Chhattisgarh First Archery Academy: बस्तर के जगदलपुर शहर में राज्य का पहला तीरंदाजी अकादमी (Archery Academy) तैयार होने जा रहा है. इसका मकसद प्रदेश के युवाओं की निशानेबाजी और तिरंदाजी (Shooting and Archery) में छिपी प्रतिभा को निखारना है. अकादमी में बस्तर के आदिवासी समेत प्रदेश के भी युवाओं को मौका मिलेगा.


हाल ही में मुख्यमंत्री ने बस्तर प्रवास के दौरान अकादमी की जगदलपुर में स्थापना की घोषणा की थी. राज्य का पहला तीरंदाजी अकादमी बस्तर के शहीद गुंडाधुर (Martyr Gundadhur) के नाम पर रखा जाएगा. क्रीड़ा परिसर (Sports Complex) में करोड़ों रुपए की लागत से बनाए जा रहे 120 मीटर की सुरक्षित आर्चरी रेंज (Archery Range) तीरंदाजी खिलाड़ियों के लिए तैयार किया जा रहा है. इसमें इंडियन आर्चरी समेत ओलंपिक के इवेंट रिकर्व और कम्पाउंड के 50-60  खिलाड़ी एक समय में एक साथ प्रैक्टिस कर सकेंगे. साथ ही बारिश के दिनों में प्रशिक्षण को प्रभावित होने से बचाने के लिए 30 मीटर इंडोर आर्चरी रेंज भी तैयार किया गया है.


50 गुना 30 मीटर के विशाल कवर्ड शेड के साथ ही ट्रेनिंग सेंटर भवन में खिलाड़ियों के लिए चेंजिंग रूम, रेस्ट रूम, प्रशिक्षक के लिए रूम, टेक्निकल वीडियो एनालिसिस रूम, स्टोर रूम, ऑफिशियल लाउंज का निर्माण भी किया गया है.


बस्तर में राज्य का पहला तीरंदाजी अकादमी


बस्तर कलेक्टर रजत बंसल ने जानकारी दी कि धरमपुरा के क्रीड़ा परिसर में तीरंदाजी अकादमी तैयार किया जा रहा है. प्रशिक्षण के लिए स्थानीय, अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता, ओलंपिक में पदक ले चुके खिलाड़ी और संस्था से भी अनुबंध कर प्रशिक्षकों की नियुक्ति की तैयारी है. इसमें प्रादेशिक खिलाड़ियों को ओलंपिक, एशियाड, कॉमनवेल्थ जैसी अंतरराष्ट्रीय स्पर्धाओं के लिए तैयार किया जा सकेगा और राज्य सरकार की मद के साथ ही CSR की राशि भी खर्च की जाएगी.


अकादमी चलाने के लिए प्रशासनिक ढांचा, प्रशिक्षण का सामान, साइकोलॉजिकल मेंटल और फिजिकल सेंटर भी तैयार किया जाएगा. तीरंदाजी अकादमी में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मानकों के आधार पर खिलाड़ियों का चयन किया जाएगा. कलेक्टर रजत बंसल के मुताबिक आर्चरी फेडरेशन ऑफ इंडिया से मान्यता प्राप्त कर प्रशिक्षण कैंप का आयोजन भी यहां किया जा रहा है. कोशिश की जा रही है कि बस्तर और छत्तीसगढ़ के खिलाड़ियों को पूरी तरह से इस अकादमी में सुविधा मिले. इसे ध्यान में रखते हुए अकादमी को तैयार किया जा रहा है. आनेवाले समय में निश्चित तौर पर इस अकादमी में तीरंदाजी के खिलाड़ी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर होनेवाले खेलों का भी हिस्सा बन सकेंगे.




सुविधा और बेहतर प्रशिक्षण की कमी होगी दूर


स्थानीय जानकारों का कहना है खासकर बस्तर के आदिवासी युवाओं में खेल के प्रति काफी जुनून है और शारीरिक क्षमता भी अधिक है. बस्तर के अंदरूनी क्षेत्र में कई खिलाड़ी राष्ट्रीय स्तर की खेल प्रतियोगिता का भी हिस्सा बन चुके हैं लेकिन सुविधा और बेहतर प्रशिक्षण की कमी के कारण बाजी नहीं मार पाते थे. ऐसे में प्रशासन से मांग की जा रही थी कि बस्तर के युवाओं को खेल प्रतिभा निखारने का मौका और सुविधा मिले. बस्तर के आदिवासी युवा भी  तीरंदाजी में भी काफी माहिर हैं.


ऐसे में इस अकादमी की स्थापना से निश्चित तौर पर बस्तर के खिलाड़ियों समेत छत्तीसगढ़ के खिलाड़ियों को भी काफी फायदा मिलेगा और अंतरराष्ट्रीय स्तर की खेल प्रतियोगिता में हिस्सा लेकर मेडल प्राप्त कर सकेंगे. तीरंदाजी के खिलाड़ियों का कहना है कि सुविधाओं की कमी राष्ट्रीय खेलों में बाधा बन रही थी. अगर कुछ खिलाड़ियों का चयन होता भी था तो सही प्रशिक्षण और संसाधनों की कमी के कारण विजेता नहीं बन पाते थे. ऐसे में तीरंदाजी अकादमी की स्थापना से निश्चित तौर पर फायदा मिलेगा. अच्छे प्रशिक्षक, सुविधाएं मिलने से निश्चित तौर पर अंतरराष्ट्रीय स्तर की तीरंदाजी प्रतियोगिता में हिस्सा लेकर गोल्ड मेडल जीतेंगे और बस्तर के साथ-साथ छत्तीसगढ़ का भी नाम रोशन करेंगे.


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