Durg News: छत्तीसगढ़ में इसी साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं. जिसको लेकर सभी राजनीतिक पार्टियां चुनाव की तैयारियों में जुट गए हैं. आज हम बात करेंगे छत्तीसगढ़ के दुर्ग शहर विधानसभा की. दुर्ग शहर विधानसभा सीट एक महत्वपूर्ण सीट है. इस विधानसभा से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष स्वर्गीय मोतीलाल वोरा के बेटा अरुण वोरा वर्तमान में विधायक हैं. इसके साथ ही वे छग भंडार गृह निगम के अध्यक्ष भी है. अरुण वोरा ने 2018 विधानसभा चुनाव में भाजपा की उम्मीदवार चंद्रिका चंद्राकर को हराकर जीत दर्ज की थी.


भाजपा के उम्मीदवार को हराकर अरुण वोरा बने थे विधायक
2018 के विधानसभा चुनाव में दुर्ग शहर विधानसभा क्षेत्र में कुल 68.24 प्रतिशत वोट पड़े थे. 2018 में कांग्रेस के प्रत्याशी अरुण वोरा ने भाजपा के चंद्रिका चंद्राकर को 21 हजार 81 वोटों के अंतर से हराया था. 2018 के विधानसभा चुनाव में दुर्ग शहर विधानसभा में त्रिकोणीय मुकाबला हुआ था. जहां जोगी कांग्रेस पार्टी से प्रताप मध्यानी भी चुनाव मैदान में थे. इस चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी अरुण वोरा को 64 हजार 981 वोट मिले थे तो वहीं भाजपा के प्रत्याशी चंद्रिका चंद्राकर को 43 हजार 900 वोट मिले थे और जोगी कांग्रेस के प्रताप मध्यानी को 20 हजार 634 वोट मिले थे. कांग्रेस प्रत्याशी अरुण वोरा ने अपने निकटतम प्रत्याशी चंद्रिका चंद्राकर को 21 हजार 81 वोटो से मात दी थी. 


दुर्ग नगर निगम और विधानसभा का क्षेत्रफल लगभग बराबर है
दुर्ग शहर विधानसभा के अंतर्गत नगर निगम दुर्ग के 60 वार्ड आते हैं. दोनों ही क्षेत्रफल में बराबर है जिसकी वजह से विधायक और महापौर का कार्यक्षेत्र समान होता है. शिवनाथ नदी दुर्ग विधानसभा की प्रमुख नदी और जीवनदायिनी नदी है. दुर्ग शहर विधानसभा को जिला मुख्यालय और संभाग मुख्यालय होने के नाते बहुत ही अहम माना जाता है. दुर्ग शहर विधानसभा से कांग्रेस से विधायक अरुण वोरा है तो वही दुर्ग नगर निगम में भी कांग्रेस के महापौर धीरज बाकलीवाल है जो विधायक के करीबी और विश्वसनीयो में से है.


दुर्ग शहर विधानसभा क्षेत्र में बड़े नेताओं की है मौजूदगी
दुर्ग जिले का प्रदेश की राजनीति में महत्वपूर्ण स्थान है दुर्ग ने देश-प्रदेश को कई बड़े लीडर दिए हैं. अविभाजित मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री स्व मोतीलाल वोरा दुर्ग से ही चुनाव लड़ते हुए राजनीति के शीर्ष तक पहचे थे. कांग्रेस कमेटी के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष का महत्वपूर्ण दायित्व उन्होंने वर्षों तक निभाया. भाजपा की पूर्व राष्ट्रीय महामंत्री डॉ सरोज पांडेय दुर्ग नगर निगम की महापौर से वैशाली नगर विधायक, दुर्ग सांसद फिर राज्यसभा सांसद के रूप में राजनीति के शिखर तक पहुंची है. वही दुर्ग के पूर्व मंत्री व विधायक स्व हेमचंद यादव लंबे वक्त तक प्रदेश में मंत्री रहे थे.


