(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Chhattisgarh Elections 2023: चुनाव से पहले कांग्रेस-BJP के वो बड़े नेता जो हो गए बागी, क्या नतीजों में पहुंचाएंगे नुकसान?
Chhattisgarh Elections 2023: छत्तीसगढ़ में बीजेपी और कांग्रेस में टिकट न देने से नाराज कुछ नेताओं ने पार्टी लाइन से हटकर निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला किया जिसके बाद उनपर कार्रवाई की गई.
Chhattisgarh Elections 2023: चुनाव के दौरान नाराज नेताओं का दल बदल लेना कोई नई बात नहीं. हर लगभग हर चुनाव (Elections) में देखने को मिलता है. चुनाव का टिकट न मिलने या फिर मनपसंद सीट से टिकट न मिलने पर नेता नाराजगी में दूसरी पार्टी का रुख कर लेते हैं. छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) विधानसभा चुनाव में भी यह चलन जोरों पर रहा. इस दौरान अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों में कांग्रेस (Congress) और बीजेपी (BJP) दोनों में बगावत देखने को मिली. अब 3 दिसंबर को चुनाव नतीजों में पता चलेगा कि ये नेता कितना नुकसान पहुंचाते हैं.
कितने बड़े नेताओं ने की बगावत?
इस बार 9 बड़े नेताओं ने बगावत कर अपनी-अपनी पार्टी को छोड़ा जिसमें छह कांग्रेस और तीन बीजेपी के नेता थे. कांग्रेस से निकले दो नेताओं ने जनता कांग्रेस का दामन थाम लिया तो बाकी चार निर्दलीय प्रत्याशी बन गए. वहीं, बीजेपी का साथ छोड़ने वाले तीनों नेता इस बार निर्दलीय उम्मीदवार बने.
कांग्रेस के इन नेताओं ने छोड़ा साथ
मरवाही में कांग्रेस ने जैसे ही प्रत्याशी का एलान किया. यहां बगावत देखने को मिली. मरवाही से के के ध्रुव के खिलाफ प्रत्याशी बनने के लिए दावेदारी कर रहे आधे से ज्यादा नेताओं ने इस्तीफा दे दिया था और गुलाब राज भी इसमें शामिल थे. उन्होंने जनता कांग्रेस ज्वाइन कर ली जिसके टिकट पर वह मैदान उतरे. सरायपाली से मौजूदा विधायक किस्मत लाल चंद ने टिकट न मिलने पर पार्टी छोड़ दी और जनता कांग्रेस जवाइन कर लिया. वह एकबार फिर इसी सीट से चुनाव लड़े. अंतागढ़ से विधायक अनूप नाग और उनके कई समर्थकों ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था. अनूप नाग ने निर्दलीय चुनाव लड़ा.
जशपुर से प्रदीप खेस ने भी विद्रोह कर दिया था और उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला किया जिसके बाद कांग्रेस ने उन्हें निष्कासित कर दिया. प्रदीप खेस की तरह संजारी बालोद में मीना साहू ने भी निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में पर्चा भरा जिसके बाद पार्टी ने उन्हें भी बाहर का रास्ता दिखा दिया.
बीजेपी में इन्होंने किया विद्रोह
बागियों की कमी बीजेपी में भी नहीं है. रायपुर उत्तर से सावित्री जगत को चुनाव का टिकट नहीं मिला तो उन्होंने पार्टी के प्रत्याशी के खिलाफ निर्दलीय पर्चा भर दिया जिसके बाद बीजेपी ने उन्हें छह साल के लिए निष्कासित कर दिया. भटगांव में रामबाई देवांगन भी बगावत कर निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनावी मैदान में उतर गईं. बीजेपी की एक अन्य नेता भगवती साहू संजारी बालोद से निर्दलीय चुनाव लड़ीं.