शासन और उनके मंत्रियों के रवैये से मतदाता काफ़ी नाराज़ थे. सरकार के खिलाफ एंटी इनकमबेंसी थी. दूसरी ओर कांग्रेस की तरफ़ से जय-वीरू की जोड़ी चुनाव जीतने के लिए रणनीति तैयार कर कर रही थी. इसी रणनीति का हिस्सा कांग्रेस का घोषणा पत्र था.  इस घोषणा पत्र समिति के अध्यक्ष मौजूदा स्वास्थ्य मंत्री और तीन बार से अम्बिकापुर विधायक टीएस सिंहदेव थे.


इधर छत्तीसगढ़ के लोगों के लिए वो घोषणा पत्र और इस समय की सरकार के प्रति लोगों की नाराज़गी दोनों का सामंजस्य बहुत बढ़िया था. इसी के साथ सरगुजा की 14 विधानसभा के साथ कई विधानसभा में लोग टीएस सिंहदेव को भावी मुख्यमंत्री के रूप में देखने लगे थे. तब यहां कांग्रेसियों ने बीजेपी को पटकनी देने के लिए सरगुजिहा सरकार का नारा लगाना शुरू किया. नतीजा ये निकला कि सरगुजा संभाग से मुख्यमंत्री बनने की चाह में मतदाताओं ने बढ़-चढ़ कर मतदान किया और प्रदेश के एक ही संभाग से कांग्रेस की झोली 14 की 14 विधानसभा डाल दी.  प्रदेश में 15 साल बाद कांग्रेस की सरकार बनी. पर जब टीएस सिंहदेव ने मुख्यमंत्री के रूप में शपथ नहीं ली तो फिर सरगुजा संभाग के लोगों में उस वक्त काफ़ी नाराज़गी थी. 


पांच साल बनाम सरगुजिहा सरकार
2018 में सरगुजिहा सरकार और घोषणा पत्र के सहारे जब सरगुजा संभाग में चुनाव हुआ. तब किसी ने सोचा नहीं था कि बीजेपी 14 सीट में एक भी नहीं जीत पाएगी. सरगुजा संभाग में इस जीत का श्रेय स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव को जाता था. ऐसे में संभाग के 14 विधायकों के साथ प्रदेश के कई विधायक टीएस सिंहदेव के संपर्क में थे, पर जिस वक्त ये तय हुआ कि अब टीएस सिंहदेव मुख्यमंत्री नहीं बन रहे हैं तो शुरूआत में तो उन तमाम विधायकों ने नाराज़गी ज़रूर जताई थी. लेकिन धीरे-धीरे वक्त निकला और 2018 से आज 2023 यानी क़रीब पौने पांच साल बाद टीएस सिंहदेव अपने ही दल में अकेले से पड़ गए.


मतलब एक समय जहां उनकी अहम भूमिका की बदौलत सूबे में कांग्रेस ने वनवास ख़त्म किया. आज वही टीएस सिंहदेव अपनों के बीच ही बेगाने नज़र आने लगे हैं. ऐसे में 2023 विधानसभा चुनाव में सरगुजा सरकार टीएस सिंहदेव का जादू मतदाताओं के भीतर कितना असर लाएगा ये कहना तो जल्दबाज़ी है. लेकिन ये ज़रूर है कि इस बार दूध से जले मतदाता दही भी फूंक-फूंक कर पीने के मूड में नज़र आ रहे है.


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