लंबे समय तक कांग्रेस का था कब्जा, स्वर्गीय हेमचंद यादव भाजपा को दिलाई जीत
पिछले 30 वर्षों में दुर्ग विधानसभा सीट पर मुख्य रूप से टक्कर भाजपा के हेमचंद यादव और कांग्रेस से अरुण वोरा के बीच ही रही है. दोनों हर बार चुनाव से आमने-सामने रहे थे. दुर्ग विधानसभा सीट शुरू से कांग्रेस की सीट मानी जाती रही है. एक तरह से दुर्ग को कांग्रेस का गढ़ मन जाता रहा है. कांग्रेस के प्यारेलाल बेलचंदन, मोतीलाल वोरा, राजनीति के चाणक्य माने जाने वाले दाऊ वासुदेव चंद्राकर दुर्ग के सियासत में लगातार हावी रहे थे. कांग्रेस के अलावा किसी अन्य राजनीतिक दल ने यहां लोगों के मन को नहीं बदल पाया था. ऐसे में भाजपा को दुर्ग विधानसभा सीट में स्थापित करने में स्व हेमचंद की भूमिका अहम था. हेमचंद ने कांग्रेस के किले में सेंध लगते हुए बड़ी सफलता हासिल की और लगातर 3 बार विधायक रहे और दो बार मंत्री भी रहे. यही वजह है कि उन्हें महानायक के रूप में जाना जाता था.


पूर्व मंत्री स्वर्गीय हेमचंद यादव के निधन के बाद भाजपा यहां से हुई कमजोर
2013 से अब तक अब तक दुर्ग विधानसभा सीट पर कांग्रेस के अरुण वोरा का कब्जा है. 2013 में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अरुण वोरा ने भाजपा के वरिष्ठ मंत्री हेमचंद यादव को हराकर इस सीट पर कब्जा किया था. हालांकि इससे पहले के 3 चुनाव अरुण वोरा को हेमचंद यादव ने हराया है. 2018 में पूर्व मंत्री हेमचंद यादव के निधन के बाद दुर्ग की सियासी चाल जैसे बदल सी गई है. हेमचंद यादव के निधन के बाद भाजपा ने तत्कालीन महापौर और डॉ सरोज पांडेय की करीबी चंद्रिका चंद्राकर को कांग्रेस के अरुण वोरा के खिलाफ चुनावी मैदान में उतारा गया. इस चुनाव में अरुण वोरा ने 21081 वोट से भाजपा प्रत्याशी को हरा कर जीत हासिल किए थे.


ओबीसी वर्ग के मतदाताओं की संख्या है ज्यादा, जाने कितने मतदाता है इस सीट में
दुर्ग शहर विधानसभा क्षेत्र में कुल 2 लाख 17 हजार 600 मतदाता है. जिसमें 1 लाख 8 हजार 610 पुरुष मतदाता हैं. तो वही 1 लाख 8 हजार 990 महिला मतदाता हैं. इस विधानसभा में सभी समाज के लोगो निवासरत है. इस विधानसभा में पिछड़ा वर्ग के मतदाताओ की संख्या अधिक है जिसके कारण यहां प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला पिछड़ा वर्ग के मतदाता ही करते हैं. इसके अलावा अल्पसंख्यक,ओबीसी वर्ग समेत अन्य वर्ग के लोगों निवासरत है. 


जानिए क्या मुद्दा और कौन से समस्या है इस क्षेत्र विधानसभा सीट में
इस विधानसभा क्षेत्र में मुद्दों और समस्याओं को बात की जाए तो अमृत मिशन योजना का काम अधूरा है. वार्डो में गंदे पेय जल की सप्लाई, पटरी पार में विकास कार्यों में कमी, शहर में पार्किंग की समस्या, जीवनदायिनी शिवनाथ नदी दूषित पानी का निकासी, रविशंकर स्टेडियम जर्जर, हॉकी स्टेडियम की कमी, शहर के बीचोबीच बस स्टैंड जाम की समस्या, अवैध कब्जा की समस्या मुद्दा प्रमुख है.


ये भी पढ़ें: BJP Protest: अमानक खाद के विरोध में BJP कार्यकर्ता ने किया कलेक्ट्रेट का घेराव, कई कार्यकर्ता घायल