Chhattisgarh News: देश में हर राज्य की अपनी अलग-अलग पहचान है. इसके पीछे वहां की बोली भाषा, खान पान और पहनावा है. इसी तरह देश में छत्तीसगढ़ राज्य की अलग और खास पहचान है, राज्य के आदिवासी और छत्तीसगढ़ी संस्कृति लोकप्रिय है. चलिए आज छत्तीसगढ़ के टॉप पांच ब्रेकफास्ट के बारे में जानते हैं, जो ग्रामीण इलाकों में रोजाना बनाया जाता है. वहीं इन दिनों शहरी भीड़भाड़ में भी देशी फूड आइटम खाने को मिल रहे हैं.


छत्तीसगढ़ की सबसे फेमस फूड है चिला
दरअसल, सर्दियों का मौसम है, इस मौसम में लोग देसी खानपान को ज्यादा पसंद करते हैं. छत्तीसगढ़ में सुबह के नाश्ते में सबसे ज्यादा चिला और टमाटर की तीखी चटनी खाई जाती है. ये आसानी से गांव में और शहरों में बनाई जा सकती है, क्योंकि चावल के आटे में नमक डाल कर पानी मिलाकर इसका घोल बनाया जाता है. इसके बाद कम तेल में तवे में गोला आकार में पकाया जाता है. 5 मिनट के भीतर चिला बनकर तैयार हो जाता है. ये आजकल रायपुर के गढ़ कलेवा में सबसे ज्यादा बिकने वाला नाश्ता है.


बोबर चिला में मिलाया जाता है गुड़


इसी तरह चिला का एक और वेरायटी जो ग्रामीण इलाकों में खासकर बनाया जाता है. इस चिला का नाम बोबरा रोटी है. इसको बनाने के लिए शुगर फ्री चावल को रात भर भिगो कर रखा जाता है. सुबह नाश्ता बनाने से पहले गुड़ के साथ सिल बट्टे में पीस लिया जाता है. इसके बाद डी फ्राई किया जाता है. इसका स्वाद थोड़ा मीठा होता है, लेकिन इसे ग्रामीण बड़े चाव से खाते हैं. 




कैसे बनाया जाता है अंगाकर रोटी
अब बात करते हैं अंगाकर रोटी जिसे गैस चूल्हा में नहीं बनाया जा सकता है. इसे केवल गोबर के कंडे में ही पकाया जाता है. गरम पानी में चावल आटा और नमक मिलाया जाता है. इसके पेस्ट को गरम तवे पर डाला जाता है. इसे बनाने में तेल काफी कम लगता है फिर इसे जंगली पत्ते या केले के पत्ते से रोटी को ढक दिया जाता है. इसमें ऊपर गोबर का जलता हुआ कंडा रखा जाता है. चूल्हे में जलाई गई आग को बुझा दिया जाता है. अंगाकर रोटी के ऊपर रखे जलते कंडे से रोटी पकती है. इसके बाद जब कंडा की आग बुझ जाए तो पत्ते निकलकर रोटी को सुखी मिर्च की चटनी और चिरपोटी पताल यानी कंचे जैसे छोटे टमाटर की चटनी से रोटी को परोसा जाता है.




रात में बचे चावल को बनाया जाता है फरा
रात के बचे चावल को बासी बनाया जाता है. इसी बासी से पानी निचोड़कर के चावल आटा और नमक डालकर मिक्स किया जाता है. हाथ से उसे छोटा-छोटा फरा बनाया जाता है. इसे बनाने के लिए तेल गरम कर इसमें तिल, मीठा नीम की पत्ती और हरी मिर्च डाला जाता है. बासी चावल और पिसा टमाटर और नमक हल्दी डालकर इसे अच्छे से पकाया जाता है. इसके बाद बासी और चावल आटा से बनाए गए फरा को उसमें डाला जाता है, फिर इसे कुछ देर के लिए पकाया जाता फिर ये खाने के लिए तैयार है.




गुलगुला भजिया मीठा और स्वादिष्ट होता है
छत्तीसगढ़ में नमकीन टेस्ट वाले ब्रेकफास्ट के साथ मीठा भजिया का चलन है. खासकर देशी आइटम में गुलगुला भजिया लोगों को काफी पसंद आता है. इसे बनाने के लिए चावल  को गुड़ के पानी में मिलाया जाता है. इसके साथ नारियल कद्दूकस कर टेस्ट के लिए सौंफ मिलाया जाता है. इसके बाद इसे छोटे छोटे आकार में तेल में फ्राई किया जाता है. इसे छत्तीसगढ़ी में गुलगुला कहते है. आजकल शहरों में भी देसी गुलगुला बनाया जाता है. खासकर गढ़ कलेवा में चिला के बाद लोग गुलगुला खाना पसंद करते हैं.




देशी फूड की क्या है खासियत
छत्तीसगढ़ में अधिकांश ब्रेकफास्ट के आइटम चावल आटा से ही बनाया जाता है. छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा कहा जाता है. इसके पीछे प्रमुख वजह राज्य में चावल का ज्यादा उत्पादन है और ग्रामीण किसान इसी चावल से बने ब्रेकफास्ट को करते हैं. इससे सेहत में कोई नुकसान नहीं होता है, क्योंकि इसे बनाने में बहुत कम तेल का इस्तेमाल किया जाता है. कुछ आइटम ऐसे है जिसमें तेल का ज्यादा उपयोग होता है, लेकिन छत्तीसगढ़ के घरों में रोजाना सुबह इस तरह के देसी नाश्ता बनाया जाता है. इस देशी फूड की शुरुआत के बारे में बात करें तो ग्रामीण बताते हैं कि रात में अगर चावल बच जाता है तो उसे सुबह फेंकने की जगह उसको नाश्ते के रूप में इस्तेमाल कर लिया जाता है. 



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