छत्तीसगढ़: भारत की एक बड़ी आबादी खेती-किसानी पर आधारित है. साथ ही धान देश में मुख्य फसलों में शामिल है. हर साल धान किसानों को अलग-अलग फसली बीमारियों की वजह से नुकसान भी उठाना पड़ता है. कई बार देखा गया है किसान फसलों में लगने वाली बीमारियों की वजह से काफी नुकसान झेलते हैं. लेकिन अब एक नई तकनीक से समस्याओं का हल निकलता दिख रहा है. दरअसल छत्तीसगढ़ की रहने वाली परमेश्वरी यादव ने धान की फसलों में लगने वाली बीमारियों का सही समय पर पता लगाकर उनके उपचार के लिए दवाइयों का सुझाव देने का सॉफ्टवेयर तैयार किया है.


ये होगा फायदा


आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक पर काम करने वाला ये सॉफ्टवेयर शुरूआती दिनों में ही फसल में होने वाली बीमारी का पता लगा लेता है और किसानों को सही दवाई का सुझाव भी मुहैया कराता है. इसी तरह से दो छात्रों वैभव देवांगन और धीरज यादव ने फसलों के बीच उगे खरपतवारों को पहचानने का सॉफ्टवेयर भी तैयार किया है.


छतीसगढ़ के दो प्रोजेक्टों का हुआ चयन


भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की तरफ से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर आयोजित प्रतियोगिता का नतीजा सामने आ चुका है. इसमें देश के टॉप 60 प्रोजेक्ट में छत्तीसगढ़ के छात्रों के दो प्रोजेक्ट का चयन हुआ है. महासमुंद जिले के शासकीय कुलदीप निगम उच्चतर माध्यमिक विद्यालय नर्रा की छात्रा परमेश्वरी यादव के कृषि समस्या और इसी स्कूल के छात्र वैभव देवांगन और धीरज यादव के फसलों के बीज में उगे खरपतवारों को पहचानने के प्रोजेक्ट का चयन किया गया है.


टॉप 30 को मिलेगा ये मौका


अब तीसरे चरण के लिए चयनित छात्रों को प्रशिक्षण देकर उनके प्रोजेक्ट्स को वर्किंग प्रोटोटाईप में तब्दील करने का काम किया जाएगा. उनका आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के विशेषज्ञ ऑनलाईन इंटरव्यू करेंगे और उनमें से टॉप 30 को तीसरे चरण में अंतिम रूप से विजेता घोषित किया जाएगा. विजेताओं को दिल्ली में एक विशेष कार्यक्रम में अपने प्रोजेक्ट दिखाने का मौका मिलेगा.


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