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इस योजना के तहत किसान ने गोबर बेचकर कमाए 54 हजार, आप भी उठा सकते हैं लाभ, जानें कैसे
दुर्ग में पाहंदा के राजेंद्र साहू भी गोधन न्याय योजना का लाभ उठा रहे हैं. वे बड़ी संख्या मे गोबर बेचते हैं और पिछले साल 54 हजार रुपये गोबर बेचकर जमा किए हैं. वहीं दूसरे काम भी आसानी से कर पा रहे हैं.
Chhattisgarh Godhan Nyay Yojana: छत्तीसगढ़ में सरकार की गोधन न्याय योजना किसानों के लिए बेहद उपयोगी साबित हुई है. नई पद्धति से किसान इस योजना का आसानी से लाभ उठा पा रहे हैं. दुर्ग में पाहंदा के किसान राजेंद्र साहू भी इससे लाभ उठा रहे हैं. वे बड़ी संख्या मे गोबर बेचते हैं और पिछले साल उन्होंने 54 हजार रुपये गोबर बेचकर जमा किए हैं. पशुओं के लिए चारा लाना हो या कोई दूसरा काम सभी आसानी से कर पा रहे हैं, इसके लिए किसान राजेंद्र साहू ने बाइक के पीछे स्ट्रक्चर बनवा लिया है.
चाहे गोबर बेचने गौठान तक जाना हो या पशुओं के लिए चारा लाना हो, यह स्ट्रक्चर काफी उपयोगी है. राजेंद्र ने बताया कि उनके पास 35 पशु हैं, इनके लिए चारा लाना होता था, तो बाइक पर एक बार में चारा लाने में दिक्कत होती थी. फिर गोधन न्याय योजना आ गई. जिसके बाद बाइक के पीछे ऐसा स्ट्रक्चर बनवा लिया, जिससे सामना रखने में दिक्कत न हो और आसानी से ला सके.
गोबर गैस से ही बनाते हैं अपने घर का खाना
पशुधन का बेहतर उपयोग कैसे हो, इसके लिए राजेंद्र ने क्रेडा की मदद के घर में गोबर गैस प्लांट भी लगवा लिया. घर का खाना इसी गोबर गैस प्लांट से बनता है. राजेंद्र ने बताया कि घर का खाना इसी प्लांट से तैयार होता है. गोधन न्याय योजना बहुत अच्छी योजना है, इससे अतिरिक्त आय के अवसर किसानों को मिले हैं. उन्होंने बताया कि गोधन न्याय योजना के आने से मवेशी किसानों के लिए काफी लाभप्रद हो गए हैं. हर तरह से इनके माध्यम से लाभ अर्जित किया जा सकता है.
अधिकारी लगातार कर रहे मॉनिटरिंग
इस संबंध में जानकारी देते हुए जिला पंचायत सीईओ अश्विनी देवांगन ने बताया कि शासन के निर्देश और डीएम डॉ. सर्वेश्वर नरेंद्र भुरे के मार्गदर्शन में जिले में नवीनीकरण ऊर्जा की दिशा में बड़ा काम हो रहा है. इसके साथ ही किसानों में नई पद्धति की प्रवृत्ति बढ़ रही है. शासन द्वारा जब नई योजनाएं लाई जाती हैं और ग्रामीण विकास की दिशा में ठोस पहल होती है तो इसका जमीनी असर भी अच्छा होता है. सीईओ ने बताया कि गोधन न्याय योजना के माध्यम से स्वावलंबी गौठान बनाने की दिशा में ठोस कार्य हो रहा है. हमने अमले को निर्देशित किया है कि हर गांव की जरूरत के मुताबिक और नजदीकी बाजार की उपलब्धता को देखते हुए आजीविका केंद्र में सामग्री तैयार की जाए ताकि स्वसहायता समूहों की आय को बढ़ाया जा सके.
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