दुर्ग: गोधन न्याय योजना के माध्यम से ग्रामीणों की ऐसी खुशियां भी पूरी हो पा रही हैं जो सामान्यतः विवाह जैसे बड़े आयोजनों के मौके पर ही पूरी हो पाती थीं और उसके लिए भी अमूमन कर्ज का सहारा लेना पड़ता था. लेकिन अब योजना का लाभ उठाकर ग्रामीण अपनों के लिए कुछ कर पा रहे हैं. बता दें कि गोधन न्याय योजना के माध्यम से पहाटियों के आर्थिक स्तर में विशेष बदलाव आया है. ग्राम आगेसरा में तीन पहाटिया हैं और तीनों ही गोधन न्याय योजना के माध्यम से अच्छी आय प्राप्त कर रहे हैं.
ग्रामीण उठा रहे गोधन न्याय योजना का लाभ
आगेसरा में पहाटिया के रूप में काम कर रहे भोजराम यादव ने बताया कि गोधन न्याय योजना के माध्यम से उन्होंने पिछले साल 27 हजार रुपए गोबर बेचकर प्राप्त किये. इस राशि का सदुपयोग किस तरह हो सकता है यह विचार आया. उन्होंने अपनी पत्नी सीता के लिए कान का टाप्स खरीदा, यह चौदह हजार रुपए में आया. भोजराम ने बताया कि निशानी के रूप में मैंने इसे दिया, यह हमेशा के लिए यादगार रहने वाली चीज होती है और स्त्रीधन होता है. भोजराम ने बताया कि मैं ऐसी चीज नहीं लेना चाहता था जिसे मैं खर्च कर खत्म कर दूं बल्कि ऐसी चीज चाहता था जो हमेशा रहे और जिसकी कीमत भी बढ़ती रहे.
छोटी सी कहानी के बड़े मायने, स्त्रीधन से सशक्तिकरण और परिवार की खुशियां
भोजराम की कहानी बताती है कि छत्तीसगढ़ के ग्रामीण अपने विवेक से शासन की गोधन न्याय योजना के माध्यम से अपना भविष्य संवार रहे हैं. भोजराज ने अपनी पत्नी के लिए गहना लिया. उपहार दांपत्य जीवन में खुशियां बढ़ाते हैं इस प्रकार पारिवारिक जीवन में खुशियां का निवेश किया. इसके साथ ही सोना स्त्रीधन भी होता है. परंपरा से ही सोने को स्त्रीधन का क्षेत्र माना गया है. स्मृतिकारों ने भी कहा है कि स्त्री की आर्थिक सुरक्षा उसके स्त्रीधन से होती है और इसमें आभूषण शामिल होते हैं. जिन स्मृतिकारों ने महिलाओं के भूमि संबंधी अधिकारों पर आक्षेप किया, उन्होंने भी स्त्रीधन के रूप में आभूषणों को स्वीकार किया है इससे स्पष्ट है कि सोना भारतीय समाज में महिला सशक्तिकरण को मजबूत करता है.
गोधन न्याय योजना से ग्रामीणों की बचत बढ़ी है
बता दें कि मुख्यमंत्री की राजीव गांधी न्याय योजना, गोधन न्याय योजना आदि के माध्यम से लोगों की बचत बढ़ी है और इससे लोग बचत का कुछ हिस्सा सोना खरीदने में भी लगा रहे हैं. आड़े वक्त के लिए अपने को सुरक्षित रखने यह अच्छा है. जैसा कि भोजराम ने कहा कि वो ऐसा निवेश चाहते थे कि जिसकी कीमत वक्त के साथ बढ़े और उन्होंने यह अच्छा फैसला लिया. भोजराज ने जो पैसे बचाये और उसका जिस तरह से निवेश किया, उससे अन्य लोग भी जरूर प्रेरित होंगे
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