Chhattisgarh: आजादी के बाद पहली बार सुकमा जिले का ये गांव हुआ बिजली से रौशन, ग्रामीणों में खुशी की लहर
Sukma: एल्मागुंडा ऐतिहासिक रूप से वामपंथी उग्रवाद (एलडब्ल्यूई) की चपेट में रहा है. इसलिए विद्युतीकरण की ये उपलब्धि और भी उल्लेखनीय हो गई है. अब तक एल्मागुंडा के ग्रामीण सौर ऊर्जा पर निर्भर रहते थे.
Sukma News: देश का स्वतंत्रता दिवस के रंग में डूबा हुआ है. वहीं सोमवार को भारत की 76वीं स्वतंत्रता दिवस की सालगिरह से ठीक एक दिन पहले छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के माओवाद प्रभावित सुकमा (Sukma) जिले में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है. सोमवार को जिले के सबसे संवेदनशील क्षेत्रों में से एक एल्मागुंडा को आखिरकार बिजली से रोशन कर दिया गया. एल्मागुंडा बीजापुर जिले और तेलंगाना राज्य की सीमा के पास स्थित है. यहां लगभग 500 निवासियों की आबादी है.
एल्मागुंडा ऐतिहासिक रूप से वामपंथी उग्रवाद (एलडब्ल्यूई) की चपेट में रहा है. इसलिए विद्युतीकरण की ये उपलब्धि और भी उल्लेखनीय हो गई है. अब तक एल्मागुंडा के ग्रामीण सौर ऊर्जा पर निर्भर रहते थे. वहीं कई घरों में किसी भी प्रकार से लगातार बिजली की पहुंच नहीं थी. बस्तर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक सुंदरराज पी के मुताबिक एल्मागुंडा गांव में नक्सलियों की हिंसक गतिविधियों के कारण अब तक बिजली की व्यवस्था नहीं हो सकी थी.
ग्रामीणों में खुशी की लहर
बता दें सफल विद्युतीकरण परियोजना छत्तीसगढ़ विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड (सीएसपीडीसीएल), जिला पुलिस और केंद्रीय पुलिस रिजर्व बल (सीआरपीएफ) के बीच एक सहयोगात्मक प्रयास था. एल्मागुंडा को रौशनी की ओर ले जाने की ये यात्रा छह महीने पहले शुरू हुई, जब सुरक्षा बलों ने इस अत्यधिक नक्सल प्रभावित क्षेत्र के मध्य में एक पुलिस शिविर लगाया. आज, एल्मागुंडा के प्रत्येक घर में बिजली कनेक्शन चालू है, जिससे ग्रामीणों में संतुष्टि और खुशी की लहर है.
वहीं सुकमा के पुलिस अधीक्षक किरण चव्हाण के अनुसार, इस परिवर्तन को लाने के लिए उठाए गए सक्रिय कदमों का ही ये परिणाम है. उन्होंने कहा, "पुलिस शिविर स्थापित करने के बाद, हमने एल्मागुंडा में ग्रामीणों के साथ लगातार बातचीत जारी रखी. इस बातचीत का उद्देश्य गांव के विकास में भागीदारी को प्रोत्साहित करना और नक्सली गतिविधियों के बारे में जागरूकता बढ़ाना था. वहीं पिछले कुछ महीनों में, एल्मागुंडा, टोंडामरका और बेदरे समेत सबसे अधिक नक्सल प्रभावित इलाकों में पुलिस और सीआरपीएफ के कई कैंप खुल गए हैं."
सुरक्षा शिविरों की स्थापना परिवर्तनकारी हुई साबित
किरण चव्हाण ने कहा इन शिविरों ने न केवल कानून और स्थानीय आबादी के बीच पुल के रूप में काम किया है, बल्कि सड़क, बिजली और शैक्षणिक संस्थानों जैसी आवश्यक सुविधाओं का मार्ग भी प्रशस्त किया है. गौरतलब है कि स्वतंत्रता दिवस 2023 की शुरुआत के साथ, एल्मागुंडा का विद्युतीकरण प्रगति के एक मार्मिक प्रतीक के रूप में खड़ा है. बस्तर रेंज में एकीकृत विकास केंद्र के रूप में सुरक्षा शिविरों की स्थापना परिवर्तनकारी साबित हुई है.
ये शिविर न केवल सुरक्षा संचालन सुनिश्चित करते हैं, बल्कि सड़क निर्माण, विद्युतीकरण और आवश्यक सेवा बिंदुओं, स्कूलों, बाल, देखभाल केंद्रों और स्वास्थ्य सुविधाओं की स्थापना जैसी महत्वपूर्ण विकासात्मक परियोजनाओं की सुविधा भी प्रदान करते हैं.