Obstacles for congress in Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ के लिए ये चुनावी साल है. प्रदेश की कांग्रेस सरकार के लिए अपने वादे पूरे करने का ये अंतिम साल है.कांग्रेस सरकार को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा. हम कांग्रेस सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती के बारे में बात कर रहे हैं जो सरकार के गले की फांस बन गई है. इसे सरकार न निगल पा रही है और न ही उगल पा रही है.
कांग्रेस सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती!
राज्य के लाखों कर्मचारी नियमितीकरण आस लगाए बैठे हैं.वे जल्द ही धरने पर बैठने की तैयारी कर रहे हैं. इसके लिए रायपुर में 15 जनवरी को एक बड़ी बैठक बुलाई गई है.इसमें राज्य के सभी अनियमित कर्मचारी संघ के प्रमुख शामिल होंगे और आगे की रणनीति बनाएंगे. कर्मचारियों ने इस बैठक में पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह को न्यौता दिया है. अनियमित कर्मचारी संघ ने इसके अलावा प्रदेश भर के 50 हजार कर्मचारियों को भी जुटाने का दावा किया है.
आंदोलन होने पर सरकार कामकाज हो सकता है ठप
अगर कर्मचारी बैठक में आंदोलन का फैसला लेते हैं तो ये सरकार के लिए बड़ी समस्या बन सकती है,क्योंकि सरकार के सभी विभागों में काम करने वाले अधिकारी-कर्मचारी में भी इसमें शामिल हैं.धरना- प्रदर्शन शुरू हो गया तो सरकारी कामकाज भी ठप हो जाएगा.इस लिहाजा अनियमित कर्मचारियों के बैठक पर सबकी निगाहें टिकी हुई हैं.कर्मचारियों का कहना है कि बैठक में आंदोलन की रूप-रेखा तैयार की जाएगी.
राज्य में 5 लाख से ज्यादा हैं अनियमित कर्मचारी
छत्तीसगढ़ अनियमित कर्मचारी मोर्चा के प्रदेश प्रमुख गोपाल प्रसाद साहू ने बताया कि राज्य में संविदा, दैनिक वेतन भोगी, 12 हजार वेतन पर कार्यरत श्रमिक,अशंकालिक और ठेका आदि वर्ग के 5 लाख से अधिक कर्मचारी हैं. सरकार के चार साल बीत जाने के बाद भी नियमितीकरण का वादा पूरा नहीं हुआ है. इसी मुद्दे को लेकर 15 जनवरी को रायपुर के बूढ़ा तालाब स्थित धरना स्थल पर बैठक आयोजित की गई है.उन्होंने ये भी बताया कि इस बैठक में पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह को भी न्यौता दिया गया है.वो भी बैठक में शामिल होंगे और 50 हजार अनियमित कर्मचारी भी शामिल होंगे.
कांग्रेस को याद दिलाया वादा
गोपाल प्रसाद साहू ने कांग्रेस सरकार को याद दिलाते हुए कहा कि कांग्रेस ने सरकार बनने पर 10 दिन में प्राथमिकता से हमारी मांगें पूरी करने का वादा किया था और अपने जन-घोषणा (वचन) पत्र में बिंदु क्रमांक 11 और 30 में अनियमित कर्मचारियों के नियमितीकरण करने, छंटनी न करने और आउट सोर्सिंग बंद करने का वादा किया था.
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