छत्तीसगढ़ के भानुप्रतापपुर उपचुनाव के लिए मतदान सम्पन्न होने के बाद भी बीजेपी और कांग्रेस के नेताओं के बीच जुबानी जंग जारी है. आरक्षण के मुद्दे को लेकर आबकारी मंत्री कवासी लखमा के बयान पर बीजेपी नेता और पूर्व मंत्री केदार कश्यप का विवादित बयान सामने आया है, जिसमें उन्होंने कवासी लखमा को चुनौती दी है.


दरअसल भानुप्रतापपुर उपचुनाव में प्रभारी मंत्री कवासी लखमा ने कांग्रेस प्रत्याशी के पक्ष में चुनावी प्रचार के दौरान स्थानीय लोगों से कहा था कि आने वाले 2 दिसम्बर को विशेष सत्र बुलाकर आरक्षण को लागू कर दिया जाएगा, जिसके साथ ही सभी को आरक्षण का लाभ मिलना शुरू हो जाएगा और अगर उस वक्त तक यह आरक्षण लागू नहीं होता है तो मैं अपने पद से इस्तीफा दे दूंगा.


केदार कश्यप ने दिया विवादित बयान


इस बयान पर बीजेपी नेता केदार कश्यप ने मंगलवार को जगदलपुर में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कवासी लखमा पर निशाना साधते हुए शब्दों की मर्यादा लांघ गए. उन्होंने यहां तक कह डाला कि ''अगर कवासी लखमा असली मां-बाप के बेटे हैं तो अपने पद से तत्काल इस्तीफा दे दें''.


क्योंकि वे अपने वादे के अनुसार 2 दिसंबर से आरक्षण को लागू नहीं करा पाये. उन्होंने आरोप लगाया कि अब तक इस आरक्षण विधेयक को लेकर राज्यपाल ने दस्तखत भी नहीं किए हैं. ऐसे में मंत्री कवासी लखमा ने आदिवासियों को खुश करने के लिए इस तरह का बयान दे डाला, लेकिन अब अपने वायदे के मुताबिक 5 दिन ऊपर बीत गए हैं.


भूपेश सरकार पर निशाना साध रहे बीजेपी समर्थक


गौरतलब है कि संशोधित आरक्षण पर विधेयक पारित करने के लिए 1 और 2 दिसंबर को छत्तीसगढ़ विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया गया था. इसमें सर्वसम्मति से विधेयक को मंजूरी दी थी, जिसके बाद राज्यपाल अनुसुईया उइके के पास हस्ताक्षर के लिए राज्य सरकार के मंत्री स्वयं विधेयक लेकर गए थे. राज्यपाल ने जानकारों से सलाह लेने के बाद ही विधेयक पर हस्ताक्षर करने की बात कही, लेकिन अब तक इस आरक्षण को लागू करने को लेकर आगे बात नहीं बढ़ी है, ऐसे में बीजेपी के नेता भूपेश सरकार और मंत्री कवासी लखमा पर निशाना साध रहे हैं.


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