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Chhattisgarh Godhan Nyay Yojana: छत्तीसगढ़ के दुर्ग में बिना किसी इन्वेस्टमेंट के लाखों रुपये कमा रही हैं महिलाएं, जानिए कैसे
Chhattisgarh Godhan Nyay Yojana: दुर्ग में छत्तीसगढ़ सरकार की नरवा, गरवा, घुरवा, बाड़ी योजना से जुड़कर महिलाएं कामयाबी की सीढ़ी चढ़ रही हैं. यहां आजीविका केन्द्र से 30-40 महिलाओं को रोजगार मिल रहा है.
Chhattisgarh Godhan Nyay Yojana: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के दुर्ग (Durg) में महिलाएं सरकार की योजनाओं का बखूबी लाभ उठा रही हैं. कहा जाता है कि किसी भी क्षेत्र में कामयाब और सफल होने के लिए संगठन, कुशलता और अवसर की बहुत भूमिका होती है. इस बात को पाटन ब्लॉक के ग्राम पंचायत सांकरा की महिलाओं ने समझा और अपने जीवन में उतार कर सफल होने का गुर सीख लिया है. महिला समूह ने यहां बने आदर्श गौठान से अलग-अलग कामों के जरिए पैसे कमा कर आर्थिक स्वावलंबन की दिशा में आगे बढ़ने का काम किया है.
नारी शक्ति स्व सहायता समूह की महिलाओं ने छत्तीसगढ़ शासन की अतिमहत्वाकांक्षी योजना नरवा, गरवा, घुरवा, बाड़ी से जुड़कर कामयाबी की सीढ़ी चढ़ रही हैं. यहां शासन द्वारा आजीविका केन्द्र बनाया गया है, जिससे 30-40 महिलाओं को रोजगार मिल रहा है. आजीविका के माध्यम से महिला समूह स्वावलंबन की दिशा में आगे बढ़ रही हैं. आदर्श गौठान और आजीविका केन्द्र स्थापित होने से महिलाओं को आगे बढ़ने का सुनहरा अवसर मिला है.
योजना से लाखों रुपये की हो रही है कमाई
कुछ साल पहले ग्राम पंचायत की महिलाओं के जीविकोपार्जन और आय के स्त्रोत न के बराबर थे. आदर्श गौठान बनने से महिला समूहों ने वर्मी कंपोस्ट और सूपर कंपोस्ट का उत्पादन प्रारंभ किया. यहां अब तक 1 लाख 70 हजार किलोग्राम गोबर का क्रय किया है और पशु पालकों को 2 लाख 14 हजार 400 रुपये राशि दिया जा चुका है. महिलाओं द्वारा निष्ठा और लगन से कार्य करते हुए गोबर से कंपोस्ट खाद का निर्माण कर शुद्ध रूप से 42 हजार रुपये का लाभ अर्जित किया गया है. समूह की महिलाएं बेहतर सोच का परिचय देते हुए नर्सरी और बाड़ी का कार्य भी कर रही हैं.
सिलाई-कढ़ाई भी कर रही हैं महिलाएं
नर्सरी में महिलाओं द्वारा मुनगा, पपीता, अमरूद, कटहल आदि के पौधे तैयार कर अन्य ग्राम पंचायतों में वितरित किया जाता है. नर्सरी के साथ ही यहां गोभी, भाटा, बरबट्टी, कुम्हड़ा, लौकी, भिंडी, करेला, गलका आदि का उत्पादन का स्थानीय बाजार में बिक्री की जा रही है, जिससे उन्हें अतिरिक्त आय होने लगी है. शासन द्वारा संचालित अलग-अलग योजनाओं का लाभ महिलाओं ने बेहतर ढंग से उठाया है. महिलाओं को कृषि विभाग से मिनी राइस मिल मिला है. ग्राम पंचायत में स्थापित आजीविका केन्द्र में समूह और संगठन की महिलाएं साबुन, फिनाइल के साथ-साथ सिलाई-कढ़ाई भी कर रही हैं.
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