Bhilai स्टील प्लांट को लंबी प्रक्रिया के बाद मिला नया माइंस, आयरन ओर की पहली खेप रवाना
Chhattisgarh News: दुल्की माइंस से आयरन ओर की पहली खेप को भिलाई स्टील प्लांट के सीईओ अनिर्बान दासगुप्ता ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया.
Bhilai Steel Plant: लंबी प्रक्रिया और दो साल की कड़ी मेहनत के बाद दुलकी माइंस (Dulki Mines) से भिलाई स्टील प्लांट (Bhilai Steel Plant) को आयरन ओर (Iron Ore) की आपूर्ति संभव हो सकी. गौरतलब है कि पिछले 60 वर्षों से भिलाई स्टील प्लांट के लिए आयरन ओर की आपूर्ति दल्ली राजहरा माइंस से होती रही है. लेकिन पिछले कुछ वर्षों से इस माइंस में आयरन की कमी के साथ-साथ गुणवत्ता में भी गिरावट देखी जा रही थी. ऐसे में विकल्प के तौर पर रावघाट माइंस तो था लेकिन भिलाई स्टील प्लांट तक रेल लाइन बिछाने का काम अधूरा था.
भिलाई स्टील प्लांट को आयरन ओर की आपूर्ति करने में कई चुनौतियां थीं
रेल लाइन बिछाने के काम को पूरा होने में अभी लगभग 2 वर्ष का समय और लगेगा. इसके अलावा ओड़िशी और झारखंड में स्थित सेल की दो अन्य माइंस भी विकल्प के तौर पर मौजूद थीं. लेकिन लम्बी दूरी होने के कारण मालभाड़े का खर्च ज्यादा आने का सीधा असर प्रोडक्शन ऑफ कास्ट पर हो रहा था. जून 2019 में भिलाई स्टील प्लांट को दुल्की माइंस संभावना के रूप में दिखी, लेकिन इसकी भी राह आसान नहीं थी क्योंकि माइंस घोर जंगल और नक्सल प्रभावित क्षेत्र में है.
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दुलकी माइंस से आयरन ओर की पहली खेप रवाना करने में लगे 2 साल
27 मई 2022 को दुल्की माइंस से आयरन ओर की पहली खेप को भिलाई स्टील प्लांट के सीईओ अनिर्बान दासगुप्ता ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया. इस मौके पर प्लांट के अन्य अधिकारी और कर्मचारी भी मौजूद थे. दासगुप्ता ने दुलकी माइंस में 14 जून 2019 की पहली यात्रा को याद करते हुए कहा कि 2 वर्षों में ही सघन वन क्षेत्र से उच्च गुणवक्तायुक्त आयरन ओर का उत्पादन कर दुलकी माइंस के कर्मचारियों ने एक मिसाल कायम की है. दासगुप्ता ने मेहनत और लगन से काम करने के लिए सभी को प्रेरित किया.
उन्होंने दुलकी माइंस के सभी कर्मचरियों और अधिकारियों के कार्यों की प्रसंशा करते हुए उत्पादन एवं गुणवत्ता में सुधार लाने का संदेश दिया. वर्तमान में भिलाई स्टील प्लांट का उत्पादन लगभग पांच मिलियन टन प्रतिवर्ष है. इसके लिए प्रतिवर्ष लगभग दस मिलियन टन आयरन ओर की आवश्यकता पड़ती है. इसकी आपूर्ति दल्ली राजहरा के अलावा ओड़िशा और झारखंड में स्थित सेल की दो अन्य माइंस से होती है. भविष्य में भिलाई स्टील प्लांट का उत्पादन लक्ष्य लगभग सात मिलियन टन का है. इसके लिए लगभग चौदह मिलियन टन आयरन ओर की आवश्कता होगी. ऐसे में दुलकी माइंस आयरन ओर की कमी को पूरा करने के साथ भिलाई स्टील प्लांट का उत्पादन बढ़ाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगी.
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