Gaurela-Pendra-Marwahi district: आमतौर पर मानसून के आगमन की सूचना घने बादल, ठंडी हवा और मौसम विभाग के अनुमान से मिलती है. लेकिन छत्तीसगढ़ के मरवाही में मानसून के आगमन का पता लगाने की अलग की कहानी है. दरअसल, मरवाही के जंगलों में इन दिनों डीकामाली का फूल खिल गया है. यहां के लोगों का मानना है कि मानसून आने के पहले जंगलों में ये फूल खिलता है. जिसके बाद ग्रामीण अंदाज लगाते है कि अब मानसूनी बरसात शुरू होने वाली है. एक बार फिर डीकामाली का फूल मानसून का संकेत और पुष्टि कर रहा है.
डीकामाली के फूल को बेहद दुर्लभ माना जाता है और इसकी कई खासियत है. इसकी खुशबू कई किलोमीटर दूर तक जाती है. इस अनोखे फूल, उसके फल और इसके पौधे मरवाही की वादियों को इन दिनों खुशनुमा बना रही है.
मानसून का स्वागत करने के लिए खिलते हैं ये फूल
दरअसल, मरवाही और अमरकंटक की वादियों में कई सालों के बाद रूबीकेई प्रजाति के पौधे जिसका हिंदी नाम डीकामाली और छत्तीसगढ़ी में इसे माल्हिन और मालगुहिन कहते है. इस बार वनों के बीच में खिल उठा है. डीकामाली के फूल की खुशबू बहुत दूर तक फैलती है और जंगल इसकी खुशबू से भर जाता है. इसकी दूसरी खासियत यह है कि इसके पौधे से निकलने वाला गोंद कई प्रकार की बीमारियों को ठीक करता है.
इसके अलावा आदिवासी इसके सूखने पर बच्चों को बुरी नजर से बचाने के लिए उनके गले में धागे के साथ गूंथकर रखते है. डीकामाली पौधे में फूल से फल की अवधि जून से जुलाई की होती है. जिसके बारे में माना जाता है कि यह गर्मी की विदाई और मानसून का स्वागत करने के लिए खिलता है.
क्या कहा पर्यावरणविद पूरन छाबरिया ने?
पेंड्रा के पर्यावरणविद पूरन छाबरिया का कहना है कि प्रकृति में हर पेड़ पौधे बोलते है और वही हमारी परंपरागत ज्ञान की विद्या है. माल्हिन के फूल खिले इसका मतलब मानसून आना ही है. डीकामाली की सबसे खास बात यह है कि इसके गोंद से महाराष्ट्र में जितने भी फल होते है उनका नेचुरल ग्रोथ और कीटनाशक में इसका उपयोग किया जाता है.
इसके अलावा गाय अगर दूध देना बंद कर देती है या कम देती है. उसके पेट में कीड़े हो जाते हैं. इस समय इसके गोंद को सानी या भूसे के साथ थोड़ा थोड़ा खिलाने पर अलग प्रभाव पड़ता है. गाय अगर तीन लीटर दे रही है वो चार-पांच लीटर देगी. एक और विशेष गुण है जो देश के लिए बहुत जरूरी है. रक्त कैंसर के लिए यह सीधी दवाई है.