Surguja News: छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले में पढ़ाई करने के लिए किताब, कॉपी लेकर स्कूल पहुंचने वाले बच्चों को स्कूल में फावड़ा, करनी पकड़ाकर मजदूरी की शिक्षा दी जा रही है.एक तरफ राज्य सरकार एजुकेशन लेवल को सुधारने के लिए प्रयास कर रही है.दूसरी तरफ कुछ जगहों पर सरकार के मंसूबों पर पानी फिरता नजर आ रहा है.जिसके जिम्मेदार राष्ट्र निर्माता कहे जाने वाले शिक्षक ही बन रहे है. ऐसे में देश का भविष्य कहे जाने वाले बच्चों के भविष्य पर संकट आ गया है.


दरअसल, मामला मैनपाट ब्लॉक अंतर्गत दातीढाब का है. यहां शासकीय प्राइमरी स्कूल का संचालन किया जाता है, लेकिन यहां के स्कूल में बच्चों के हाथ में शिक्षा ग्रहण करने के औजार किताब पेन,कॉपी नहीं बल्कि श्रमिकों के औजार फावड़ा, करनी,  बालू, सीमेंट, मिट्टी है. इस स्कूल के छोटे-छोटे बच्चों से स्कूल का कायाकल्प कराया जा रहा है. इस उम्र में इनके हाथ में किताब,कॉपी और पेन होना चाहिए.ऐसे समय में स्कूल प्रबंधन द्वारा बच्चों से राजमिस्त्री, लेबर, कूली का काम कराया जा रहा है. 






बच्चों काे लेबर की तरह काम करते हुए वीडियो आया सामने
बता दें कि दातीढाब के प्राइमरी स्कूल के छोटे-छोटे बच्चों का श्रमिक की तरह कार्य करने का वीडियो सामने आया है. जिसमें एक बच्चा फावड़ा लेकर बालू, सीमेंट का मसाला बना रहा है. जबकि दूसरा बच्चा हाथ में राजमिस्त्री का औजार (करनी) लेकर दरवाजे की स्थिति ठीक कर रहा है. इस मामले को लेकर जब स्कूल के प्रधान पाठक विलियम तिर्की से सवाल किया गया तो वे कैमरा देखकर भागने लगे और कुछ जवाब नहीं दिया.




जिला शिक्षा अधिकारी ने दिए जांच के आदेश
इस संबंध में जिला शिक्षा अधिकारी डॉ संजय गुहे ने कहा हमारे संज्ञान में आया है कि मैनपाट ब्लॉक के दातीढाब में स्कूली बच्चों से कार्य कराया जा रहा है.इसकी जांच के लिए विकासखंड शिक्षा अधिकारी को आदेश दे दिए गए है. रिपोर्ट में जिसकी गलती सामने आएगी,उसपर कार्रवाई की जाएगी. 


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