Chhattisgarh: अब नक्सिलियों की खैर नहीं, दक्षिणी बस्तर में मोर्चा संभालेंगे एलीट कमांडो फोर्स 'कोरस'
Chhattisgarh News: साल 2019 में तत्कालीन रेल मंत्री पीयूष गोयल ने कोरस को लॉन्च किया था. रेलवे की आरपीएफ और आरपीएसएफ को मिलाकर 2019 में 'कोरस' का गठन किया गया.
Chhattisgarh News: दक्षिण बस्तर में नक्सलियों से निपटने के लिए अब स्पेशल कमांडो बटालियन 'कोरस' (Commandos For Railway Security)मैदान में उतर चुकी है. यह फोर्स नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में रेलवे को बेहतर रूप से चलाने के लिए डिजाइन की गई है. दरअसल, दंतेवाड़ा से किरंदुल के बीच 50 किमी लंबी रेलवे लाइन का काम एक दशक के बाद भी पूरा नहीं हो सका है. यहां पर लगातार नक्सली हमलों में करीब 100 करोड़ से ज्यादा की मशीनरी का नुकसान उठाना पड़ा है. साथ ही नक्सलियों ने यहां पर आगजनी की कईं घटनाओं को अंजाम दिया है. ऐसे में कोरस को यहां पर तैनात करने का विचार किया गया है.
क्या है कोरस?
कोरस यानि रेलवे सुरक्षा बल, इसकी संकल्पना और ट्रेनिंग मॉड्यूल के विचार के पीछे 2001 बैच के रेलवे सुरक्षा बल के अधिकारी मोहम्मद शादां जेब खान का अहम रोल रहा है. मोहम्मद शादां जेब खान को इस मॉड्यूल के बारे में तब खयाल आया जब वे हरियाणा के यमुनानगर में एक सीनियर कमांडेंट थे.
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कैसे आया 'कोरस' का विचार?
दरअसल, नक्सल प्रभावित झारखण्ड और छत्तीसगढ़ राज्य में रेलवे को करोड़ों रूपए का नुक्सान हो रहा था. ऐसे में इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए सीनियर कमांडेंट शादां जेब खान ने कोरस की कल्पना की और 2019 में इसे साकार कर दिखाया. कोरस की स्थापना के साथ शादां जेब खान ने कमांडो की ट्रेनिंग में भी बहुत महत्वपूर्ण योगदान दिया. आज शादां जेब खान की कोशिशों की वजह से ही यह फोर्स अब ताकतवर रूप लेकर उभरी है. 2019 में तत्कालीन रेल मंत्री पीयूष गोयल ने कोरस को लांच किया था.
क्या है फोर्स की खासियत?
रेलवे की आरपीएफ और आरपीएसएफ को मिलाकर 2019 में 'कोरस' का गठन किया गया. इस फोर्स को इस तरीके से ट्रेनिंग दी गई है ताकि नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में अशांति, ट्रेन संचालन में बाधाएं, नक्सलियों के हमले और किसी भी आपदा की स्थिति से निपटा जा सके. साथ ही नक्सलियों से लड़ने के लिए फोर्स को स्पेशल ट्रेंनिग दी गई.