Chhattisgarh News: मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर (Manendragarh-Chirmiri-Bharatpur) जिले की भरतपुर-सोनहत विधानसभा आदिम जाति जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित सीट है. छत्तीसगढ़ के पहले नंबर की इस विधानसभा में गोंड जनजाति के लोगों का बोलबाला है, वो जिसे चाहे जिताए और जिसे चाहे हरा दें. इसलिए इस सीट पर लंबे समय से ये दोनों प्रमुख दल बीजेपी (BJP) और कांग्रेस (Congress) गोंड समाज के लोगों पर ही दांव खेल रहे है. इसका परिणाम ये है कि पिछले दो विधानसभा चुनाव में एक बार के गोंड कैंडीडेट ने जीत दर्ज की और एक बार कांग्रेस के उम्मीदवार ने बीजेपी कैंडीडेट्स को चुनाव हराया था. वहीं गोंड बाहुल्य इस सीट में पिछले तीन चुनाव में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने जिस तरह का प्रदर्शन किया है, वो इस बार दोनों प्रमुख दल के उम्मीदवार के दिल की धड़कन बढ़ाने के लिए काफी है. 


छत्तीसगढ़ के नंबर एक भरतपुर-सोनहत विधानसभा में समय-समय पर प्रदेश के दोनों प्रमुख दल का दबदबा रहा है. 2013 के चुनाव में बीजेपी ने गोंड समाज से ही आने वाली चंपा देवी पावले पर दांव खेला और चंपा देवी पावले ने अपने निकटतम और चिर प्रतिद्वंद्वी गुलाब कमरों को चुनावी हार का स्वाद चखाया. इस दौरान चंपा देवी पावले को 36.10 प्रतिशत वोट शेयर के साथ 42 हजार 9 सौ 68 वोट मिला था. जबकि कांग्रेस के गुलाब कमरों को 32.23 प्रतिशत वोट शेयर के साथ 38 हजार 360 वोट मिला था और जीत अंतर पांच हजार के अंदर था. 


2018 में दोनों का के बीच फिर मुकाबला
पिछले चुनाव 2018 की बात करें तो प्रदेश के दोनों प्रमुख दल ने फिर से अपने इन्हीं होनहारों को उम्मीदवार उम्मीद बनाया और इस बार सिटिंग एमएलए को हार का मुंह देखना पड़ा. 2018 के इस विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के गुलाब कमरों को 51 हजार 723 वोट मिले. जबकि बीजेपी की चंपा देवी पावले को पिछली बार से कम 35 हजार 199 वोट से ही संतोष करना पड़ा और चंपा देवी ने करीब 16 हजार वोट से चुनाव हार गई. इस जीत के बाद कांग्रेस ने यहां के विधायक को विधायक रहने के साथ सरगुजा विकास प्राधिकरण का उपाध्यक्ष बना दिया, लेकिन इस बार क्षेत्र की जनता फिर बदलाव के मूड में नजर आ रही है. 


जीजीपी का अच्छा रहा है प्रदर्शन
उत्तरी छत्तीसगढ़ के सरगुजा संभाग में गोंड समाज की बहुताय के कारण क्षेत्रीय दल गोंडवाना गणतंत्र पार्टी का बहुत प्रदर्शन रहा है. अच्छा प्रदर्शन इसलिए क्योंकि इस दल के प्रत्याशियों ने पिछले तीन चुनाव में बढ़ते क्रम में वोट पाए हैं. अगर गोंगपा (गोंडवाना गणतंत्र पार्टी) के पिछले तीन चुनाव के प्रदर्शन की बात करें, तो वो अच्छे खाते वोट शेयर के साथ तीनों चुनाव में तीसरे स्थान में रही है. 2008 चुनाव की बात करें तो उस समय तीसरे स्थान पर रहे गोंगपा प्रत्याशी यशवंत गोंड को 9 हजार 114 वोट मिले थे.


इसी तरह 2013 विधानसभा चुनाव की बात करें तो इस चुनाव में गोंगपा के प्रत्याशी कनसलाल को पिछली बार से दोगुना वोट शेयर 15.28 के हिसाब से 18 हजार 166 वोट मिले थे और वो तीसरे स्थान पर थे. इसी तरह 2018 का चुनाव भी इस क्षेत्रीय दल के लिहाज से अच्छा रहा और इस चुनाव में गोंगपा प्रत्याशी श्याम सिंह मरकाम को  26 हजार 632 वोट मिले थे. अब 2023 के चुनाव में क्षेत्रीय चर्चा और परिस्थिति के हिसाब से गोंगपा दोनों दलों को काटे की टक्कर देने की स्थिति में है. 


मौजूदा विधायक के लिए भी चुनौती
फिलहाल, भरतपुर सोनहत विधानसभा कांग्रेस की झोली में है और कांग्रेस के विधायक इस चुनावी वर्ष में फिर जीतने का सपना लेकर जमकर पसीना बहा रहे हैं. वहीं ये जानकर हैरानी होगी कि जिस गोंडवाना गणतंत्र पार्टी का जिक्र हमने ऊपर किया है. उसके जिला अध्यक्ष केवल सिंह मरकाम विधायक के पैतृक गांव साल्ही के ही है और इस गांव के उप सरपंच भी है. केवल सिंह मरकाम बेहद मुखर नेता हैं और वो कई बार विधायक की नाकामी को सार्वजनिक मंच पर बता भी चुकें हैं. जो सोशल मीडिया में जमकर वायरल हुआ है.


इतना ही नहीं विधायक ने एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया, लेकिन वो अपने ही गांव में गोंगपा के केवल सिंह को उप सरपंच बनने से नहीं रोक पाए थे. ऐसे में ये कहना गलत नहीं है कि विधायक अपने आप को कितना भी जिताऊं उम्मीदवार बता लें. वहीं इस बार गोंडवाना गणतंत्र पार्टी उनकी जीत में बड़ा वाला स्पीड ब्रेकों बनने की स्थिति में नजर आ रही है.



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