Chhattisgarh Assembly Election 2023: छत्तीसगढ़ में पहले चरण का चुनाव संपन्न हो चुका है. सियासी गलियारों में राज्य की स्थापना के बाद से ही एक बात कही जाती है कि यहां का चुनाव कांग्रेस (Congress) और बीजेपी (BJP) के बीच केंद्रित रहा. हालांकि तीसरी ताकतों ने सेंध लगाने प्रयास को किए, लेकिन वो सफल नहीं हो पाईं. छोटे दलों की हमेसा ये कोशिश रही कि कुछ सीटें लेकर वो प्रदेश में किंग मेकर बनने की स्थिति में आएं, लेकिन साल 2018 तक हुए चुनावों में छोटे दलों को ऐसा कोई प्रदर्शन नहीं रहा कि वो कांग्रेस और बीजेपी के माथे पर कोई राजनीतिक शिकन ला सकें.
हालांकि इन सबके बाद भी छोटें दलों को कम करके नहीं आंका जा सकता. छोटी-छोटी मार्जिन से होने वाली चुनावी जीत-हार में इन छोटे दलों को जो वोट मिले वो निर्णायक साबित हुए हैं. सबसे पहले बात करें अजीत जोगी कि तो उन्होंने 2016 में कांग्रेस से अलग होकर नई पार्टी बनाई. इसके बाद राज्य के सियासी गलियारों में ये कयास लगने लगे कि क्या अबकी बार राज्य में त्रिंशकु विधानसभा होगी, लेकिन ऐसा हुआ कुछ नहीं और साल 2018 में कांग्रेस प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में आई.
अजीत जोगी ने बीएसपी के साथ किया था गठबंधन
अजीत जोगी की पार्टी ने साल 2018 के चुनावों में मायावती की पार्टी बीएसपी से गठबंधन किया था. चुनाव में अजीत जोगी की पार्टी को पांच और बीएसपी को दो सीटें मिली थीं. इन दोनों पार्टियों को मिली सीटों की अहमियत हो सकती थी, लेकिन कांग्रेस की प्रचंड बहुमत के आगे इन दोनों पार्टियों को मिली सीटों का कोई औचित्य नहीं रहा. इस चुनाव में अजीत जोगी नहीं हैं. अबकी बार उनकी पार्टनर बीएसपी भी उनके साथ नहीं है. छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस प्रमुख अमित जोगी ने राज्य की कुछ सीटों को छोड़कर करीब-करीब सभी पर उमीदवार उतारे हैं.
जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के 84 उमीदवार में
जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के 84 उमीदवार इस बार चुनावी मैदान में हैं. खुद अमित जोगी पाटन सीट पर मुख्यमंत्री के खिलाफ लड़ रहे हैं. राजनीतिक गलियारों में अमित जोगी पर बीजेपी की बी टीम होने का भी आरोप लगता रहता है. वहीं बीएसपी की बात करें तो पिछले चुनाव में उसकी और अजीत जोगी की पार्टी को गठबंधन में 11 फीसदी वोट मिले थे, लेकिन इस बार बीएसपी ने गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के साथ गठबंधन किया है. बीएसपी 58 तो गोडंवाना गणतंत्र पार्टी 32 सीटों पर चुनाव लड़ रही है.
AAP प्रदेश में दूसरी बार मैदान में
दरअसल, बीएसपी का आधार दलित वोट बैंक है. इस बार उसकी कोशिश है कि इसमें आदिवासी वोटों को भी जोड़ा जाए और इसिलिए उसने अपना सीयासी पार्टनर बदल दिया है. बीएसपी का प्रभाव बिलासपुर संभाग में ही देखा गया है. प्रदेश की कई सीटें ऐसी भी हैं, जहां बीएसपी अहम भूमिका निभाती रही है. वहीं अब आम आदमी पार्टी की भी बात कर लेते हैं. आम आदमी पार्टी दूसरी बार छत्तीसगढ़ में चुनाव लड़ रही है. पार्टी ने अपना दस प्वाइंट का घोषणा पत्र भी जारी किया है.
हालाकिं प्रदेश के सियासी जानकार आम आदमी पार्टी को किसी खतरे की तरह नहीं आंक रहे हैं. आम आदमी पार्टी को लेकर प्रदेश के सियासी गलियारों में ये कहा जा रहा है कि आप कांग्रेस और बीजेपी दोनों के वोट काट सकती है लेकिन वह इन दोनों पार्टियों का कोई बड़ा नुकसान पहुंचा पाएगी, ऐसा नहीं लगता. बता दें प्रदेश में अब दूसरे चरण का मतदान 17 नवंबर को होगा और नतीजे तीन दिसंबर को आएंगे.