Manendragarh-Chirmiri-Bharatpur News: छत्तीसगढ़ का मनेंद्रगढ-चिरमिरी-भरतपुर (MCB) जिला एक साल पहले कोरिया से अलग होकर एक नया जिला बना है. वहीं इस जिले में दो विधानसभा है, जिसमें छत्तीसगढ़ की एक नंबर पर आने वाली भरतपुर-सोनहत विधानसभा भी है. बता दें कि, मनेन्द्रगढ़ से अलग होकर बनी ये विधानसभा आरक्षित जाति के लिए रिजर्व है. इस विधानसभा में साल 2008 में पहली बार चुनाव हुआ था. वहीं तब से अब तक यहां तीन विधानसभा चुनाव हो चुकें हैं, जिसमें दो बार बीजेपी और एक बार कांग्रेस प्रत्याशी ने जीत दर्ज की है. गौरतलब है कि, इस सीट पर आदिवासी गोंड जनजाति के वोट निर्णायक साबित होते हैं, तो छत्तीसगढ़ के पहले नंबर की भरतपुर-सोनहत विधानसभा के राजनैतिक इतिहास की इनसाइड स्टोरी जानिए.


पुरूषों से ज्यादा महिला वोटर


उत्तरी छत्तीसगढ़ में मध्य प्रदेश की सरहद से लगी इस विधानसभा का इतिहास सिर्फ तीन विधानसभा चुनाव का है. इस विधानसभा में 1 लाख 58 हजार 649 मतदाता हैं. इसमें 79 हजार 431 महिला मतदाता और 79 हजार 214 पुरूष मतदाता हैं. वहीं इस विधानसभा में महिला मतदाताओं की संख्या पूरुषों से अधिक है. 2003 में विधानसभा के परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई इस विधानसभा में पहला चुनाव 2008 में हुआ, उसके बाद 2013 और 2018 में तीन बार यहां विधानसभा चुनाव हुए. गौरतलब है कि, पहली बार हुए चुनाव में यहां मतदाताओं की संख्या 1 लाख 33 हजार 71 थी.


पहले चुनाव में बीजेपी ने मारी बाजी


मनेन्द्रगढ़ से अलग होकर बना भरतपुर-सोनहत विधानसभा में 2008 के पहले चुनाव में कांग्रेस ने गुलाब कमरों को अपना प्रत्याशी बनाया और बीजेपी ने फूलचंद सिंह को मैदान में उतारा. इसके साथ ही क्षेत्र में मजबूत पकड़ रखने वाले गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने यशवंत गोंड को चुनावी मैदान में खड़ा किया. इस चुनाव में बीजेपी के फूलचंद सिंह को 35,493 वोट मिले और कांग्रेस प्रत्याशी गुलाब कमरों को 28,145 वोट मिले. वहीं तीसरे स्थान पर रहे गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के प्रत्याशी को 9,117 वोट से संतुष्ट होना पड़ा, क्योंकि कांग्रेस और बीजेपी दोनों प्रत्याशी भी इसी समाज से आते थे. 


2013 में BJP ने चेहरा बदला फिर मिली जीत 


2008 के बाद जब दूसरी बार 2013 में इस विधानसभा में चुनाव हुआ, तो बीजेपी ने फूलचंद सिंह को टिकट न देकर महिला प्रत्याशी के रूप में चंपादेवी पावले को अपना प्रत्याशी बना दिया, लेकिन कांग्रेस के पास चेहरे की कमी होने के कारण कांग्रेस ने फिर से हारे प्रत्याशी गुलाब कमरों पर दांव खेला. वहीं कांग्रेस प्रत्याशी को एक बार फिर जनता ने नकार दिया और बीजेपी प्रत्याशी चंपादेवी पावले ने गुलाब कमरों को पांच हजार वोट के कम अंतर से चुनाव हरा दिया और दूसरी बार बीजेपी ने चेहरा बदलकर ये चुनाव जीत लिया. 


तीसरे चुनाव के नतीजे कांग्रेस के लिए संतोषजनक


साल 2018 में जब तीसरी बार इस विधानसभा में चुनाव हुए तो इस बार बीजेपी-कांग्रेस दोनों दलों ने अपना प्रत्याशी नहीं बदला और इस चुनाव में फिर एक बार कांग्रेस के गुलाब कमरों और बीजेपी की चंपादेवी पावले के बीच मुकाबला हुआ. वहीं इस बार दो चुनाव हार चुके गुलाब कमरों हार की हैट्रिक से बच गए और इस विधानसभा से बीजेपी को आल आउट कर दिया. इस चुनाव में गुलाब कमरों ने चंपादेवी को 16 हजार 500 वोट के बड़े अंतर से चुनाव हरा दिया.


जीजीपी का अच्छा रहा है प्रदर्शन


उत्तरी छत्तीसगढ़ के सरगुजा संभाग में गोंड समाज की बहुताय के कारण क्षेत्रीय दल गोंडवाना गणतंत्र पार्टी का बहुत अच्छा प्रदर्शन रहा है. अच्छा प्रदर्शन इसलिए क्योंकि इस दल के प्रत्याशियों ने पिछले तीन चुनाव में बढ़ते क्रम में वोट पाए हैं. अगर गोंगपा (गोंडवाना गणतंत्र पार्टी) के पिछले तीन चुनाव के प्रदर्शन की बात करें, तो वो अच्छे खासे वोट शेयर के साथ तीनों चुनाव में तीसरे स्थान में रही है. 2008 चुनाव की बात करें तो उस समय तीसरे स्थान पर रहे गोंगपा प्रत्याशी यशवंत गोंड को 9 हजार 114 वोट मिले थे.


इसी तरह 2013 विधानसभा चुनाव की बात करें, तो इस चुनाव में गोंगपा के प्रत्याशी कनसलाल को पिछली बार से दोगुना वोट शेयर 15.28 के हिसाब से 18 हजार 166 वोट मिले थे और वो तीसरे स्थान पर थे. इसी तरह 2018 का चुनाव भी इस क्षेत्रीय दल के लिहाज से अच्छा रहा और इस चुनाव में गोंगपा प्रत्याशी श्याम सिंह मरकाम को 26 हजार 632 वोट मिले थे. अब 2023 के चुनाव में क्षेत्रीय चर्चा और परिस्थिति के हिसाब से गोंगपा दोनों दलों को काटे की टक्कर देने की स्थिति में है.



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