Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ में नई तकनीक से किया जा रहा है पानी संरक्षण, की गई ये खास व्यवस्था
Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ में पानी की किल्लत से निपटने के लिए, वैज्ञानिक तकनीक के जरिये, पानी को संरक्षित किया जा रहा है. इस तकनीक से अब तक 4 हजार 855 नरवा को पुनर्जीवित किया जा चुका है.
Scientific techniques adopted for water conservation in Chhattisgarh: देश में बढ़ती जनसंख्या, औद्योगिकीकरण में वृद्धि और कृषि में विस्तार होने से पानी की मांग बढ़ती ही जा रही है. ऐसे में सतही पानी की बजाय ग्राउंड वॉटर का ज्यादा इस्तेमाल से पूरे विश्व के सामने पानी का संकट पैदा हो रहा है. गर्मियों के दिन में अक्सर नदी-नाले और जल स्रोत सूख जाते हैं. लोगों को पानी के किल्लत से जूझना पड़ता है, ऐसे में इस दौर में भू जल स्तर में सुधार किया जाना सबसे बड़ी चुनौती है. वहीं पानी की किल्लत से निपटने के लिए छत्तीसगढ़ में नई तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है.
दरअसल पहाड़ियों से छोटी छोटी नदी और जलस्रोत निकलते हैं, यह अपने तेज बहाव के साथ दिशाहीन हो कर बहते हैं. इसके लिए वैज्ञानिक पद्धति से एक-एक नरवा (छोटी नदी) में करीब एक दर्जन अलग-अलग डेम बनाए जा रहे है. पहले डेम से तेज बहाव पर कंट्रोल किया जाता है, फिर अलग-अलग डेम के जरिए से पानी को इकठ्ठा किया जाता है. इससे जहां पहले गर्मियों के दिनों में पानी सूख जाता था, वहीं अब इन महीनों में भी पानी आसानी से उलब्ध है.
गूगल अर्थ से मिली सहायता
राज्य में नरवा विकास योजना जल संरक्षण किया जा रहा है. इसके लिए प्रदेश भर में वाटर रिचार्ज के गूगल अर्थ स्टूडियो से करीब 30 हजार छोटी नदियों की पहचान की गई है. इसमें से 8 हजार नरवा का ट्रीटमेंट किया जा रहा है, जबकि इस योजना से अब तक दो साल में 4 हजार 855 नरवा को पुनर्जीवित किया जा चुका है. इसके लिए 2019 से अब तक 88 लाख 79 हजार 216 संरचना स्वीकृत हुए है और कुल 9 हजार 834 किलोमीटर नरवा पुनर्जीवित किया गया है.
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ढाई फीट तक बढ़ा वॉटर लेवल
वाटर रिचार्ज के लिए सर्वप्रथम बेस लाईन सर्वे के द्वारा नरवा की पहचान की जाती है. GIS पद्धति से DPR तैयार करना और क्षेत्रीय स्तर पर Ridge to Valley के आधार पर काम को अंजाम दिया जाता है. प्रधान मुख्य वन संरक्षक राकेश चतुर्वेदी ने बताया कि, इससे नरवा के कैचमेंट एरिया में ग्राउंड वाटर लेवल करीब ढाई फीट बढ़ गई है.
जल संरक्षण के लिए बनाए जा रहे हैं 17 प्रकार के डेम
छत्तीरगढ में वाटर रिचार्ज के लिए कई प्रकार के डेम बनाए जाते है. इसमें लूज बोल्डर चेकडैम, गेबियन संरचना, अर्दन डेम, वॉटर एब्जापर्शन ट्रेंच, स्टैगगर्ड कंटूर ट्रेंच/ कंटिन्यूअस कंटूर ट्रेंच, अर्दन गल्ली प्लग, चेक डेम,स्टॉप डेम, पर्कुलेशन टैंक, तालाब/डबरी/वॉटरहोल, डाइक,30-30 मॉडल (वृक्षारोपण सहित), कंटूर बंड, तालाब गहरीकरण/स्टील रीमूवल, एनिकट बनाया जा रहा है.
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