Chhattisgarh Bastar Rail Andolan: बस्तर (Bastar) में रेल सुविधाओं के विस्तार की मांग और अधूरी पड़ी रेल लाइन को पूरा करने की मांग को लेकर काफी लंबे समय से बस्तर वासियों के द्वारा रेल आंदोलन (Rail Andolan) किया जा रहा है. इन मांगों को लेकर बीते 3 अप्रैल से कांकेर जिले के अंतागढ़ से जगदलपुर तक 170 किलोमीटर की पदयात्रा भी बस्तर वासियों ने निकाली, जिसमें सैकड़ों लोग शामिल हुए. लगभग 10 दिनों तक पदयात्रा पूरी करने के बाद आज ये दल जगदलपुर (Jagdalpur) शहर पहुंचा, जहां बस्तर के विभिन्न सामाजिक संगठनों, स्कूली छात्रों और सैकड़ों की संख्या में बस्तर वासियों ने पदयात्रा में शामिल रहे सभी सदस्यों का स्वागत किया. पदयात्रा कर पहुंचे सदस्यों ने कहा कि रेल आंदोलन का ये पहला चरण आज समाप्त हुआ है, लेकिन अगले 2 महीने के अंदर रेल मंत्री और रेलवे प्रशासन के उच्च अधिकारी उनकी मांग पूरी नहीं करते हैं तो आंदोलन के दूसरे चरण की शुरुआत की जाएगी. जरूरत पड़ने पर रेल रोको आंदोलन भी किया जाएगा.


पदयात्रियों का शहरवासियों ने किया स्वागत
पदयात्रा में शामिल रहे रेल आंदोलन के सदस्य संपत झा, किशोर पारख और अन्य सदस्यों ने बताया कि बीते 3 अप्रैल से कांकेर जिले के अंतागढ़ जहां से जगदलपुर तक रेल लाइन बिछनी है वहां से बीते 3 अप्रैल को पदयात्रा की शुरुआत की गई. इस पदयात्रा को लगातार लोगों का समर्थन मिला. पदयात्रा में बड़ी संख्या में महिलाएं भी शामिल रहीं. लगभग 10 दिनों तक 170 किलोमीटर की पदयात्रा कर मंगलवार को उनका दल जगदलपुर पहुंचा. बड़ी संख्या में बस्तरवासी और स्कूली छात्राओं ने इन सदस्यों का स्वागत किया. सदस्यों ने कहा कि जब तक उनकी मांग पूरी नहीं हो जाती वो चरणबद्ध तरीके से अपना रेल आंदोलन जारी रखेंगे.




रेल रोको आंदोलन की होगी शुरुआत
सदस्यों ने कहा कि रेल प्रशासन को हर साल बस्तर से ही लौह अयस्क के जरिए खरबों रुपए की कमाई होती है, बावजूद इसके ना ही रेल लाइन से बड़े महानगरों को जगदलपुर से जोड़ा गया है और ना ही रेल सुविधाओं के विस्तार के लिए रेल मंत्रालय कोई ध्यान दे रहा है. यही नहीं पांच दशकों से मांग करने के बावजूद आज तक जगदलपुर शहर को राजधानी रायपुर से जोड़ा नहीं जा सका है, केवल 150 किलोमीटर का काम बचा है लेकिन उसमें भी केंद्र सरकार लेटलतीफी बरत रही है और अधूरे पड़े इस रेल लाइन को अब तक पूरा नहीं किया जा सका है. सदस्यों का कहना है कि बस्तरवासी अब अपने हित के लिए लगातार चरणबद्ध तरीके से अपना आंदोलन जारी रखेंगे. रेल आंदोलन का पहला चरण मंगलवार को समाप्त हुआ है, इसके बाद बस्तर कमिश्नर को रेल मंत्री के नाम ज्ञापन सौंपकर 2 महीनों के भीतर जवाब मांगा जाएगा. अगर कोई पॉजिटिव जवाब नहीं मिलता है तो इस आंदोलन की दूसरे चरण की शुरुआत की जाएगी और एक बार फिर से जरूरत पड़ने पर बस्तरवासी रेल रोको आंदोलन के लिए बाध्य होंगे.


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